मंथन: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) से स्कूल स्तर से उच्च शिक्षा संस्थानों तक हॉलिस्टिक एजुकेशन को मिलेगा बढावा, स्किल बेस्ड लर्निंग से मिलेंगे जॉब के नये अवसर।
अरविंद
न्यूजवेव@ जयपुर/कोटा
प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत‘ पर केंद्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 कुछ हद तक विकसित देशों के शिक्षा पैटर्न पर आधारित है। ज्ञान-विज्ञान-अनुसंधान के मापदंडों पर फोकस शिक्षा सिर्फ रटने-पढने और डिग्री लेने तक सीमित न रहकर हॉलिस्टिक एप्रोच से वोकेशनल लर्निंग भी देगी, जिससे कॉलेज स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में जॉब के नये अवसर उपलब्ध होंगे।
आईपी मोमेंट, नईदिल्ली के संस्थापक निदेशक डॉ.परेश कुमार सी. दवे ने एक वेबिनार में कहा कि, एनईपी-2020 में उच्च शिक्षा में अनुसंधान को बढावा देने के लिये ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन‘ गठित करना एक दूरगामी कदम है। देश के लाखों युवाओं में रिसर्च के प्रति रूचि जागृत होगी, इसके लिये उन्हें एक नेशनल प्लेटफॉर्म मिलेगा। देश के सभी यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में सभी अकादमिक विषयों में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने से उच्च शिक्षा में इसका रूझान बढे़गा।
देश में प्रति एक लाख पर 15 शोधकर्ता
रिसर्च व इनोवेशन (R&I) में निवेश की संभावनायें आबादी के अनुपात में अनुसंधान उत्पादन पर निर्भर करती है। भारत के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, देश में प्रति एक लाख आबादी पर केवल 15 शोधकर्ता हैं, जबकि चीन में 111, संयुक्त राज्य अमेरिका में 423 और इजराइल में 825 शोधकर्ता हैं। एक स्टडी के अनुसार, यूरोप में आर्थिक विकास का दो-तिहाई हिस्सा अनुसंधान और नवाचार (R&I) से मिलता है। दुनिया के प्रत्येक देश में अनुसंधान और नवाचार (R&I) निवेश 2 से 5 प्रतिशत की सीमा में है। भारत में आर एंड आई निवेश 2008 से 2014 के बीच नहीं बढ़ सका, जिसे शिक्षा नीति के माध्यम से तेजी से आगे बढाना है।
बच्चों को स्टार्टअप पॉलिसी से जोडें
उन्होंने कहा कि पिछले साल, केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय नवाचार और स्टार्टअप नीति घोषित की थी। इसमें छात्र उद्यमियों को अनुमति के बावजूद परीक्षा में बैठने की अनुमति है, भले ही उनकी न्यूनतम उपस्थिति कम हों। छात्रों व फैकल्टी को स्टार्टअप में काम करने के लिए सेमेस्टर और वर्ष के ब्रेक की अनुमति दी जाएगी और उन्हें फिर से प्रोग्राम में शामिल किया जाएगा। संस्थान किसी कंपनी में 2 से 9.5 फीसदी इक्विटी में हिस्सेदार हो सकते हैं। विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई कि एनईपी में स्टार्टअप पॉलिसी को भी शामिल किया जायेगा।
IPR व पेटेंट भी कोर्स का हिस्सा हों
आईपीआर विशेषज्ञ डॉ.परेश दवे के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में अनुसंधान व नवाचार के साथ बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और पेटेंट पहलू को भी सिलेबस में शामिल किया जाये। जब विदेशी यूनिवर्सिटी को भारत में कैम्पस खोलने की अनुमति दे दी गई है तो शोध कर रहे भारतीय विद्यार्थियों को इंटेलेक्चुल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) व पेटेंट के बारे में जानकारी अवश्य होना चाहिये अन्यथा भारतीय रिसर्च स्कॉलर मेहनत से किसी क्षेत्र में अनुसंधान करेंगे, फॉरेन यूनिवर्सिटी अथवा कंपनिया उसका पेटेंट करवाकर आर्थिक लाभ अर्जित करती रहेगी।
अभी देश में रिसर्च पेटेंट कम
डॉ. दवे ने बताया कि भारत में दायर पेटेंट आवेदनों की संख्या और आगे अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट आवेदन की संख्या का देखें तो चीन व संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रतिवर्ष 11 से 13 लाख पेटेंट फाइलिंग होती है, जबकि भारत में प्रतिवर्ष केवल 50,000 पेटेंट आवेदन हैं। इनमें से 70 प्रतिशत विदेशियों द्वारा दायर किए जाते हैं। ऐसे महत्वूपर्ण पहलुओं को नई शिक्षा नीति में शामिल करने की आवश्यकता है।