विश्व खाद्य दिवस पर विशेष: कोराना महामारी व प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में आये ग्रसित भारत के हर राज्य में आहार की उपलब्धता सबसे बडी समस्या बनकर उभरी
नवनीत कुमार गुप्ता, प्रोजेक्ट अधिकारी, एजुसेट, भारत सरकार
न्यूजवेव @ नईदिल्ली
आज विश्व खाद्य दिवस-2020 है। इस दिन हमें भारत की मौजूदा स्थिति पर चिंतन करना आवश्यक है। भारत के विभिन्न हिस्सों में भौगोलिक परितंत्र अलग-अलग है। कुछ राज्य नदियों व समुद्र से घिरेे हैं, कुछ पर्वतीय क्षेत्रों में हरियाली आच्छादित कम तापमान वाले तो कुछ मरूस्थल की भीषण गर्मी से आहत। ऐसी भौगोलिक दशा में देश में वर्षपर्यंत कोई न कोई प्राकृतिक आपदायें आती रहती है। बेमौसम कभी बाढ़, कभी चक्रवात, कभी सूखा या अकाल से जलवायु परिवर्तन चारों दिशाओं में महसूस होता है।
ऐसी स्थिति में कोरोना महामारी अथवा प्राकृतिक आपदाओं के दौरान लाखों लोगों के लिए आहार का इंतजाम करना बडी चुनौती होती है। गरीबी के कारण निर्धन वर्ग को पोष्टिक आहार की जरूरत और प्रवासी श्रमिकों, बेघर लोगों को समुचित आहार उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण होता है।निर्धन वर्ग के लिए ‘रेडी टू ईट फूड’ की आवश्यकता होती है जो संतुलित आहार भी हो।
वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा तैयार पौष्टिक खिचड़ी
इस दिशा में देश के वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद के संस्थान अनुसंधान कार्य कर रहे हैं। मैसूर स्थित सीएसआइआर-केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (CSIR-CFTRI) एवं पालमपुर में कार्यरत CSIR-हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (CSIR-IHBT) जैसे राष्ट्रीय संस्थानों के वैज्ञानिक व शोधकर्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा पौष्टिक खिचड़ी तैयार की गयी है जो रोगियों के लिए विशेष तौर पर उपयोगी साबित हो रही है। बोलचाल में कहें तो रोटी-कपड़ा-मकान एक औसत नागरिक की मूलभूत आवश्यकता है। सरकारी योजनायें भी इसे केंद्रित रखते हुये तैयार की जाती है। इस वर्ष कोविड-19 महामारी के इस दौर में, वैश्विक स्तर पर करोड़ों लोगों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना सबसे बड़ी चिंता बनकर उभरा है। रोजगार या मजदूरी से वंचित लोगों को आर्थिक संकट के दौर में आहार उपलब्ध कराना सबसे बडी चुनौती रहा है। इससे निबटने के लिये लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई संस्थान बखूबी विशेष योगदान कर रहे हैं।
भूख से पीड़ित वर्ग को मिले पोषक आहार
विश्वव्यापी कोविड-19 महामारी के व्यापक प्रभावों से निपटने के लिए पिछले 8 माह से दुनिया भर में आहार उपलब्ध करवाना प्राथमिकता में शामिल रहा। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान खाद्य व कृषि संगठन अपनी स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। विश्व खाद्य दिवस हर साल उन लोगों के लिए दुनिया भर में जागरूकता और कार्यवाही को प्रेरित करता हैं जो भूख से पीड़ित हैं। ऐसे अभियान सभी के लिए पोषक आहार सुनिश्चित करने की याद दिलाते हैं। वर्तमान में जब दुनिया के विकसित देश भी कोविड-19 महामारी के प्रभावों को झेल रहे हैं, उसे देखते हुए विश्व खाद्य दिवस फूड प्रोसेसिंग यूनिटों को अधिक टिकाऊ और लचीला बनाने के लिए प्रेरित करता है।
आंकडों को देखें तो दुनिया में 2 अरब से अधिक लोगों के पास सुरक्षित, पौष्टिक और पर्याप्त भोजन की नियमित पहुंच नहीं हो रही है। कोविड-19 महामारी इस संख्या में 8 से 13 करोड़ लोगों को और जोड़ सकती है। 2050 तक वैश्विक आबादी के लगभग 10 अरब तक होने की संभावना है। ऐसे में इतनी बड़ी आबादी को पौष्टिक और पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। हालांकि हमें यह याद रखना होगा कि सभी को भरपेट भोजन कराने की जिम्मेदारी केवल सरकारों की नहीं है। नियमित स्वास्थ्य और भोजन प्रणाली में सुधार करने की नैतिक जिम्मेदारी आम नागरिकों की भी है। हम मिलकर जागरूकता के साथ स्वास्थ्य और आहार से जुडी इस समस्या का मुकाबला कर सकते हैं।