नवनीत कुमार गुप्ता
न्यूजवेव@ नईदिल्ली
कोरोना महामारी के दौरान कोविड-19 की जांच करवाना देशवासियों के लिये चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 18 जून को नईदिल्ली के पृथ्वी भवन में एक कार्यक्रम में मोबाइल डायग्नोस्टिक यूनिट ‘I-Lab‘ का लोकार्पण कर राहत प्रदान की।
यह संक्रामक रोग-निदान प्रयोगशाला भारत के ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचकर कोरोना टेस्ट करने में उपयोगी साबित होगी। इस अवसर पर जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डा. रेणु स्वरूप भी मौजूद रही।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने आंध्र प्रदेश की मेड-टेक जोन (AMTZ) कंपनी के साथ DBT& AMTZ COMMAND COVID Medtech Manufacturing Development], कंसोर्टिया की शुरुआत की जिससे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को दूर किया जा सके। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढाया गया एक कदम है।
इस कंसोर्टिया के तहत, भारत की पहली I-Lab (संक्रामक रोग निदान प्रयोगशाला) को 8 दिनों के रिकॉर्ड समय में AMTZ में बनाया गया है। यह एक मोबाइल डायग्नोस्टिक इकाई है जिसमें जैव सुरक्षा सुविधा का ध्यान रखा गया है है।
I-Lab ऑन-साइट एलिसा, RT-PCR, बायो केमिस्ट्री एनालिसिस के साथ BSL-2 सुविधाओं से संपन्न है। यह एक दिन में 50 RT-PCR प्रतिक्रियाएं और लगभग 200 एलिसा परीक्षण कर सकती है। मशीनों के दोहरा सेट को 8 घंटे की पाली में प्रति दिन लगभग 500 की क्षमता तक बढ़ाया जा सकता है।
इसे दूरस्थ क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है और इसे ऑटोमोटिव चेसिस से उठाया जा सकता है और देश के किसी भी स्थान पर भेजने के लिए मालगाड़ी पर रखा जा सकता है। BSL-2 लैब NABL विनिर्देशन के अनुसार है और इसे DBT के प्रमाणित परीक्षण केंद्रों से जोड़ा जा रहा है।