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मद्रास हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, जोसा ने रोकी काउसंलिंग प्रक्रिया, आईआईटी कानपुर के खिलाफ चेन्नई की एक छात्रा ने दायर की थी याचिका
न्यूजवेव @ चेन्नई/कोटा
मद्रास हाईकोर्ट ने आईआईटी, कानपुर को निर्देश दिए कि जेईई एडवांस्ड,2018 में उन अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाए, जिन्होंनेे पेपर हल करते समय इंटीजर के सवालों में दशमलव के दो अंकों तक राउंड ऑफ करके उत्तर दिए हैं। इसके बाद उन विद्यार्थियों को वरीयता दी जाए, जिन्होंने राउंड ऑफ वैल्यू को दशमलव एक अंक तक या बिना दशमलव के उत्तर दिए हैं।
जस्टिस एस.वैद्यनाथन ने इस वर्ष जेईई-एडवांस्ड पेपर देने वाली एक 17 वषीर्य छात्रा एल. लक्ष्मीश्री द्वारा 20 मई को दायर याचिका पर यह अंतरिम निर्णय दिया है। उसके पिता आर.लक्ष्मणन चेन्नई में एडवोकेट हैं। हाईकोर्ट का मानना है कि जिन्होंने पेपर में निर्देशों का अनुसरण नहीं किया, उनको पूरे अंक देने से दूसरे विद्यार्थियों की रैंकिंग प्रभावित हो सकती है।
गौरतलब है कि 20 मई को हुई जेईई-एडवांस्ड परीक्षा के पेपर-1 में निर्देश अंकित किए गए थे कि परीक्षार्थी सेक्शन-2 के 8 इंटीजर प्रश्नों के उत्तर सही न्यूमेरिकल वैल्यू में देते समय ध्यान रखें कि सही उत्तर को दशमलव के दो अंकों तक राउंड ऑफ करना है। इससे यह स्पष्ट था कि पूरे अंक उसी विद्यार्थी को दिए जाएंगे, जिसने निर्देशों के अनुसार दशमलव के दो अंकों तक सही उत्तर दिए हैं।
जोसा ने रोकी काउसंलिंग प्रक्रिया
ज्वाइंट सीट अलाटमेंट अथॉरिटी (जोसा) ने शुक्रवार को वेबसाइट पर स्पष्ट किया कि दूसरे राउंड में सीट आवंटन के बाद दस्तावेज सत्यापन व रिपोर्टिंग केंद्रों पर रिपोर्ट करके स्वीकृति प्रक्रिया तब तक स्थगित रहेगी, जब तक 2 जुलाई को मद्रास हाईकोर्ट द्वारा आदेश से संबंधित रिट अपील के आदेश प्राप्त नहीं होते। राउंड-2 में सीट आवंटन के बाद विद्यार्थियों को 5 जुलाई तक रिपोर्टिंग करना था। निर्धारित शैड्यूल के अनुसार, 6 जुलाई को राउंड-3 का सीट आवंटन होना था। जो न्यायिक कारणों से फिलहाल रोक दिया गया है।
अतिरिक्त समय के लिए जिम्मेदार कौन
याचिकाकर्ता छात्रा लक्ष्मीश्री ने कहा कि निर्देश पढ़कर पेपर सॉल्व करते समय न्यूमेरिकल वैल्यू को दो अंकों तक राउंड ऑफ करने में उनका कीमती समय ज्यादा लगा। जबकि कई परीक्षार्थियों ने बिना निर्देश पढे़, उत्तर देते समय दशमलव अंकों का कोई ध्यान रखा और दशमलव के एक अंक तक या बिना दशमलव अंक उत्तर दे दिए।
पेपर होने के बाद यह निर्देश दिए थे
पेेपर होने के बाद आईआईटी, कानपुर ने वेबसाइट पर यह स्पष्टीकरण दिया कि यदि इंटीजर का उत्तर 11 है तो उसे 11, 11.0 या 11.00 लिखने वाले सभी उत्तर सही माने जाएंगे। वेबसाइट पर यह सूचना पढ़कर याचिकाकर्ता ने 1 जून को आईआईटी, कानपुर को ई-मेल भेजकर लिखा कि पेपर में अंकित मूल निर्देश पढ़कर जिन्होंने प्रश्न हल किए हैं, उनकी दशमलव के दो अंकों तक कैलकुलेशन में अतिरिक्त समय खर्च हुआ है, जिससे उनके मार्क्स व रैंक भी प्रभावित हो सकती है। लेकिन प्रवेश परीक्षा कराने वाली अथॉरिटी ने कोई जवाब नहीं दिया, जिससे प्रभावित छात्रा नेे कोर्ट में याचिका दायर कर दी।
2 जुलाई को मद्रास हाईकोर्ट ने अंतिम सुनवाई में आईआईटी अथॉरिटी ने तर्क दिया कि परीक्षा में कुल छात्रों को चयनित करते समय मूल्यांकन के दोनों पहलू में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। न्यायमूर्ति ने निर्णय दिया कि मूल्यांकन में याचिकाकर्ता सहित उन सभी परीक्षार्थियों को वरीयता दी जाए, जिन्होंने पेपर में निर्देशों का पालन किया है ताकि परीक्षा में चयनित परीक्षार्थी प्रभावित नही हों। हालांकि इससे उनकी रैंकिंग में बदलाव आ सकता है।
जेईई-एडवांस्ड में पारदर्शिता की कमी
कॅरिअर पॉइंट के निदेशक आईआईटीयन प्रमोद माहेश्वरी ने कहा कि जेईई एडवांस्ड,2018 में पारदर्शिता की कमी रही, आईआईटी, कानपुर को वेबसाइट पर दोनों पहलुओं को स्पष्ट करना चाहिए कि पेपर में जो निर्देश दिए गए थे, मूल्यांकन उनके अनुसार हुआ या नहीं। पेपर होने के तुरंत बाद निर्देश में संशोधन क्यों किया गया। मद्रास हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई में आईआईटी ने जो जवाब दिया उसे वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए कि मूल्यांकन किस आधार पर किया गया है, इससे पेपर-1 देने वाले 1.57 लाख परीक्षार्थियों का असमंजस दूर हो सकेगा।
अब तक 12,071 को आईआईटी में सीट मिली
दूूसरी ओर, इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट के निर्णय से पूर्व जोसा द्वारा जेईई-एडवांस्ड की काउंसलिंग में राउंड-2 तक 23 आईआईटी की 12,071 सीटें चयनित विद्यार्थियों को आवंटित की जा चुकी हैं। इस वर्ष 10,219 छात्रों एवं 1852 छात्राओं को रैंक के आधार पर विभिन्न आईआईटी में एडमिशन दिए गए हैं।