देश में 4 लाख मीट्रिक टन धनिये की पैदावार, किसान, मसाला उत्पादक, व्यापारी व निर्यातक धनिये के पूर्वानुमान पर करेंगे संवाद
न्यूजवेव@ कोटा
खाद्य पदार्थ कन्वेसिंग एजेन्ट एसोसियेशन एवं भामाशाह मंडी के धनिया व्यापारियों के तत्वावधान में तृतीय नेशनल धनिया सेमिनार रविवार 10 मार्च को झालावाड रोड स्थित निजी होटल कन्ट्री इन में आयोजित की जाएगी, जिसका उद्घाटन प्रातः 10 बजे संभागीय आयुक्त एल.एन. सोनी करेंगे। सेमीनार में विभिन्न राज्यों के 500 से अधिक प्रतिनिधी भाग लेंगे।लाडपुरा विधायक युवरानी श्रीमती कल्पना देवी अवार्ड समारोह में मुख्य अतिथि होंगी ।
एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाशचंद दलाल ने बताया कि देश में प्रतिवर्ष 4 लाख मीट्रिक टन धनिये का उत्पादन होता है। हाडौती इसकी सबसे बडी मंडी है। औषधीय गुणों से युक्त धनिये की खेती राजस्थान, मध्यप्रदेश व गुजरात में सर्वाधिक होती है। अन्य राज्यों में खेती का प्रतिशत कम होता है। यहां का धनिया दक्षिण एशिया, मैक्सिको, टेक्सास, लैटिन अमेरिका, चीन, अफ्रीका, फ्रांस व दक्षिण पूर्व एशिया में खाद्य पदार्थों के लिये निर्यात होता है। आज भारत दुनिया के निर्यात बाजार में सबसे बडा उत्पादक देश है। रूमानिया, यूएई, रूस, मोरक्को, इरान व आस्टेªलिया धनिये की पैदावार में भारत से पीछे हैं। अकेले हाडौती अंचल में प्रतिवर्ष 35 लाख बैग धनिये की आवक होती है। इसके परिशोधन की नई तकनीक पर भी चर्चा होगी। देश-विदेश के निर्यातक इस उत्पादन क्षेत्र पर नजर रखते हैं।
विश्लेषक बताएंगे तकनीकी पहलू
धनिया ब्रोकर महावीर गुप्ता ने बताया कि कोटा में होने वाली तृतीय नेशनल धनिया सेमिनार में तमिलनाडू, केरल, महाराष्ट्र एवं् अन्य राज्यों से कई प्रतिनिधी 9 मार्च को कोटा पहुंचेंगे। सेमिनार में कमोडिटी बाजार विश्लेषक कमल शर्मा, अजय केडिया एवम् नरेश सुथार धनिया पर टेक्निकल व्यू प्रस्तुत करेंगे। एम.डी.एच, एवरेस्ट, कैच, आची, शक्ति एवम् ईस्टर्न मसाले के प्रतिनिधि भी सेमिनार में शिरकत करेंगे।
धनिया व्यापारी फसल उत्पादन अनुमान, भावी सौदे तथा बाजार की चाल का पूर्वानुमान जानने के लिये परस्पर चर्चा व मंथन करेंगे। बेचवाल तथा लेवाल के बीच सीधा संवाद होने से व्यापार में आ रहे परिवर्तन पर चर्चा होगी। मसाला उत्पादकों के प्रतिनिधि, निर्यातक, ट्रेडर्स, दलाल एवं कोलेट्रल वेयरहॉउसिंग कम्पनियों के लिये यह बेहतर प्लेटफार्म होगा, जहां नई संभावनाओं के साथ तालमेल रखते हुये व्यापार कोे बेहतर कर सकेंगे।
सरहद पार पहुंचती है धनिये की खुशबू
एसोसिएशन के सचिव रतनलाल गोचर ने बताया कि हाडौती का धनिया उम्दा किस्म के लिये पूरे देश में पसंद किया जाता हैं। यहां के धनिये की तासीर है कि 2-3 वर्ष तक यह खराब नही होता है। इसकी खुशबू एवं इसमें उपस्थित तेल (अर्क) के कारण यह पहली पसंद है। वर्तमान में धनिया के राजस्थान में लगातार घटते रकबे से क्षेत्र में उत्पादन लगातार घट रहा है, जिस पर कृषि विभाग के वैज्ञानिक, व्यापारी एवं किसान प्रतिनिधि चर्चा कर पैदावार बढाने के लिये उपयोगी सुझाव देंगे। इस नेशनल सेमिनार से कोटा शहर को धनिया निर्यात के क्षेत्र में नई पहचान मिलेगी।