Friday, 26 December, 2025

दूसरों को कुछ ‘देने की कला’ खुद ही विकसित करें- प्रो.मिश्रा

कोटा ज्ञानद्वार सोसायटी एवं डीसीएम श्रीराम रेयॉन्स द्वारा ‘आर्ट ऑफ गिविंग’ पर एक दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस
न्यूजवेव @ कोटा
कोटा ज्ञानद्वार सोसायटी एवं डीसीएम श्रीराम रेयॉन्स लिमिटेड द्वारा डॉ. बंशीधर सेंटर फॉर एक्सीलेंस में ‘देने की कला’ थीम पर एक दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इसमें मुख्य वक्ता टेक्सटाइल्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, मप्र के चेयरमैन एवं मैनेजमेंट गुरू प्रो. पी.एन.मिश्रा ने कहा कि दूसरों को कुछ देने की कला अपने भीतर स्वयं को ही विकसित करनी होगी। आर्ट ऑफ गिविंग के माध्यम से हम समाज में संस्कारों एवं जीवन मूल्यों के गिरते हुये स्तर को रोक सकते हैं। उन्होंने उद्योगों में प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों का सर्वांगीण विकास करने पर जोर दिया।


मुख्य अतिथि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति प्रो. आर.ए.गुप्ता ने कहा कि विचार ही आपके विचार को प्रभावित करते हैं। इसलिये जरूरी है कि हम सही विचारों का अनुसरण करें। उन्होंने रामचरितमानस एवं गीता के प्रसंगों के माध्यम से दान की महत्ता बताई। नेशनल कॉन्फ्रेंस में 200 से अधिक प्लेटफार्म पर देश के कई विशेषज्ञों ने पैनल चर्चा में भाग लिया।
विशिष्ट अतिथि कृषि विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति डॉ.डीसी जोशी ने कहा कि जीवन में कभी अवसर मिलने पर ना कहना नहीं सीखें। स्वयं को कभी अंडर इस्टीमेट नहीं करें। सक्सेस और हैप्पीनेस एक-दूसरे के पूरक हैं। अनिश्चितताओं के दौर में तात्कालिक बुद्धिमत्ता एवं तालमेल के साथ आगे बढें़।
पैनल चर्चा में आईआईएम कोझिकोड के प्रोफसर डॉ.एस.आर.नैयर ने कहा कि लेबर एवं केपिटल के बीच मानवता का रिश्ता होना चाहिये। उद्योगों में जंगल रूल के स्थान पर मानवता का रूल लागू करें। अच्छा कार्य करने वाले श्रमिकों व कार्मिंकों को प्रोत्साहित अवश्य करें।
दूसरों को कुछ देने से मिलती है-हैप्पीनेस


डीसीएम श्रीराम इंडस्ट्रीज के प्रोग्राम निदेशक एवं सीओओ वीके जेटली ने कहा कि जीवन में अच्छे स्वास्थ्य, सक्सेस, वैल्थ और सकारात्मक सोच से हैप्पीनेस मिलती है। ज्यादा धन कमाने की लालसा रखने वाले कभी खुश नहीं रह सकते। दूसरों को कुछ देकर हम शारीरिक, मानसिक व जीवनमूल्यों के प्रति सुकून महसूस कर सकते हैं। समर्पण, समझौता और अनुशासन का भाव हमें एक अच्छा इंसान बना देता है। हमेशा नेगेटिव सोच रखने वाले खुद भी कभी खुश नहीं रहते हैं।
आईएसटीडी की चेयरपर्सन एवं कोटा ज्ञानद्वार सोसायटी की संस्थापक सुश्री अनिता चौहान ने बताया कि ‘आर्ट ऑफ गिविंग’ के प्रति जागरूकता पैदा करना आज की सबसे बडी आवश्यकता है। एनएलपी कोच मोटिवेशनल गुरू सीए प्रीतम गोस्वामी ने आर्ट ऑफ गिविंग के वैज्ञानिक पहलुओं को समझाया। प्रो. पीके सक्सेना ने दूसरांे को कुछ देने की सीमायें अनंत होती हैं। कोचिंग फाउंडेशन इंडिया, चेन्नई के सह-निदेशक रमेश श्रीनिवासन ने कहा कि शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा हमारे कर्म के व्यक्तिगत पहलू हैं। संचालन श्रीमति सुजाता ताथेड़, माधवी सक्सेना, प्रदीप कुलश्रेष्ठ एवं विशाल सचदेवा ने किया। सोसायटी की मुख्य सलाहकार श्रीमती कुमकुम जेटली ने सबका आभार जताया।

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