Thursday, 12 December, 2024

जहां ईश्वर की छत्रछाया, वहां खुले सुख-समृद्धि के द्वार -संत पं. प्रभूजी नागर

धर्मसभा : बड़ां के बालाजी तीर्थ धाम पर विराट श्रीमद् भागवत कथा के पंचम सोपान में एक लाख से अधिक श्रोताओं की उपस्थिति से विराट पांडाल भी छोटा पडा

अरविंद
न्यूजवेव @ बारां

मालवा के दिव्य गौसेवक संत पं.प्रभूजी नागर ने मंगलवार को श्रीमद भागवत कथा महोत्सव के पंचम सोपान में कहा कि जिस धरा पर ईश्वर की छत्रछाया पडेगी, वहां सुख-समृद्धि के द्वार खुल जाते हैं। बैकुंठ में बैठे परमात्मा की छत्रछाया कथा-सत्संग पर ही पडती है। ईश्वर हमेशा अपने भक्तों के आसपास ही रहता है।

पूज्य नागरजी ने छत्रछाया का प्रसंग सुनाते हुये कहा कि एक सेठ ने मंदिर के शिलालेख पर लिखा कि इसके शिखर पर सोने के 24000 के सिक्के लगाये हैं। संकट आने पर दीवाली के दिन दोपहर 12 बजे इससे निकाल लेना। 100 साल बाद सेठ परिवार में खाने के भी लाले पड गये। परिजनों ने शिलालेख पढकर मंदिर के शिखर व गर्भगृह को भी तोड दिया, लेकिन वहां कुछ नहीं मिला। उन्होंने एक महात्मा से पूछा तो जवाब मिला कि मंदिर को उसी उंचाई पर फिर से बना दो। धन की कमी हो तो मैं दे दूंगा। परिवार ने उंचा शिखर बनाया, फिर दीवाली पर दोपहर 12 बजे जहां उसकी छाया पडी, उसे खोदने पर सोने के वही सिक्के निकले। अर्थात् जहां हरि की छत्रछाया पडती हो, वहां सब कुछ मिल जाता है। भागवत कथाओं में चारभुजानाथ की इतनी प्रबल शक्ति होती है कि वे आसपास के घट में आ जाते हैं।

CM Shri Ashok Gehlot

संत प्रभूजी नागर ने धर्मसभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का वंदन करते हुये प्रदेश में गौरक्षा के लिये गौपालन मंत्रालय खोलने और उसकी कमान गौसेवक प्रमोद जैन भाया को सौंपने पर साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि कलिकाल के राजा हनुमान है, इसलिये आप हनुमानजी का स्मरण कर जनसेवा करेंगे तो अलौकिक उर्जा, प्रेरणा व रामभक्ति की अनुभूति होगी। अच्छे विचार और अच्छा समय दोनों जब मिलते हैं तो गुरू-पुष्य नक्षत्र जैसा पुण्य कार्य होता है। कथायें हमेशा आनंद का ही दर्शन कराती हैं।
जंगल में जड है तो कथा में जगदीश्वर

संत नागरजी ने कहा कि हमारा जीवन नाग-नवेले की लडाई जैसा है। नवेला जान बचाने के लिये जंगल में जडी-बूटी के लिये दौड जाता है। उसका सेवन कर फिर आ जाता है। इसी तरह, हमारा घर संसार ‘नाग’ ही है, आप नवेले बनकर जडी-बूटी लेने ही आये हो। कथा पांडाल में जगदीश्वर का वास है। संसार में न भोगना है,न भागना है। इन दोनों के बीच नेवले की तरह रहना है। याद रहे, भौतिकता में नास्तिकता कभी न आये।
पक्षी के पास ‘पर’, हमारे पास ‘परमात्मा’

उन्होने कहा कि पक्षी के पास ‘पर’ होते है, जिससे वह किसी जाम या कोहरे में रूकता नहीं है। हमें भी परमात्मा ने भक्ति के पर दिये है। जिनके पास भक्ति है, उनका कोई काम रूकता नहीं है। व्यस्त होकर भी जो मंदिर में आरती ले लेते हैं, उनमें श्री की रति प्रवेश कर जाती है। हर घर में तुलसी रामायण हो, तुलसी क्यारा हो, गले में तुलसी माला हो, वहां द्वारिकाधीश की रति व आशीर्वाद बना रहेगा।
सैनिक के दर्शन अर्थी में न हो, वर्दी में ही हो


संत प्रभूजी नागर ने कहा कि आज पुलवामा के अमर शहीदों को नमन करने का दिन है। भारत के सैनिक साधुओं से भी बढकर हैं। हम कथा में जप-तप, पूजन व भक्ति से यही प्रार्थना करें कि हमे भारतीय सैनिक के दर्शन हमेशा ‘वर्दी’ में ही हों, ‘अर्थी’ में कभी न हो। हम सब मिलकर भारत की माटी के सच्चे लालों की शहादत को नमन करते हैं।
अंत में प्रदेश के खान व गोपालन प्रमोद जैन भाया, जिला प्रमुख उर्मिला जैन भाया, श्री पार्श्व नाथ मानवसेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष यश जैन भाया ने श्रीमद् भागवत की महाआरती की और शांतिपूर्वक कथा सुनने सभी श्रद्धालुओं का वंदन किया। मंगलवार को विराट पांडाल का विस्तार करने के बावजूद लगभग 1 लाख भक्तों की उपस्थिति से बडा के बालाजी तीर्थ में विहंगम धार्मिक मेले जैसा उल्लास दिखाई दिया।
पांडाल में भक्तों ने मनाया सामूहिक ‘जप उत्सव’
पूज्य नागरजी ने पांडाल में ठहरने वाले गौभक्तों के साथ रात्रि में 8 बजे ‘ओम नमोः भगवते वासुदेवाय’ का सामूहिक जप उत्सव मनाया। जिसमें जिला प्रमुख उर्मिला जैन ने गुरूदेव के साथ मातृशक्ति के बीच एक घंटे तक सामूहिक मंत्रोच्चार किया। संत ने बताया कि इस तीर्थनगरी में सामूहिक भक्ति जप से पूरे बारां जिले में हमेशा सुख-शांति व खुशहाली बनी रहेगी।

कथा सूत्र

  • आरती की ज्योति से हाथों की रेखायें भी अच्छी हो जाती हैंं।
  • आज गौधन और युवाधन सुरक्षित नहीं रहा।
  •  जितनी आपकी उम्र है, उतनी ही स्पीड से गाडी चलाओ।
  •  संतान को माता-पिता की बात बुरी लगे तो मान लेना उसका बचपन चला गया।
  •  प्यार में वासना है और प्रेम में परमात्मा है।
  •  छूट जाये संसार प्रभू तेरा द्वार न छूटे रे..
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