डॉ.शुभ्रता मिश्रा
न्यूजवेव @ वास्को-द-गामा, गोवा
शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिदम के उपयोग से मेडिकल साइंस में नई तकनीक IDX-DR विकसित की है, जिससे आंखों की बीमारियों का समय पर पता चल सकेगा।
शोधकर्ताओं ने आंखों के रोगों की पहचान के लिए IDX-DR को अमेरिकी फूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन में अनुमोदन के लिए भेजा है। आयोवा यूनिवर्सिटी के रेटिना विशेषज्ञ एब्रामॉफ का मानना है कि यदि IDX-DR को एफडीए की मंजूरी मिल जाती है, तो चिकित्सा क्षेत्र में आंखों संबंधी रोगों के निदान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग का एक क्रांतिकारी प्रयोग साबित होगा।
IDX-DR के माध्यम से डायबिटीज रोगियों में पाई जाने वाली मधुमेह रेटिनोपैथी नामक नेत्र रोग के लक्षणों की पहचान करने के लिए 10 लाख से अधिक आँखों के चित्रों का अध्ययन किया गया। मधुमेह रेटिनोपैथी ऐसी बीमारी है, जिसमें रक्त में शुगर लेवल ज्यादा हो जाने पर रेटिना की रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती है।
इसमें कभी रक्त वाहिकाएं फूल जाती हैं, जिससे रिसाव हो सकता है। अथवा कभी वे बंद भी हो जाती हैं और रेटिना तक खून पहुंचना बंद हो जाता है। कई बार रेटिना पर असामान्य नई रक्त वाहिकाएं भी बनती देखी गई हैं। इन सभी कारणों से अंधापन हो सकता है।
रिसर्च के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रतिवर्ष 12,000 से 24,000 लोग मधुमेह रेटिनोपैथी के कारण अपनी दृष्टि खो देते हैं। प्रायः 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में आयु-संबंधी मैक्यूलर डिजेनेरेशन या एएमडी और मधुमेह मेक्युलर एडमा बीमारियां हो जाती हैं। लेकिन यदि सही समय पर इनकी पहचान हो जाए, तो इनका इलाज संभव है।
शोधकर्ताओं ने 800 से अधिक डायबिटीज पीडित अमेरिकी मरीजों पर IDX-DR का प्रयोग करके पहले से विशेषज्ञों द्वारा की गई जांच के साथ तुलना की। इसमें IDX-DR से प्राप्त आंकड़े 82-85 प्रतिशत सही पाए गए।
मधुमेह रेटिनोपैथी बीमारी के अलावा कुछ अन्य नेत्र रोगों की पहचान के लिए भी IDX-DR के उपयोग पर शोध चल रहे हैं। इस शोध में शोधकर्ताओं ने 1 लाख से ज्यादा आंखों के चित्रों का अध्ययन किया और 96.6 प्रतिशत सटीक आंकड़े प्राप्त हुए। इससे IDX-DR की शुद्धता साबित हुई। यह शोध सैल नामक वैज्ञानिक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
इसी तरह,एक अन्य रिपोर्ट में पाया गया है कि धूम्रपान करने वाले और न करने वाले रोगियों की आंखों के चित्रों के अध्ययन से उनके बीच अंतर करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिदम से प्राप्त परिणाम 71 प्रतिशत तक सटीक पाए गए हैं। संभावना है कि अगले पांच वर्षों में 70 प्रतिशत हृदयाघात जैसे प्रमुख हृदय रोग बढ़ सकते हैं। ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिदम से शीघ्रता से उपचार की जरुरत होगी।