अटरू की श्रीमद् भावगत कथा महोत्सव में चौथे दिन भक्ति से गूंज उठा विशाल पांडाल
न्यूजेवव @अटरू/कोटा
‘आजकल हम आधार कार्ड बनवाने के लिये स्वयं का अंगूठा लगाते हैं तो स्वयं का आधार कार्ड बन जाता है। इसी तरह, कोई भक्त निरंतर भक्ति करते हुये भगवान के भरोसे हो जाये तो संकट में भगवान ही उसकी रक्षा करते हैं।’
नंदिनी गौ सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा महोत्सव के चतुर्थ सोपान में मालवा माटी के गौसेवक संत पं.प्रभूजी नागर ने यह बात कही। सारगर्भित प्रवचन देते हुये उन्होंने कहा कि बाबा वासुदेव बालकृष्ण को सुप में बिठाकर नंदगांव ले जा रहे थे तभी अचानक यमुना नदी का जलस्तर बढ़ता चला गया। बाबा की परेशानी देख बालकृष्ण ने अपने चरण के अंगूठे से जैसे ही यमुना को छुआ, पानी तुरंत नीचे उतर गया। यह उनके चरणों का आधार था।
हमेशा भगवान के चरणों से जुडकर रहो, संकट के समय यह पक्का आधार अवश्य काम आयेगा। जिस तरह भक्तिमयी मीरा ठाकुरजी को आधार मानकर विष का प्याला पी गई थी तो भक्ति के आधार ने ही उसकी रक्षा की थी। भक्ति में लीन होकर जो पूछते हैं- हे प्रभू, आपने हर अधर्म को एक क्षण में तारा है। क्या हम तेरी कृपा के हकदार नहीं हैं। जिसे इतना अनुग्रह हो जाता है, वह उसकी शरण में पहुंच जाता है।
कण-कण में है सिद्धि का वास
ओरछा के पास एक गरीब को कैंसर हो गया था। इलाज के पैसे नहीं होने से उसकी हालात बिगडती़ गई। अंत में जीने की आस लेकर हनुमान मंदिर चला गया। 7 दिन तक वहां भूखा-प्यासा बैठा रहा और मन में जप करता रहा, भगवान अब तो आप ही मेेरे आधार हो। सातवें दिन हनुमत लला प्रकट हुये और बोले- वत्स, इन वृक्षों के पत्तों में मैने सिद्धि का वास किया है। तू बस यह चौपाई निरंतर जपते रहना, ‘नासे रोग हरे सब पीरा…’। कुछ ही दिन में उसकी गंभीर बीमारी दूर हो गई। लेकिन कुछ समय बाद वहां एक समिति बना दी गई और इलाज के नाम पर चंदा लेने लगे, तब से उस वृक्ष के पत्तों से सिद्धि भी विलुप्त हो गई।
भक्ति की कड़ी से जुड़़ जाओ
संत नागरजी ने कहा कि ईश्वर का टिफिन सादा नहीं है, कडी वाला है। भवसागर से पार लगने के लिये कथा रूपी भक्ति की कडी से जु़ड़ जाओ, यही कडी एक दिन भगवान तक पहुंचायेगी। उन्होने एक प्रसंग सुनाते हुये कहा कि आरा मशीन पर लकडी काटते समय जिस तरह बूरा निकलता है और लकडी के दो टुकडे़ हो जाते हैं। उसी तरह, आप प्रभू की माला फेरते या पूजा करते समय कोई बुरा विचार आये तो मान लेना कि लकडी की तरह आपके पाप भी कट रहे हैं। बस, माला फेरना कभी बंद मत करना। जिस दिन प्रभू से मिलना होगा, उस दिन सहज मुक्ति मिल जायेगी।
जो संताप खींचे वह सच्चा गुरू
चतुर्थ सोपान का समापन करते हुये कथा सार में उन्होने कहा कि सांसारिक जीवन में एक ओर दुख-संताप का सागर दिखाई देता हैं तो दूसरी ओर अधिक धन-सम्पत्ति पाने की लालसा। जो संत भक्तों के संताप अपनी ओर खींचे, वह सच्चा गुरू है। जो धर्म की राह पर धन-संपत्ति अपनी ओर खीचें, वह अधर्मी मात्र है। शनिवार को खचाखच भरे विशाल पांडाल में 70 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने सामूहिक भागवत आरती की।