गांव के प्राचीन शिवालय पर कुरान की आयतें अंकित, महाशिवरात्रि पर श्रद्धालु दर्शन करने उमड़ते हैं
न्यूजवेव @ कोटा
कोटा स्टोन की चट्टानी खदानों के बीच पथरीली धरती पर बसा है जुल्मी गांव। महाशिवरात्रि पर्व पर वर्षों पुराने अनूठे व दुर्लभ शिवलिंग के दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं। यहां हिंदु-मुस्लिम समुदाय में एकता व सद्भाव देखने को मिलता है।
बुजुर्गों ने बताया कि झालावाड़ रियासत में शामिल इस गांव में वर्षों पुराने दुर्लभ मंदिर व मस्जिद इसकी पहचान हैं। यहां कदम-कदम पर प्राचीन शिवलिंग दिखाई देते हैं लेकिन इनमें से एक ऐतिहासिक शिवालय ऐसा है जिस पर शिवलिंग के नीचे गोलाई में कुरान शरीफ की आयतें आज भी अंकित है।
बुजुर्गों ने बताया कि झालावाड़ रियासत में शामिल इस गांव में वर्षों पुराने दुर्लभ मंदिर व मस्जिद इसकी पहचान हैं। यहां कदम-कदम पर प्राचीन शिवलिंग दिखाई देते हैं लेकिन इनमें से एक ऐतिहासिक शिवालय ऐसा है जिस पर शिवलिंग के नीचे गोलाई में कुरान शरीफ की आयतें आज भी अंकित है।
गांव में कुछ दूरी पर दूसरा शिवालय चतुर्मुखी है। तीसरा शिवालय एक कुंड के किनारे स्थित है जिसकी आकृति औंकारेश्वर स्थित शिवालय जैसी है। चौथे शिवालय से लगी हुई मस्जिद की दीवार है जो धार्मिक सद्भाव का प्रतीक है। पांचवां शिवालय नीलकण्ठ महादेव के नाम से प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर में नीलकण्ठ महादेव की विशाल प्रतिमा एक ही पत्थर पर उकेरी हुई शिल्पकला का अद्वितीय नमूना है।
खींची राजवंश का शिलालेख
इतिहासकार ने बताया कि यहां खींची वंश का राज था। तब एक कुण्ड का निर्माण किया था। इस कुण्ड में आज तक कोई व्यक्ति नहीं मरा। किवदंती है कि यदि कोई तैरने से अनजान व्यक्ति धोखे से भी गिर गया तो स्वयं तैरकर बाहर निकला है। जिससे यहां दैविक शक्ति की अनुभूति होती है। शिवमंदिर के आसपास प्राचीन शिलालेख में यहां की धार्मिक मान्यताओं का उल्लेख है। पुराने मंदिर में एक गुफा आज भी रहस्यमयी बनी हुई है।
जुल्मी में स्थित राजवंश महल के प्राचीन खंडहर आज इतिहास की गाथा कहते है, जिन्हें ग्रामीण मठ के नाम से पुकारते हैं। झालावाड़ दरबार द्वारा यहां एक बाग का निर्माण करवाया गया था जो आज भी राजबाग के नाम से जाना जाता है। इसमें एक मंदिर का निर्माण भी करवाया जिसमें लक्ष्मीनाथ भगवान की प्रतिमा विराजित है,इस मंदिर को राजमंदिर के नाम से जाना जाता है।
गजनबी ने लिखाई थी आयतें
गांव के सेवानिवृत प्रधानाचार्य पं.चन्द्रप्रकाश शर्मा ने बताया कि मुगलकाल में जब महमुद गजनबी ने सोमनाथ मंदिर पर हमला किया था तब रास्ते में आने वाले सारे मंदिरों की प्रतिमाओं को क्षति पहुंचाकर जीर्णशीर्ण कर दिया था। लेकिन जुल्मी में आकर जब वह उक्त प्राचीन व चमत्कारिक शिवालय को क्षति पहुंचाने की सारी कोशिशं नाकाम रही तो शिवलिंग के नीचे चारों ओर गोलाई में कुरान शरीफ की आयतें अंकित करा दी। उक्त ऐतिहासिक शिव मंदिर का जीर्णोद्धार लगभग 25 वर्ष पूर्व तत्कालीन उपस्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी रामगंजमंडी निवासी कम्पाउंडर रमेशचन्द सक्सेना द्वारा करवाया गया था।
खींची राजवंश का शिलालेख
इतिहासकार ने बताया कि यहां खींची वंश का राज था। तब एक कुण्ड का निर्माण किया था। इस कुण्ड में आज तक कोई व्यक्ति नहीं मरा। किवदंती है कि यदि कोई तैरने से अनजान व्यक्ति धोखे से भी गिर गया तो स्वयं तैरकर बाहर निकला है। जिससे यहां दैविक शक्ति की अनुभूति होती है। शिवमंदिर के आसपास प्राचीन शिलालेख में यहां की धार्मिक मान्यताओं का उल्लेख है। पुराने मंदिर में एक गुफा आज भी रहस्यमयी बनी हुई है।
जुल्मी में स्थित राजवंश महल के प्राचीन खंडहर आज इतिहास की गाथा कहते है, जिन्हें ग्रामीण मठ के नाम से पुकारते हैं। झालावाड़ दरबार द्वारा यहां एक बाग का निर्माण करवाया गया था जो आज भी राजबाग के नाम से जाना जाता है। इसमें एक मंदिर का निर्माण भी करवाया जिसमें लक्ष्मीनाथ भगवान की प्रतिमा विराजित है,इस मंदिर को राजमंदिर के नाम से जाना जाता है।
गजनबी ने लिखाई थी आयतें
गांव के सेवानिवृत प्रधानाचार्य पं.चन्द्रप्रकाश शर्मा ने बताया कि मुगलकाल में जब महमुद गजनबी ने सोमनाथ मंदिर पर हमला किया था तब रास्ते में आने वाले सारे मंदिरों की प्रतिमाओं को क्षति पहुंचाकर जीर्णशीर्ण कर दिया था। लेकिन जुल्मी में आकर जब वह उक्त प्राचीन व चमत्कारिक शिवालय को क्षति पहुंचाने की सारी कोशिशं नाकाम रही तो शिवलिंग के नीचे चारों ओर गोलाई में कुरान शरीफ की आयतें अंकित करा दी। उक्त ऐतिहासिक शिव मंदिर का जीर्णोद्धार लगभग 25 वर्ष पूर्व तत्कालीन उपस्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी रामगंजमंडी निवासी कम्पाउंडर रमेशचन्द सक्सेना द्वारा करवाया गया था।
पूर्व सरपंच राधेश्याम गुप्ता बताते हैं कि जुल्मी गांव वर्षों से कौमी एकता की मिसाल रहा है। इस छोटे से गांव में लगभग दस प्राचीन मंदिर हैं, जो इतिहास की धार्मिक गाथाओं को समेटे हुये हैं। कोटा स्टोन की इस धरा से शिव आराधना की अनुगूंज दूर-दूर तक सुनाई देती है। गांव की अनेक महिलाएं व पुरूष शिव मंदिर में जलाभिषेक व दर्शन कर दिनचर्या शुरू करते हैं। क्षेत्र के ग्रामीण अपने खेत-खलिहानों में भी शिवलिंग स्थापित कर मंत्रोच्चार के साथ नियमित जलाभिषेक कर रहे हैं।
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