स्वास्थ्य विभाग की कोरोना जांच रिपोर्ट पर उठने लगे सवाल, किसे सही माना जाए
न्यूजवेव @ कोटा
कोरोना संक्रमण को लेकर जहां आम नागरिकों में चिंता बढ़ती जा रही है, वहीं शहर की एक महिला की कोरोना जांच रिपोर्ट एक ही दिन में बदल जाने से कई तरह की आशंकाएं पैदा हो गई है। शहर में बोरखेड़ा निवासी अपूर्वा गौतम के पति श्योपुर में कोरोना पॉजीटिव निकले। उसके बाद महिला को भी 15 व 16 अगस्त को हल्का बुखार रहा। अगले दिन 17 अगस्त को सुबह उसने परिजनों के साथ दादाबाड़ी डिस्पेंसरी पहुंचकर कोरोना जांच करवाई। रिपोर्ट में उसे कोरोना पॉजिटिव बताया गया। ठीक उसी दिन शाम को स्वास्थ्य विभाग की टीम उसके घर पहुंची और महिला समेत परिवारजनों के सेम्पल लिए। 19 अगस्त को सेम्पल की जांच रिपोर्ट में उसे निगेटिव बताया गया। इससे उसे बडी राहत मिली।
महिला के भाई ने कहा कि एक ही दिन में दो सेम्पल की जांच रिपोर्ट अलग-अलग कैसे हो सकती है। जब विभाग से पूछताछ की तो अधिकारियों ने यह कहकर टाल दिया कि पहली पॉजीटिव रिपोर्ट के आधार पर ही उन्हें पॉजीटिव ही माना जाएगा। जबकि परिजनों का कहना है कि 17 अगस्त से आज तक महिला को बुखार, सर्दी, खांसी-जुकाम या गले में खराश जैसे कोई लक्षण नहीं है। ऐसे में वे पॉजिटिव कैसे मानें।
भाजपा नेता गुड्डू मरचूनिया ने कोरोना जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य विभाग दोनों की जांच रिपोर्ट में से सही किसे माना जाये। एक ही दिन में रिपोर्ट बदल जाना अनावश्यक मानसिक भय पैदा करता है। उन्होंने जिला कलक्टर से जांच रिपोर्ट की स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
सरकारी डिस्पेंसरी में गंभीर लापरवाही
पीड़ित महिला अपूर्वा गौतम ने आरोप लगाया कि जिस दिन वह कोरोना जांच के लिए दादाबाड़ी डिस्पेंसरी पहुंची, वहां पर कुर्सी को सेनिटाईजेशन व सोशल डिस्टेसिंग देखने को नहीं मिली। सभी रोगी लाइन में पास-पास खड़े होकर कोरोना जांच करा रहे थे। ऐसी स्थिति में कोई व्यक्ति यदि संक्रमित ना हो तो वो भी चपेट में आ सकता है। उसने कहा कि दोनो जांच रिपोर्ट सरकारी विभाग की है, हम किसे सही मानें।