Saturday, 27 April, 2024

कोविड-19 के खिलाफ सेप्सिस की दवा का परीक्षण करेंगे भारतीय वैज्ञानिक

उमाशंकर मिश्र
न्यूजवेव @ नई दिल्ली
भारतीय वैज्ञानिक अब कोविड-19 से ग्रसित गंभीर रोगियों पर सेप्सिस (Sepsis) के उपचार में प्रयोग की जाने वाली दवा का परीक्षण करने जा रहे हैं। ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया जनित सेप्सिस की दवा का उपयोग इस टेस्ट में किया जाएगा। सेप्सीवैक नामक इस दवा को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के सहयोग से कैडिला फार्मास्यूटिकल्स ने विकसित किया है।

CSIR के महानिदेशक डॉ.शेखर सी. मांडे ने बताया कि ग्राम नेगेटिव सेप्सिस से होने वाली मौतों को रोकने के लिये कैडिला फार्मास्यूटिकल्स ने इस दवा पर क्लिनिकल ट्रायल किए हैं। इस दवा के उपयोग से सेप्सिस के गंभीर रोगियों की मौतों में 50 प्रतिशत से अधिक कमी देखी गई है। उम्मीद है कि कोविड-19 के खिलाफ इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल से मौतों को रोकने में मदद मिल सकती है।

कोविड-19 और ग्राम नेगेटिव सेप्सिस के लक्षण मिलते-जुलते

कोविड-19 से पीड़ित मरीजों और ग्राम नेगेटिव सेप्सिस के मिलते-जुलते चिकित्सीय लक्षणों को देखते हुए CSIR ने इस दवा के क्लिनिकल ट्रायल की पहल की है। इस जांच का उद्देश्य कोविड-19 से पीड़ित गंभीर रोगियों में MW क्षमता का मूल्यांकन करना है। वैज्ञानिकों का कहना हैकि ग्राम नेगेटिव सेप्सिस और कोविड-19 दोनो से ग्रसित रोगियों में परिवर्तित प्रतिरोधी प्रतिक्रिया उभरने लगती है, जिससे मरीजों के साइटोकीन (Cytokine ) प्रोफाइल में व्यापक बदलाव देखने को मिलता है। इस दवा का उपयोग साइटोकीन में होने वाले बदलाव को बाधित करके मरीजों को जल्दी स्वस्थ होने में मदद कर सकता है। ग्राम नेगेटिव सेप्सिस से पीड़ित गंभीर मरीजों के अंगों के काम नहीं करने की स्थिति में यह दवा असरकारी साबित हुई है।

सेप्सिस की दवा में ऊष्मा से उपचारित निष्क्रिय  (Heat Killed)  माइको बैक्टीरियम डब्ल्यू (MW) का उपयोग किया जाता है, जिसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। कोविड-19 के रोगियों के उपचार में इस दवा को किसी अन्य उपचार के साथ समानांतर उपयोग किया जा सकेगा। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से इस क्लीनिकल ट्रायल को शुरू करने की मंजूरी मिल गई है और जल्द ही चुनिंदा अस्पतालों में यह ट्रायल शुरू हो सकता है।
CSIR अपने न्यू मिलेनियम इंडियन टेक्नोलॉजी लीडरशिप इनिशिएटिव (NMITLI) कार्यक्रम के तहत ग्राम नेगेटिव सेप्सिस से होने वाली मौतों को रोकने के लिए कैडिला फार्मास्यूटिकल्स को 2007 से सहयोग कर रहा है। इस दवा के अध्ययन की निगरानी CSIR की एक निगरानी समिति द्वारा की जा रही है। अब यह दवा मार्केट में सेप्सीवैक के रूप में उपलब्ध्य होगी। भारत के लिए इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है, क्योंकि बेहतर प्रयासों के बावजूद, वैश्विक स्तर पर ग्राम-नेगेटिव सेप्सिस से होने वाली मौतों को कम करने के लिए किसी अन्य दवा को मंजूरी नहीं मिली है। (इंडिया साइंस वायर)

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