CBSE स्टूडेंट्स ने जनहित याचिका में न्यायोचित मांग की
न्यूजवेव @ नईदिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, हाल ही में सीबीएसई ने 10वीं एवं 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के वैकल्पिक मूल्यांकन के बारे में निणय लिया है। याद दिला दें कि 25 जून को सीबीएसई द्वारा 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाएं रद्द कर दी गई थी। इस संबंध में जब 9 जून 2020 को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई तो सीबीएसई ने कोरोना महामारी के फैलाव को देखते हुये परीक्षायें स्थगित करने का निर्णय लिया।
25 जून को लिए गए निर्णय के अनुसार 12वीं कक्षा के छात्रों को दो विकल्प दिए गए। पहला, वे स्थिति अनुकूल होने पर परीक्षा दें अथवा उन्हें पूर्व में हुई परीक्षाओं के आधार पर औसत अंक दिए जाएंगे। विद्यार्थियों का कहना है कि यह दोनों विकल्प सर्वमान्य नहीं है क्योंकि परीक्षा-योग्य स्थिति, आकलन और परिणाम साल के अंत तक जारी किए जा सकेंगे और हर विद्यार्थी इस तरीके से एक साल बर्बाद नहीं कर सकता। यह नई प्रणाली एकतरफा प्रतीत होती है जिसमें कुछ विद्यार्थियों को औसत अंक मिलेंगे और कुछ को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर पास होंगे।
इतना ही नहीं, सीबीएसई का यह बैच 4 सालों से काफी परेशानियों से गुजरा है, फिर चाहे वह 9 साल से चले आ रहे सीसीई पैटर्न को हटाना हो या फिर पूर्ण पाठ्यक्रम को लागू करना। गत वर्ष नई शिक्षा प्रणाली को लागू किया गया जिसके विषय में पूरे वर्ष कोई भी विश्वसनीय सूचना नहीं दी गई। इससे स्टडेंट्स को कई बार तनाव महसूस हुआ।
सीबीएसई स्टूडेंट्स बोले कि अब हम थक चुके हैं। 12वीं बोर्ड विद्यार्थियों ने मांग की कि सीबीएसई प्रशासन सभी मार्कशीट पर अनिवार्य रूप से अंकित करे कि ‘‘यह परिणाम नई स्कीम के अनुसार कोविड-19 की विशेष परिस्थितियों में जारी किया गया है‘‘। भविष्य में जब भी इसे पेश किया जाए तो उल्लेखित विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाए अन्यथा अनीति होने की संभावना है।
विद्यार्थियों ने एक याचिका अभियान (पेटीशन) शुरू किया है जो मार्कशीट पर उपर्युक्त स्थिति अंकित करने की मांग करता है। उन्होंने देश के अभिभावकों एवं विद्यार्थियों से अपील की कि वे याचिका पर हस्ताक्षर कर न्याय की जंग में साथ दें।
पेटीशन का लिंक- http://chng.it/VfMRCfkk
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