दो वर्ष पूर्व उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य सरकार ने निगम आयुक्तों को जारी किया था सर्कुलर, शहरों में जो निर्माण बिना स्वीकृति किये जा रहे हैं, उन्हें अवैध मानकर तत्काल प्रभाव से रोकें।
न्यूजवेव @जयपुर
प्रदेश के सभी शहरांे एवं कस्बों में आवासीय कॉलोनियों में व्यावसायिक निर्माण होने से शून्य सैटबेक में अवैध निर्माण निरंतर बढते जा रहे हैं। साथ ही, सडकों पर बडे़ स्तर पर अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण किये जा रहे हैं। जिसे राज्य सरकार ने गंभीरता से लेते हुये 2 वर्ष पूर्व सभी निकायों के उच्चाधिकारियों को निर्देश दिये थे कि बिना स्वीकृति किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं होने दें तथा अवैध निर्माण कार्यों पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगाई जाये। शहरों व कस्बों में जो भी निर्माण कार्य बिना स्वीकृति किये जा रहे हैं, उन्हें अवैध मानकर तत्काल प्रभाव से रोकें।
स्वायत्त शासन विभाग के स्थानीय निकाय निदेशालय में शासन सचिव भवानी सिंह देथा ने 18 जुलाई,2019 को एक सर्कुलर जारी कर जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, अजमेर व भरतपुर सहित 6 नगर निगमों, सभी नगर परिषद व नगर पालिकाओं के आयुक्त एवं अधिशासी अधिकारियों को निर्देश दिये थे कि अपने क्षेत्र में अवैध निर्माण एवं अतिक्रमणों को काफी गंभीरता से लिया जाये, जिससे बडे़ स्तर पर हो रही राजस्व हानि को रोका जा सके। लेकिन दो वर्ष बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सका।
हाईकोर्ट के निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं निकाय
दो वर्ष पूर्व राजस्थान उच्च न्यायालय में ‘गुलाब कोठारी बनाम राजस्थान सरकार व अन्य’ के मामले में हाईकोर्ट ने स्थानीय निकायों में अवैध निर्माण एवं अतिक्रमणों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिये थे। इसके पश्चात् स्वायत्त शासन विभाग ने राज्य के सभी नगर निगमों व नगर परिषदों व पालिका आयुक्तों को सर्कुलर भेजकर अवैध निर्माण कार्यो पर तत्काल अंकुश लगाने एवं सरकारी मार्गों पर बढ रहे अतिक्रमणों को हटाने के निर्देश जारी कर दिये थे। ताकि आम नागरिकों को स्वच्छ जीवन यापन के लिये स्वच्छ हवा, प्रदूषण मुक्त वातावरण, बाधामुक्त आवागमन मिल सके। लेकिन दो वर्ष बाद भी सरकार के आदेश भी कागजों में धूल खा रहे हैं। सडकें वही, अतिक्रमण वही।
शहरों में अवैध निर्माण एवं अतिक्रमण करने वाले तत्व राज्य सरकार के भवन विनिमय का सरासर उल्लंघन कर रहे हैं। शासन सचिव ने निर्देश दिये थे कि स्थानीय निकायों की उदासीनता एवं कार्यरत कर्मियों एवं अधिकारियों द्वारा कर्तव्य पालन में कोताही बरतने से स्थानीय निकायों को राजस्व हानि उठानी पड रही है। लेकिन दुर्भाग्यवश राज्य सरकार ने एक भी अधिकारी को अवैध निर्माण कार्यों अथवा सडकों पर अतिक्रमण बढने के लिये जवाबदेह नहीं समझा।
स्थिति यह है कि शहरों की आवासीय कॉलोनियों में अवैध निर्माण कार्यों एवं सडकों पर अतिक्रमण के मामले में अधिकारियों की मिलीभगत होने से कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है। नागरिकों ने उच्च न्यायालय से अपील की है कि इस मुद्दे पर स्वतःप्रसंज्ञान लेकर निकाय अधिकारियों को न्यायालय के पूर्व निर्देशों की अनुपालना करने के लिये बाध्य करे।