इस वर्ष चम्बल नदी में बढ़ रहा घडियाल, मगरमच्छ व कछुओं का कुनबा
न्यूजवेव@ कोटा
चम्बल नदी की घडियाल सेंचूरी में नवजात घड़ियालों के आगमन से कुनबा विस्तार ले रहा है। राजस्थान में 395 किलोमीटर लंबी चम्बल नदी में चार माह तक जलीय जीवों की गणना की गई, जिसमें इस वर्ष 54 नये घड़ियाल पाये गये हैं। इतना ही नहीं, इस बार चम्बल में मगरमच्छ एवं डॉल्फिन की संख्या में भी बढोतरी हुई है।
राष्ट्रीय घड़ियाल अभयारण्य में जलीय जीवों की विभागीय गणना रिपोर्ट के अनुसार, गत वर्ष कोटा जिले से धौलपुर तक चम्बल नदी में 900 घड़ियाल थे जो अब बढकर 954 हो गये हैं। इसके अतिरिक्त इस वर्ष 4 मगरमच्छ व एक डॉल्फिन भी पायी गई। इस गणना में 11 प्रजातियों के दुर्लभ कछुए मिले हैं। इनमें विलुप्त हो रहे चित्रा इंडिका छोटे सिर व कोमल कवच वाले कछुए की प्रजाति भी मिली है। केशवरायपाटन से धौलपुर तक घड़ियालों का पसंदीदी विचरण क्षेत्र है। नदी किनारे बालू रेत पर रेंगते हुये नन्हे घड़ियाल मादा घडियाल की पीठ पर बैठकर अठखेलियां करते देखे जा सकते हैं।
900 कछुओं की हलचल
घड़ियाल सेंचुरी, धौलपुर के डीएफओ अनुल कुमार यादव ने बताया कि चम्बल नदी के किनारे घड़ियालों एवं कछुओं का प्रजनन बढ़ा है। गत वर्ष पाली घाट से धौलपुर तक 23 प्रजनन केंद्रों पर नेस्टिंग हुई थी। इस वर्ष 3 हजार अंडों में से 900 कछुए निकलकर बाहर आ गये हैं। चम्बल नदी में प्रवासी पक्षी बार हेडेड, गीज, रूडी, शेलडक, पिलटेल, नाव या स्टीमर भी देखे जा सकते हैं। विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार, प्रतिवर्ष मई व जून माह में मादा घड़ियाल 30 से 40 सेमी गहरा गढ्ढा खोदकर 50 से 70 अंडे देती है। मादा कवर से उपर बैठकर सेक करती है। इनका मुख्य आहार मछलियां होती हैं।