नवनीत कुमार गुप्ता
न्यूजवेव @ नईदिल्ली
जीका वायरस मच्छरों द्वारा फैलता है। एडिस इजिप्ती और एडिस अल्बोपिकट्स जैसे मच्छर दिन में ही काटते हैं। यही मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया वायरस भी फैलाते हैं। जीका वायरस या विषाणु फ्लाविविरिडए विषाणु परिवार से है। ये मच्छर पानी से भरी बाल्टियों, कटोरों, पशुओं के पानी पीने के बर्तनों और फूलदानों में अपने अंडे देते हैं। ये मच्छर लोगों को काटना और घरों के भीतर रहना पसंद करते हैं।
भारत में 2017 से सक्रिय हुआ
यूगांडा के जीका जंगलों में पहली बार यह वायरस मिला, इसलिए इसे जीका वायरस नाम दिया गया । 2015 में यह मेक्सिको, मध्य अमेरिका तक पहुँचा।
देश में सबसे पहला मामला जनवरी,2017 में अहमदाबाद में सामने आया था। जुलाई,17 में तमिलनाड़ु के कृष्णगिरी जिले में दूसरा मामला सामने आया। इस वर्ष 23 सितंबर को जयपुर में अब तक का तीसरा सबसे बड़ा मामला सामने आया। जहाँ 11 गर्भवती महिलाओं सहित 55 लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए।
ये हैं जीका के लक्षण
जीका वायरस संक्रमण के लक्षणों में बुखार, त्वचा पर चकत्ते बनना, कंजक्टिविटिस, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और सिरदर्द होता है। यह संक्रमण विशेषरूप से गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होता है, इसकी चपेट में आने पर बच्चा सामान्य से बहुत छोटे सिर के साथ पैदा हो सकता है। विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार जीका वायरस या इससे सम्बंधित रोगों के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। केवल रोकथाम इसका एकमात्र उपाय है।
जयपुर में जीका वायरस का डंक
इस वर्ष जयपुर में जीका वायरस ने कोहराम मचा दिया। स्वास्थ विभाग की टीमों द्वारा अब तक 26 हजार से ज्यादा घरों के अलावा इस वायरस के वाहक मच्छरों के 29 हजार प्रजनन स्थानों पर सर्वे किए गए हैं। नेशनल सेंटर फॉर डिसिज कंट्रोल द्वारा नियंत्रण कक्ष से 170 निगरानी दल स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं।
बचाव ही सबसे अच्छा इलाज
जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति में कोई गंभीर लक्षण दिखाई नहीं देते हैं या केवल बहुत कम दिखाई देते हैं। संक्रमण की पहचान रक्त या मूत्र परीक्षण द्वारा की जाती है। हालाँकि जीका वायरस के इलाज के लिए कोई विशेष दवा या टीका उपलब्ध नहीं है।
इसके इलाज के उपायों में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए तरल पदार्थ और बुखार व दर्द को कम करने के लिए एसिटामिनोफेन नामक दवा करागर पायी गई है। जीका वायरस संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका है अपने आप को मच्छर के काटने से बचाएं और स्थिति काबू में आने तक उन इलाकों में यात्रा न करें जहाँ इसका प्रकोप है।