राज्य सरकार और आंदोलित डॉक्टर्स के बीच आठ बिंदुओं पर हुआ लिखित समझौता
न्यूजवेव @जयपुर
राजस्थान में सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘राइट टू हैल्थ’ बिल का लगातार विरोध कर रहे प्राइवेट चिकित्सकों एवं सरकार के बीच 4 अप्रैल को वार्ता में आठ बिंदुओं के साथ सहमति बन गई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्विट कर कहा कि मुझे प्रसन्नता है राइट टू हैल्थ पर सरकार व डॉक्टर्स के बीच अंततः सहमति बनी और राजस्थान राइट टू हैल्थ लागू करने वाला पहला राज्य बना है। मुझे आशा है कि आगे भी डॉक्टर-पेशेंट रिलेशनशिप पूर्ववत यथावत रहेगी।
दूसरी ओर, आईएमए राजस्थान के आव्हान पर आंदोलित चिकित्सकों ने मंगलवार को जयपुर में महारैली निकाली। पिछले 10 दिन में 27 मार्च के बाद डॉक्टर्स ने यह दूसरा शक्ति प्रदर्शन किया। उम्मीद जताई जा रही है कि रैली के बाद चिकित्सकों का दल मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव से मिलकर आंदोलन समाप्त करने की घोषणा करेगा।
आईएएम के नेशनल वाइस प्रेसीडेंट डॉ. अशोक शारदा एवं प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम सोसायटी के सचिव विजय कपूर ने बताया कि मंगलवार सुबह 10ः303 बजे चिकित्सकों का प्रतिनिधिमंडल मुख्य सचिव के निवास पर वार्ता के लिये पहुंचा। जहां विस्तृत चर्चा के बाद 8 बिंदुओं पर सहमति जाहिर की गई।
50 बेड से कम क्षमता वाले आरटीएच से बाहर
इनमें मुख्य रूप से 50 बेड से कम क्षमता वाले प्राइवेट मल्टी स्पेशियलिटी अस्पतालों को आरटीएच से बाहर रखा जायेगा। सरकार को कोई सुविधा नहीं लेने वाले अस्पताल भी इससे बाहर रहेंगे। सिर्फ प्राइवेट मेडिकल कॉलेज अस्पताल, पीपीपी मोड में बने अस्पताल, सरकार से निशुल्क या रियायती दरों पर जमीन लेने वाले अस्पताल (उनके अनुबंध की शर्तें ) और अस्पताल ट्रस्टों द्वारा चलाये जाते हैं ( भूमि और बिल्डिंग के रूप में सरकार द्वारा वित्त पोषित) आरटीएच के दायरे में आयेंगे।
एक बिंदु में अंदोलन के दौरान दर्ज किये गये पुलिस केस और अन्य मामले वापस लिये जायेंगे। अस्पतालों के लिये लाइसेंस और अन्य स्वीकृतियों के लिये सिंगल विंडो सिस्टम होगा। फायर एनओसी नवीनीकरण हर 5 साल में करवाया जायेगा। नियमों में कोई परिवर्तन यदि कोई हो, आईएमए के दो प्रतिनिधियों के परामर्श के बाद किया जायेगा।