आजादी के अमृत महोत्सव पर केंद्रीय आदिवासी मंत्रालय द्वारा विशेषज्ञों एवं शिक्षाविदों की राष्ट्रीय वेबिनार
न्यूजवेव @ नईदिल्ली
भारत सरकार के आदिवासी मंत्रालय ने सभी राज्यों में आदिवासी क्षेत्रों के पिछडे़ वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं प्रत्येक संकाय में कॅरिअर गाइडेंस देने के उद्देश्य से आजादी के 75वें अमृत महोत्सव पर राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित की। इसके माध्यम से विशेषज्ञों ने एकलव्य मॉडल रेजीडेंशियल स्कूलों (EMRS) में अध्ययनरत कक्षा-9वीं से 12वीं तक 20 हजार से अधिक विद्यार्थियों को सिविल सेवा, इकोनॉमी, इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, लॉ, विज्ञान, कला एवं कॉमर्स के क्षेत्र में कॅरिअर के अवसरों की तथ्यात्मक जानकारी दी।
विशेषज्ञ वक्ताओं ने दिये कॅरिअर मंत्र
वेबीनार में मुख्य वक्ता केंद्रीय शिक्षा मत्रालय के सहायक सचिव IAS जतिन किशोर, केरल हाउस के आयुक्त IAS सौरभ जैन, खनन मंत्रालय के सहायक सचिव IAS रौनक अग्रवाल, ग्रामीण विकास मंत्रालय की सहायक सचिव IES सुरूचि सिंह, सिविज जज न्यायमूर्ति अभितेष कुमार, केंद्रीय सचिवालय के सहायक निदेशक IES अंशुमान कमिला, ई-सरल पढो इंडिया कोटा के निदेशक सारांश गुप्ता, एम्स गोरखपुर की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ पारूल सिंह, एम्स, दिल्ली के सीनियर रेजीडेंट डॉ.एश्वर्य राठौड़, UPSC-2021 में AIR-1 रहे IAS शुभम कुमार, NESTS के उपायुक्त अमित साहू ने आजादी के 75वें अमृत महोत्सव में देश के आदिवासी क्षेत्रों में पिछले वर्ग के 20 हजार से अधिक गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण स्कूली एवं उच्च शिक्षा दिलाने के लिये उपयोगी सुझाव दिये।
‘पढ़ो इंडिया मूवमेंट’ की अनूठी पहल
वेबिनार में कोटा से ई-सरल ‘पढो इंडिया मूवमेंट’ के निदेशक आईआईटीयन सारांश गुप्ता ने कहा कि वे विभिन्न राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों के हजारों विद्यार्थियों को ऑनलाइन माध्यम से कॅरिअर काउसंलिंग एवं सही शिक्षा के लिये गाइडेंस दे रहे हैं। पढ़ो इंडिया मूवमेंट के माध्यम से सुदूर गांवों के बच्चों को घर बैठे अनुभवी शिक्षकों द्वारा रियायती शुल्क पर जेईई-मेन, जेईई-एडवांस्ड एवं नीट-यूजी प्रवेश परीक्षाओं की ऑनलाइन कोचिंग भी दी जा रही है। जिससे आदिवासी क्षेत्रों के प्रतिभावन विद्यार्थियों में आत्मविश्वास जागृत हुआ है।
देश में 226 एकलव्य मॉडल रेजीडेंशियल स्कूल
भारत सरकार द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये देश में 226 एकलव्य मॉडल रेजीडेंशियल स्कूल (EMRS) खोले जा चुके हैं, जिसमें से 68 स्कूल सीबीएसई से संबद्ध हैं। ये स्कूल ऐसे क्षेत्रों में खोले गये जहां 50 प्रतिशत आबादी अनूसूचित जनजाति हो या 20 हजार से अधिक आदिवासी हों। भारत सरकार द्वारा एकलव्य स्कूलों को प्रतिवर्ष 30 लाख रूपये अनुदान दिया जा रहा है। इनमें केंद्रीय विद्यालयों एवं नवोदय स्कूल की तरह गरीब आदिवासी विद्यार्थियों को स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। शिक्षाविदों ने कहा कि विभिन्न राज्यों के एकलव्य मॉडल रेजीडेंशियल स्कूलों में अध्ययनरत आदिवासी विद्यार्थी सिविल सेवाओं, लॉ, इकोनॉमी, आईआईटी, इंजीनियरिंग एवं मेडिकल सेवाओं में अपनी रूचि एवं योग्यता से कॅरिअर बनाकर भारत के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।