न्यूजवेव @ कोटा
कोटा यूनिवर्सिटी में आई.पी.आर. सेल द्वारा ज्योग्राफिकल इन्डिकेशन पर दो दिवसीय नेशनल सेमिनार आयोजित की गई। मुख्य वक्ता यूनाइटेड आई.पी.आर.,नईदिल्ली के गौरव गोगाई ने ज्योग्राफिकल इन्डीकेशन के लिये आवेदन फाइल करने की विधि को समझाया। उन्होने कहा कि शोधकर्ताओं को नेशनल व इंटरनेशनल ज्योग्राफिकल इन्डीकेशन के बारे में कानूनी जानकारी होना आवश्यक है।
समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुये कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में शोध कार्य पूरा करने के बाद पेटेन्ट पर विशेष फोकस करना चाहिये। इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (आईपीआर) उनके अनुसंधान को भविष्य के लिये सुरक्षित करता है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक राज्य की भौगोलिक स्थिति उस क्षेत्र के उत्पाद को विशिष्ट पहचान देकर लोकप्रिय बनाती है। जैसे-बनारस की साडी, कोटा साडी, कोटा स्टोन, कश्मीर की पेशमीना शाल, बीकानेरी भुजिया, सांगानेरी प्रिंट, कानपुर के जूते इत्यादि शहर की भौगोलिक पहचान व जलवायु आदि को दर्शाते हैं।
द्वितीय सत्र में राजस्थान यूनिवर्सिटी के डॉ. मंयक बरनवाल ने कश्मीर की पश्मीना शॉल एवं कम्बोडिया के कम्पोट मिर्च के ज्योग्राफिकल इन्डी़केशन के बारे में जानकारी दी। सेमीनार में मुख्य अतिथि नगर निगम के उपायुक्त आईएएस देवेन्द्र कुमार व विशिष्ट अतिथि सचिन साहू थेे। इस मौके पर युवा उद्यमी आईआईटीयन सचिन झा ने ज्योग्राफिकल इन्डी़केशन एवं आई.पी.आर. के सामाजिक सरोकार के बारे में बताया।
तीसरे सत्र में जयपुर के डॉ. पंकज त्यागी ने प्रतिभागियों के सवालों के जवाब दिये। उन्होंने जी.आई. के तीन चरणों के बारे बताया। सोजत मेंहदी को जी.आई. मार्क दिलाने के लिए प्रोसेस को समझाया। आई.पी.आर. सेल की नोडल अधिकारी प्रो.आशुरानी ने नेशनल सेमिनार की उपयोगिता बताते हुये में छात्रों को पेटेन्ट एवं वी.आई. आदि की जानकारी दी। सेमिनार में आशीष असोपा ने सबका आभार जातया। संचालन अंकित शर्मा ने किया।