सैनिक पुत्र को एलन कोटा में मिला हौसला, नीट में 720 मार्क्स के साथ AIR-1
न्यूजवेव @कोटा
हौसला मजबूत हो तो राह की बाधायें खुद राह दिखाने लगती हैं। एलन क्लासरूम छात्र दिव्यांश ने फेफडों की गंभीर बीमारी न्यूमोथौरेक्स से संघर्ष करते हुये नीट-यूजी 2024 में एआईआर-1 हासिल की। उसका परिवार हरियाणा के चरखी दादरी में है। पापा जितेन्द्र सेना में नायब सूबेदार और मां मुकेश देवी गृहिणी हैं, चाचा भी सेना में हैं। उनको देख वह भी सेना में जाना चाहता था। उसने एनडीए की इच्छा जताई तो पिता ने कहा कि परिवार के लोग देश सेवा में हैं। मैं चाहता हूं तुम डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करो। उसने तैयारी का मन बनाकर 15 जून 2023 को एलन कोटा में एडमिशन लिया।
दिव्यांश ने बताया कि यहां कॉम्पिटिशन बहुत था लेकिन मैंने टीचर्स की गाइडेंस को फॉलो किया। मेरे पहले माइनर टेस्ट में 720 में से 720 मार्क्स आए, जिससे आत्मविश्वास दोगुना हो गया। टीचर्स ने बताया कि मोबाइल से मन भटकता है। इसलिए स्मार्ट फोन की जगह कीपैड वाला फोन इस्तेमाल किया। सोशल मीडिया से दूरी रखी। कोटा आने पर जुलाई 2023 में मुझे सांस लेने में प्रॉब्लम होने लगी। जांच में पता चला कि मुझे न्यूमोथौरेक्स है। इस बीमारी में लंग्स फट जाते हैं। मेरा एक साइड का फेफड़ा फट गया था और एक ही फेफड़े से सांस लेता था। एक सप्ताह तक हॉस्पिटल में भर्ती रहा। इस दौरान एलन फैकल्टी ने मोटिवेट किया। मैं घर आकर माइनर टेस्ट की तैयारी में जुट गया। एक सप्ताह हॉस्पिटल में खराब हुआ था। मैंने 720 में से 686 स्कोर हासिल किया।
इलाज के लिए चंडीगढ़-दिल्ली गया
उसने बताया कि दूसरे माइनर टेस्ट के अगले दिन फिर बीमार हुआ। पापा मुझे आर्मी हॉस्पिटल चंडीगढ़ लेकर गए। वहां दो सप्ताह भर्ती रहा लेकिन, आराम नहीं आया। इसके बाद दिल्ली लेकर गए। वहां भी दो सप्ताह तक रहा। मैं 1 जुलाई को बीमार हुआ था और कोटा, चंडीगढ व दिल्ली में इलाज कराने के बाद सितंबर में वापिस कोटा आया।
न्यूरोथौरेक्स खत्म हुआ तो डेंगू हुआ
दिव्यांश ने बताया कि तीन माह इलाज लेकर पढ़ाई करने कोटा आया तो आते ही डेंगू हो गया। एक सप्ताह उससे जूझता रहा। मैं ठीक हुआ तो मम्मी को डेंगू हो गया। उनकी देखभाल की। रोजाना हॉस्पिटल खाना देने जाता था। मैं 15 सितंबर को वापिस कोचिंग गया। इतना समय निकल गया कि मेरी उम्मीद खत्म हो गई थी लेकिन टीचर्स ने सपोर्ट किया। एक बार फिर जीरो से शुरुआत की। करीब 10-15 दिन मुझे समझने में लगे। दूसरे स्टूडेंट्स तो सिलेबस में काफी आगे निकल चुके थे लेकिन मैंने उन पर ध्यान देने की जगह खुद पर विश्वास रखा और टीचर्स को फॉलो किया।
पढ़ा हुआ भूल गए तो क्या डॉक्टर बनना..
5 मई 2024 को नीट का एग्जाम था और 2 मई को मेरा नीट का सिलेबस पूरा हुआ था। दो दिन बचे थे। मैंने टीचर्स की बात मानी और 3 व 4 मई को बिल्कुल पढ़ाई नहीं की। हालांकि मन में आता था कि रिवीजन कर लूं, कही सब कुछ भूल नहीं जाऊं। फिर मन में आया कि ‘तीन दिन में पढ़ा हुआ भूल गया तो फिर क्या डॉक्टर बनना…’ आराम से फुटबॉल खेली। 5 मई को यही सोचकर पेपर देने गया कि जितने मार्क्स आएंगे, भगवान की दया से बहुत हैं। मेहनत जारी रखी तो मुझ पर ईश्वर की कृपा बरसी।
फेंफडे की गंभीर बीमारी से जूझते एलन के दिव्यांश बने नीट टॉपर
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