Saturday, 20 April, 2024

‘जानो, सोचो और करो’- अजय अग्रवाल

आईएसटीडी, कोटा चेप्टर द्वारा श्रीराम रेयंस उद्योग में ‘इमोशनली इंटेलिजेंट लीडरशिप’ थीम पर वर्कशॉप

न्यूजवेव @ कोटा

इंडियन सोसाइटी फॉर ट्रेनिंग एंड डवलपमेंट (आईएसटीडी) कोटा चेप्टर द्वारा श्रीराम रेयंस उद्योग में ‘इमोशनली इंटेलीजेंट लीडरशिप’ थीम पर वर्कशॉप आयोजित की गई।

मुख्य वक्ता नेशनल कॉर्पोरेेट ट्रेनर, थ्री-पी इंडिया एसोसिएट्स के डायरेक्टर अजय अग्रवाल ने इमेाशनल इंटेलीजेंस को आसानी से समझने के लिए ‘जे.एस.के.’ (जानो सोचो और करो ) का सिद्धांत दिया। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य करने से पहले जानो एवं सोचो। फिर कोई कदम उठाना सही दिशा में होगा। इमोशनली इंटेलीजेंट लीडर के तत्वों को समझाते हुए उन्होने कहा कि काम पर अपने ईक्यू के प्रभाव की खोज करें ।

कूटनीति, रणनीति और विश्वसनीयता के साथ संवाद करने के प्रभावी गुर 

  • मुश्किल बातचीत और चुनौतीपूर्ण स्थितियों को संभालना जाने
  • अपनी भावनाओं के साथ साथ अपने अधीनस्थ की भावनाओं को समझें
  • उन व्यवहारों पर प्रभावी रूप से अमल करें जो आपको सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तक पहुंचा सकते हैं
  • यह जानें कि लोगों को सटीक रूप से कैसे पढ़ा जाए और यह सुनें कि वे वास्तव में क्या कह रहे हैं
  • संघर्ष के भावनात्मक पहलुओं का मैनेजमेंट करना सीखें।

पांच गुणों से करें स्किल डेवलपमेंट

इमोशनल इंटेलीजेंस के एक्सपर्ट अजय अगरवाल ने वर्कशॉप में ईक्यू के लिए पांच प्रमुख तत्वों पर फोकस किया। उन्होने कहा कि स्किल डेवलपमेंट व लीडरशिप के लिए आपके भीतर ये पांच गुण होना जरूरी है-

  • अवेयरनेस
  • आत्मनियंत्रण
  • प्रेरणा
  • सहानुभूति
  • सामाजिक कौशल

विवादों से बचने का भावनात्मक पहलू

श्रीराम रेयंस के यूनिट हेड व सीनियर वाइस प्रेसिडेंट वीके जेटली ने विडियोे मैसेज के जरिए आज के दौर में इमोशनल इंटेलीजेंट लीडरशिप की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि ऐसी उपयोगी वर्कशॉप के माध्यम से संस्थानों में समय-समय पर उठने वाले विवादांे को रोका जा सकता है।
आईएसटीडी राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के.एम.टंडन ने बताया कि अजय अग्रवाल 11 वर्षों से कॉर्पोरेट प्रशिक्षण देकर अब तक 20,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित कर देश के विभिन्न संस्थानों के लाभ के लिए डिफरेंस क्रिएट कर चुके हैं।

चेयरपर्सन अनीता चौहान ने कहा कि जब आप भावनाओं के बारे में सोचते है वो भावनात्मक बुद्धिमत्ता से शुरूआत होती है। जिसे स्वयं और सामाजिक जागरूकता कहा जाता है। हमें भावनाओं और उनके प्रभाव को स्वयं और दूसरों में पहचानने की क्षमता अवश्य रखनी चाहिए।

आईएसटीडी कोटा सदस्य नवीन अग्रवाल ने बताया कि वर्कशॉप में श्रीराम रेयंस के सीनियर मैनेजमेंट ने हिस्सा लिया। इस दौरान विडियो प्रजेंटेशन से ऑफिस में रोज की बातचीत के तरीके, स्ट्रेस फ्री वातावरण, टीम स्पिरिट, सही कम्यूनिकेशन के तरीके आदि को व्यवहारिक तरीके से समझाया। श्रीराम रेयंस की ओर से कोयल मित्रा एवं मणी ने आभार जताया।

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