तृतीय नेशनल धनिया सेमिनार में 9 राज्यों से आये 550 प्रतिनिधी, निर्यातक एवं कृषि विशेषज्ञ, कोटा में हवाईसेवा की कमी पर उठाई आवाज
न्यूजवेव@ कोटा
‘सब्जी के साथ कभी मुफ्त में मिलने वाला गुणकारी धनिया अब कीमती हो गया है। मसाले के बाद इसके ऑयल से मेडिसिन भी बनने लगी है। राजस्थान व मध्यप्रदेश का धनिया कई देशों में पहली पसंद बन चुका है। इसका अरोमा यानी खूशबू दुनियाभर में मशहूर है। देशभर के विशेषज्ञ व मसाला उत्पादकों के तकनीकी सुझावों से धनिये की खेती करने वाले किसानों को इसकी क्वालिटी में सुधार करने का मौका मिलेगी, उनकी आय भी बढे़गी।’
रविवार को होटल कंट्री इन में खा़द्य पदार्थ कन्वेसिंग एजेंट एसोसिएशन द्वारा आयोजित तृतीय नेशनल धनिया सेमिनार का उद्घाटन करते हुये संभागीय आयुक्त एल.एन.सोनी ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि हरे धनिये की राजस्थान में अच्छी पैदावार हो रही है, ऐसे उपयोगी सेमिनार से इसके निर्यात के लिये नये रास्ते खुलेगे, जिससे हाड़ौती अंचल के किसानों को लाभ मिलेगा।
प्रथम सत्र में लाडपुरा विधायक कल्पना देवी ने कहा कि हमें खुशी है हाडौती के किसान यहां के धनिये की खुशबू देश से बाहर तक फैला रहे हैं। मेरी मां शिमला से फोन करके कोटा से धनिया मंगवाती है। इसका निर्यात बढाने के लिये कोटा में जल्द हवाई सेवा प्रारंभ करने के लिये प्रयास तेज करेंगे। राजस्थान में इसका रकबा लगातार घट रहा है, जबकि पैदावार अच्छी हो रही है, इसे बढाने के लिये आवाज उठाएंगे।
खा़द्य पदार्थ कन्वेसिंग एजेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाशचंद दलाल ने बताया कि तृतीय धनिया सेमिनार के दो सत्रों में हुई पैनल चर्चा के अनुसार, इस वर्ष देश में 65 से 70 लाख बेग धनिया की पैदावार होगी। इतना ही पिछले वर्ष का स्टाक होने से इस वर्ष की उपलब्धता 1.30 करोड़ बोरी रहेगी। धनिये का निर्यात व औसत घरेलू खपत 1.20 करोड़ बोरी होने से इसकी डिमांड बनी रहेगी, जिससे मंदी आने की संभावना नहीं रहेगी।
नई किस्म पर शोध जारी
विशिष्ट अतिथि हॉर्टिकल्चर विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ.रामअवतार शर्मा एवं पीके गुप्ता ने कहा कि उद्योग वानिकी द्वारा बोरखेडा में धनिये की नई किस्म इजाद करने पर शोध चल रहा है, जिसमें इसमें ऑयल की मात्रा बढाई जा सके। धनिये में ऑयल बढने से विदेशों में इसकी डिमांड और बढ जाएगी। किसानों को जागरूक करने के लिये ऐसे सेमिनार बहुत फायदेमंद हैं।
मसाला कंपनियां खरीदती हैं 50 फीसदी धनिया
आची मसाला फूड्स, चेन्न्ई के सीनियर मैनेजर एस. धंडापनी ने कहा कि हम राजस्थान में कोटा व रामगंजमंडी से व मप्र के कुंभराज से अच्छी क्वालिटी का धनिया खरीदते हैं। यहां देश में नबर-1 क्वालिटी मिलती है। हम सभी देशों मे मसाला निर्यात करते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि किसान धनिये की खेती में पेस्टिसाइड्स का प्रयोग कम करें और आर्गेनिक धनिया को बढावा दें।
सबसे बड़ी धनिया निर्यातक कंपनी पीसी कनन, विरूद्धनगर के निदेशक पीसीके महेश्वरन ने कहा कि पिछले 2 वर्षों में धनिये का निर्यात कम रहा, लेकिन इस वर्ष 45 हजार मीट्रिक टन (10 लाख बोरी) धनिया निर्यात होने की संभावना है। हमारे देश में धनिये की फसल तैयार हो गई है, जबकि रूस व यूक्रेन में नई फसल जुलाई के अंत तक आएगी। उन्होने कहा कि राजस्थान व मप्र के हरे धनिये की दुनिया में सबसे अधिक डिमांड रहती है। पीसी कनन कंपनी को धनिया में सर्वश्रेष्ठ निर्यात के लिये 12 से अधिक अवार्ड मिल चुके हैं।
धनिया ब्रोकर महावीर गुप्ता व किरीट भाई ने कहा कि नेशनल धनिया सेमिनार में देश के व्यवसायियों ने धनिया पैदावार, फसल पूर्वानुमान, क्वालिटी, खपत आदि पर पैनल चर्चा कर उपयोगी सुझाव दिये। एसोसिएशन के सचिव रतनलाल गोचर ने सभी प्रतिनिधियों का आभार जताया। दक्षिण भारत से एक दिन पूर्व आए प्रतिनिधियों ने कहा कि कोटा में एशिया की सबसे बडी भामाशाह मंडी होने से यहां एयर कनेक्टिविटी आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।