कोटा डेंटल क्लिनिक पर 800 से अधिक दंत रोगियों की हुई सफल डेंटल इम्प्लांट सर्जरी। 15 वर्षों में अनुभवी दंत रोग विशेषज्ञ डॉ.धर्मेंद्र माहेश्वरी ने अत्याधुनिक तकनीक से 1.75 लाख दंत रोगियों का किया इलाज।
कोटा। अत्याधुनिक तकनीक से आपके दांतों की नेचुरल डिजाइनिंग कर दी जाए तो चेहरे पर नई मुस्कान लौट आती है। यह मुस्कान डेंटल इम्प्लांट सर्जरी से आसानी से संभव है। इस तकनीक को आम आदमी तक पहुंचाने पर कोटा डेंटल क्लिनिक के निदेशक एवं अनुभवी दंत रोग विशेषज्ञ डॉ.धर्मेंद्र माहेश्वरी को इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ ओरल इम्प्लांटोलॉजी, नईदिल्ली ने वर्ष 2017 में फैलोशिप प्रदान की।
पेरिस (फ्रांस) से डेंटल इम्प्लांट की वर्ल्डक्लास एडवांस टेक्नोलॉजी का विशेष प्रशिक्षण लेकर दंत रोग विशेषज्ञ डॉ.माहेश्वरी ने 2010 से शहर में केशवपुरा स्थित कोटा डेंटल क्लिनिक पर विभिन्न शहरों के 800 से अधिक रोगियों की सफल डेंटल इम्प्लांट सर्जरी की। उनके द्वारा लीक से हटकर किए गए प्रयासों से कोटा में मेडिकल टूरिज्म का नया अध्याय शुरू हुआ। यहां के हाइजनिक वातावरण में उचित दरों पर दर्दरहित सर्जरी मिलने से अन्य शहरों से दंत रोगी कोटा आकर डेंटल इम्प्लांट करवा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 15 अगस्त,2015 को जिला प्रशासन द्वारा डेंटल इम्प्लंांट में सर्वश्रेष्ठ सेवाएं देने पर डॉ.धर्मेंद्र माहेश्वरी को सम्मानित किया गया।
उन्होंने बताया कि रोगियों को अपने खराब या टूटे हुए दांतों की जगह नए दांत लगवाने के लिए बडे़ शहरों में दोगुना महंगा ट्रीटमेंट लेना पड़ता था, उन्होंने 2010 में विदेश से प्रशिक्षण लेकर कोटा में सर्वप्रथम डेंटल इम्प्लांट सर्जरी प्रारंभ की। इसके लिए क्लिनिक पर आर्थो पेंटाग्राफ (ओपीजी) की जांच सुविधा भी प्रारंभ की। इसके लिए साउथ कोरिया में निर्मित डिजिटल ओपीजी मशीन से दांतों के एक्सरे लिए जाते हैं।
‘साइनस लिफ्ट’ सिर्फ कोटा डेंटल क्लिनिक पर
नाक के नीचे के एरिया में दांत खराब हो जाने या किसी दुर्घटना में टूट जाने पर उन्हें फिर से नेचुरल दंातों की तरह करने के लिए डॉ.धर्मेंद्र माहेश्वरी ने शहर में सर्वप्रथम साइनस लिफ्ट जैसी जटिल प्रक्रिया की शुरूआत की। इस प्रक्रिया में वे रोगी के साइनस को उपर करके बॉन ग्राफ्ट करते हैं। फिर वहां डेंटल इम्प्लांट कर नेचुरल दांत की तरह मुस्कान लौटा देते हैं।
इसी तरह, किसी सड़क दुर्घटना में, चोट लगने पर या अन्य किसी कारण जबडे़ में फ्रेक्चर हो जाने पर दांतों को काफी नुकसान हो जाता है। ऐसे केस में वे रोगी के मुंह में सुरक्षित ढंग से इंटर मेग्जीलरी फिक्सेशन (तार) लगाकर कुछ समय पश्चात बŸाीसी को फिर से सामान्य कर देते हैं। जबड़ा जुड़ जाने से घायल व्यक्ति फिर से मुस्कराने लगता है।
मिसिंग टीथ के लिए उनका इम्प्लांट कराना ही सही उपचार है। दांत टेडे़-मेडे़ होने या मिसिंग होने पर उन्हें आगे-पीछे करने से 4-5 साल बाद उनमें दर्द होने लगता है। जबकि इम्प्लांट ट्रीटमेंट होने के बाद दांत आजीवन सामान्य व सुरक्षित रहते हैं।
बच्चों व महिलाओं में दांतों की समस्या ज्यादा
डॉ.माहेश्वरी ने बताया कि आजकल 90 प्रतिशत गृहणियां दिन में पानी कम पीती है, जिससे उनके दांतों में पायरिया होने की समस्या रहती है। दांतों को सुरक्षित रखने के लिए वे पर्याप्त पानी अवश्य पीएं।
नई जनरेशन की बात करें तो 5 से 12 वर्ष के बच्चे आजकल टॉफी, चॉकलेट, चिप्स या कोल्ड ड्रिंक का सेवन अधिक करते हैं, जिससे उनके दांतों में कीडे़ या अन्य प्रॉब्लम होने लगती है। ऐसे बच्चों को रूट कैनाल (आरसीटी) करवाकर राहत दे सकते हैं।
इनका कहना है-
मुझे दांतों में गेप होने से काफी तकलीफ रहती थी, कोटा में दंत रोग विशेषज्ञ डॉ.धर्मेंद्र माहेश्वरी ने कम समय में नई तकनीक से एक ही स्ट्रोक में टूथ का इम्प्लांट कर दिया। उसके बाद मैं नेचुरल टूथ की तरह महसूस करता हूं। पत्नी अंजुला भार्गव भी डेंटल इम्प्लांट के बाद अच्छा महसूस करती है। हमें कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ी।
– एके भार्गव, वाइस प्रेसीडेंट, सीएफसीएल, कोटा
मेरे दांतों में बहुत प्रॉब्लम होने से जयपुर सहित अन्य जगह कई डॉक्टर्स को दिखाया लेकिन आराम नहीं मिल सका। जानकारी मिलने पर मैने कोटा आकर डेंटल क्लिनिक में चेेकअप कराया। यहां मात्र आधे घंटे में दांत का डेंटल इम्प्लांट कर दिया गया। अजमेर से 4 अन्य रोगियों ने भी यहां दांतों का इम्प्लांट कराया।
– एलएल सोनी, अजमेर
दांत खराब हो जाने से मुझे खाना खाने में प्रॉब्लम होने लगी थी। रूट कैनाल ट्रीटमेंट से भी आराम नहीं मिला। फिर अंत में डेंटल इम्प्लांट कराने का निर्णय लिया। अब मैं बिल्कुल नॉर्मल हूं।
– एसडी चौहान, खानपुर