Wednesday, 6 November, 2024

नृत्यांगना पद्मश्री गुलाबो बनी यूनेस्को की ब्रांड एम्बेसेडर

गुलाबो ने 165 देशों में कालबेलिया नृत्य को वैश्विक पहचान दिलाई
अरविंद
न्यूजवेव कोटा
अंतरराष्ट्रीय नृत्यांगना पद्मश्री गुलाबो सपेरा को इस वर्ष यूनेस्को में कल्चर के लिये ब्रांड एम्बेसेडर चुना गया है। निरक्षर रही गुलाबो ने अंग्रेजी, फ्रेंच व डेनिश में बोलना भी सीख लिया है। उनसे एक खास बातचीत-


बचपन का संघर्ष कैसा रहा?
गुलाबो- हमारा बेघर परिवार राजस्थान में पुष्कर के पास कोटडा गांव के जंगल में रहता था। उन दिनों कालबेलिया जाति के लोग बीन व ढपली बजाकर संापों की पूजा किया करते थे। हमें नृत्य नहीं आता था, कहीं सीखा भी नहीं। 1981 में 7 वर्ष की उम्र में पहली बार कालबेलिया नृत्य किया। फिर रोज इसका अभ्यास किया। कोटा दशहरा मेले में पहली बार 2 घंटे अकेले नृत्य किया।
जंगल से विदेशों का सफर ?
गुलाबो- हम बीन बजाने की लोककला जानते थे। कभी स्कूल नहीं जा सकी। बस कालबेलिया नृत्य में रम गई। 1985 में पहली बार अमेरिका जाने का मौका मिला, वहां राजस्थानी वेशभूषा में नृत्य किया तो हजारों दर्शकों ने सराहा। इससे कालबेलिया नृत्य को दुनिया में नई पहचान मिली। अब तक 165 देशों में भारत महोत्सव व अंतरराष्ट्रीय समारोहों में नृत्य कर चुकी हूं।
पदमश्री सम्मान कब और कैसे मिला?
गुलाबो- 2016 में भारत सरकार ने राजस्थानी फॉक डांस के लिये मुझे पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया। यह सम्मान पाने वाली मैं इकलौती कालबेलिया महिला हूं। हमारी जनजाति में इस अवार्ड को कोई नहीं जानता था। राष्ट्रपति ने कहा था, तुमने भारतीय लोककला को दुनिया में अनूठी पहचान दिलाई है। मैं जिस देश में जाती हूं, वहां राजस्थानी वेशभूषा व संस्कृति को बहुत पसंद किया जाता है। विदेशी युवतियां भी यह नृत्य सीखना चाहती है।
अगला सपना क्या है?
मुझे यूनेस्को ने ब्रांड एम्बेसेडर बनाकर सम्मान दिया है। मैं राज्य के 17 लाख कालबेलिया जनजाति के गरीब लोगों को दुनिया में अलग पहचान दिलाना चाहती हूं। मैने पुष्कर में ‘गुलाबो सपेरा संगीत संस्थान’ खोला है, जिसमें विदेशी युवतियों को लाइव कालबेलिया नृत्य व राज्य के हैंडीक्राफ्ट के लिये विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। इसे इंटरनेशनल डांस स्कूल बनाने की योजना है।
पहली कालबेलिया लडकी जो स्कूल गई
गुलाबो की दोे बेटियां नचबलिया फेम नीलू व राखी सपेरा राजस्थानी फिल्मों में लोकप्रिय अभिनेत्री हैं। राखी ने बताया कि वह कालबेलिया समाज की पहली लडकी है, जो गरीबी व संघर्षों के दौर में स्कूल गई। उसने इंग्लिश लिटरेचर में एमए किया। 2014 में पहली फिल्म ‘राजू राठौड़’ के बाद उसे हीरोगिरी में हीरोइन का रोल अदा किया है। ‘टाइगर ऑफ राजस्थान’ में भी वह मुख्य अभिनेत्री होगी। उसे बॉलीवुड से ऑफर मिल रहे हैं लेकिन वह कालबेलिया डांस को प्रमोट करना चाहती है। उसकी मां गुलाबो सीख देती हैं कि युवतियां जिस क्षेत्र में कदम रखें, अपने हाथ-पैर संभालकर चलें तभी सफलता मिलेगी।

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