Thursday, 12 December, 2024

शहर के गड्डों में फ्लाई एश भरने से खत्म हो सकते हैं डेंगू मच्छर

कोटा थर्मल से 7 से 8 हजार टन फ्लाई एश रोजाना निकलती है, नगर निगम इसे शहर के खाली भूखंडों एवं गड्डों में भरकर डेंगू मच्छरों से निजात दिला सकती है।
न्यूजवेव @ कोटा
शहर में इन दिनों डेंगू का प्रकोप तेजी से बढता जा रहा है। बरसात के बाद खाली तालाब, गड्डों व भूखंडों में पानी जमा होने से डेंगू मच्छरों का लार्वा पनपता जा रहा है। बडी संख्या में लोग वायरल, डेंगू एवं स्क्रब टाइफस से पीडित होकर सरकारी व निजी चिकित्सालयों में भर्ती हैं।
कोटा नगर निगम द्वारा शहर के वार्डों में फोगिंग करके मच्छरों को मारने के प्रयास भी विफल हो रहे हैं। क्योंकि भरे हुये पानी में मच्छरों का लार्वा तेजी से पनप रहा है। सूत्रों ने बताया कि कोटा थर्मल में करीब 18 से 20 हजार टन कोयले की खपत से प्रतिदिन लगभग 7 से 8 हजार टन (40 प्रतिशत) फ्लाई एश निकल रही है। यदि इस राख को खाली गड्डों में भर दिया जाये तो इसे जमा दूषित पानी की पीएच वैल्यू बढकर 7 से 8 तक की जा सकती है, जिससे मच्छरों के पैदा होने का खतरा खत्म हो जायेगा। सामान्यतः बरसात के पानी की पीएच वैल्यू 4 से 5 होती है, जो लार्वा पैदा करने में अनुकूल होती है। यदि फ्लाई एश से इस पीएच वैल्यू को बढाकर 8 कर दिया जाये तो मच्छरों पर पूरी तरह नियंत्रण किया जा सकता है।
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के उप मुख्य अभियंता आर एन गुप्ता ने बताया कि फ्लाई एश में सिलिका, एलुमिना व आयरन तत्व होने से यह पानी में क्षारीयता बढाती है, जिससे लार्वा पैदा होने की संभावना नगण्य हो जाती है। जबकि बरसात के पानी में अशुद्धियां मिलने और अम्लीयता बढ़ने से भूजल दूषित हो जाता है। जिसके कारण ठहरे हुये पानी में मच्छरों के लार्वा तेजी से पनपते हैं। इन मच्छरों के काटने से वायरल, डेंगू, पीलिया जैसी बीमारियां तेजी से फैलती है। निशुल्क फ्लाई एश के उपयोग से मच्छरों के प्रकोप पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है।
नमी वाले क्षेत्रों में बहुत उपयोगी
राजस्थान में कोटा, छबडा, कालीसिंध, सूरतगढ़ एवं कवाई के बिजलीघरों से इन दिनों प्रचुर मात्रा में फ्लाई एश निकल रही है। इसका पर्याप्त भंडारण भी उपलब्ध है। जिला प्रशासन द्वारा प्रभावी कार्ययोजना बनाकर जलमग्न बस्तियों के गड्डों तथा खाली भूखंडों में निःशुल्क फ्लाई एश भर दी जाये तो आवासीय बस्तियों को डेंगू मच्छरों के लार्वा से बचाया जा सकता है। बरसाती पानी के साथ मिलते ही फ्लाई एश गढ्डों में जमा हो जाती है, जिससे लोगों को कीचड़ या दूषित पानी से निजात मिल सकेगा तथा महामारी फैलने जैसी स्थितियां पैदा नहीं होगी।

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