न्यूजवेव@ नईदिल्ली
देश में पोलियोग्रस्त व जन्मजात दिव्यांगों के लिए चेरिटेबल अस्पताल संचालित करने वाले नारायण सेवा संस्थान ने नईदिल्ली के फतेहपुरी आश्रम में 22 जुलाई को निःशुल्क आर्टिफिशियल लिम्ब डिस्ट्रीब्यूशन कैंप आयोजित किया।
शिविर में नारायण सेवा संस्थान की डॉक्टर डॉ. नेहा अग्निहोत्री तथा पांच प्रोस्थेटिक और ऑर्थोटिक इंजीनियरों और ऑर्थोपेडिक डॉक्टरों की टीम ने 50 दिव्यांगों के कृृत्रिम लिम्ब लगाए। प्रतिवर्ष जुलाई में ऐसे दिव्यांगों के आर्टिफिशियल लिम्ब का नाप लेकर उनकी जरूरत के अनुसार कृत्रिम अंगों को विकसित करने के लिये ऐसे शिविर आयोजित कियो जाते हैं।
नारायण सेवा संस्थान ने इस माह अहमदाबाद, नईदिल्ली,अलीगढ़ और जयपुर में आर्टिफिशियल लिम्ब मेजरमेंट कैंप आयाजित किये हैं। संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि ऐसे कैंपेन के जरिए, संस्थान द्वारा 99,133 कैलीपर्स,10 हजार व्हीलचेयर, और 3,600 ट्राई साइकिल बांट दी गई। हम दिव्यांग और आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के उपचार (करेक्टिव सर्जरी) के साथ उन्हें शैक्षणिक और व्यावसायिक ट्रेनिंग भी उपलब्ध करा रहे हैं, ताकि वे अपनी पूरी क्षमता को विकसित करते हुए आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बन सकें । इसी कड़ी में अब तक करीब 2161 दिव्यांगों को ट्रेनिंग दी है।
30 वर्षों में 3.5 लाख रोगियों के ऑपरेशन
राजस्थान में उदयपुर जिले के बडी गांव में स्थित नारायण सेवा संस्थान के अस्पतालों में पिछले 30 वर्षों के दौरान 3.5 लाख से अधिक रोगियों का ऑपरेशन किया है। जन्मजात विकृति या दुर्घटना के कारण कुछ मामलों में लोग अपने शरीर का कोई अंग खो देते हैं जो प्रतिकूल रूप से उन्हें दूसरों पर निर्भर कर देता है जिससे ना केवल उनकी बल्कि दूसरों के जीवन पर भी एक बड़ा असर हुआ है। एक कृत्रिम अंग न केवल उनकी गतिशीलता में सुधार करता है बल्कि उनका आत्मविश्वास बढ़ाकर उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाता है। कृत्रिम अंगों से उनकी रोजमर्रा की सामान्य गतिविधियों की कठिनता कम हो जाती है। ऐसी गतिविधियां, जो सामान्य तौर पर चुनौतीपूर्ण या कठिन लगती हैं, कृत्रिम अंगों के साथ बहुत आसानी से उन्हें पूरा किया जा सकता है और परिवारों की जीवनशैली भी बदल जाती है।