- जिला कलक्टर ने कोचिंग संस्थानों एवं हॉस्टल मालिकों को चेताया-आज ये दूसरों के बच्चे हैं, कल आपके भी हो सकते हैं।
- कोचिंग संस्थानों में फीस को सरल बनाए।
- राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन लागू करें।
न्यूजवेव @ कोटा
जिला कलक्टर मुक्तानन्द अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा नगरी के कोचिंग संस्थान व्यवसायिक हितों से उपर उठें और कोचिंग विद्यार्थियों के भविष्य के बारे में भी सोचें। उन्होंने चेताया कि आज आपके संस्थान में दूसरे शहर से आकर बच्चे पढाई कर रहे हैं, कल इसी तरह आपका अपना बच्चा भी हो सकता है। इनको अपने बच्चे मानकर सुरक्षित वातावरण देने का प्रयास करें।
एजुकेशन सिटी के कोचिंग विद्यार्थियों को सुरक्षा व शांत शैक्षणिक वातावरण मुहैया कराने के लिए बुधवार को जिला कलक्टर ने टैगोर हॉल में पुलिस, चिकित्सा, प्रशासन, कोचिंग संस्थान व हॉस्टल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों की बैठक ली।
स्टूडेंट्स व पेरेंट्स का विश्वास जीतें
उन्होंने कहा कि हम मिलजुलकर ऐसा सुरक्षित वातावरण बनाएं जिससे बाहर से आने वाले विद्यार्थियों को महसूस हो कि कोटा शहर में हमारा अपना भी कोई है। उनके अभिभावकों को यह भरोसा हो कि उनके बच्चों को कोटा में संभालने वाले कोई हैं। इसी विश्वास के साथ वे बच्चों को घर से यहां भेजते हैं। उनका यह विश्वास टूटना नहीं चाहिये। यहां से वे पॉजिटिव सोच लेकर जाएं।
उन्होंने निर्देश दिये कि कोचिंग विद्यार्थियों से एकमुश्त फीस लेने की बजाय इसे सरल बनाया जाये, जो आगे नहीं पढ़ना चाहते हैं, उनको शेष फीस लौटाई जाये, जिसका उल्लेख गाइडलाइन में भी है।
पुलिस अधीक्षक शहर दीपक भार्गव ने कहा कि कोचिंग संस्थानों द्वारा जारी डायरी या नोटबुक में हैल्प लाइन एवं चाइल्ड लाइन के नम्बर अंकित किये जायें। प्रवेश परीक्षाओं से पहले बच्चों का मनोबल बढ़ाने पर विशेष ध्यान दें। हॉस्टल में रहने वाले प्रत्येक स्टूडेंट का डाटा पुलिस प्रशासन को दिया जाये।
होप संस्था के निदेशक व वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. एम.एल. अग्रवाल ने कहा कि कोचिंग संस्थानों के विज्ञापनों एवं होर्डिंग्स पर हैल्प लाईन के नम्बर अंकित हों। बैठक मंे अतिरिक्त कलक्टर प्रशासन वासुदेव मालावत, शहर पंकज ओझा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश मील, प्रशिक्षु आईएएस देवेन्द्र कुमार, मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ.देवेन्द्र विजयवर्गीय सहित कोचिंग संस्थान एवं होस्टल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव दिये।
गाइडलाइन की ये खास बातें-
- विद्यार्थियों से ली जाने वाली फीस पॉलिसी को सरल बनाएं, इसकी जानकारी बच्चों एवं अभिभावकों को अवश्य दें।
- प्रत्येक कोचिंग संस्थान स्थायी मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता नियुक्त करे।
- कोचिंग विद्यार्थियों का डाटा जिला प्रशासन को भी दिया जाये ताकि परिजनों से संवाद हो सके।
- होप सोसायटी एवं जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त टीम संस्थानों में संयुक्त विजिट करेगी।
- होप संस्था एवं चाईल्ड लाईन के होर्डिंग्स शहर के प्रमुख स्थलों पर लगे।
- कोचिंग संस्थानों के विज्ञापनों एवं होर्डिंग्स पर हैल्प लाइन के नम्बर अंकित हों।
- हॉस्टल मालिक या लीज पर चलाने वाले संचालक, सभी बच्चों की सूचना संबंधित थानों पर अवश्य दें।
- शहर में सभी रेजिडेंशियल हॉस्टल्स को पंजीकृत किया जाये ताकि उनकी जानकारी सभी को मिल सके।