Sunday, 16 November, 2025

यौन दुराचार में आसाराम बापू को उम्र कैद

अग्निपरीक्षा : दो सह आरोपी शिल्पा व शरदचंद्र को 20-20 साल की सजा, अगस्त,2013 से जेल में हैं आसाराम।
न्यूजवेव @ जोधपुऱ

जोधपुर के मणेई आश्रम में एक छात्रा से यौन शोेषण के मामले में आरोपी आसाराम बापू उर्फ आसूमल सिरूमलानी को दोषी मानते हुए बुधवार को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। फैसला सुनते ही आसाराम रो पडे़।

25 अप्रैल को जोधपुर की सेंट्रल जेल में बनी अस्थाई अदालत में एससी-एसटी कोर्ट के पीठाधिकारी न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने अंतिम फैसला सुनाया। दो अन्य सह आरोपी शिल्पा उर्फ सुचिता कृपलानी, शरदचंद्र को 20-20 साल की सजा एवं 1-1 लाख जुर्माने की सजा सुनाई। जबकि दो अन्य सह आरोपी शिवा एवं प्रकाश द्विवेदी को दोषमुक्त करते हुए उनकी जमानत मंजूर कर ली। आसाराम पिछले 4 वर्ष 8 माह से इसी जेल में बंद हैं।

इससे पहले बुधवार को इस बहुचर्चित मामले में अंतिम फैसले को देखते हुए जोधपुर में बडी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। जोधपुर में आरोपी आशाराम के 8 समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया।

याद दिला दें कि 2013 में उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर की एक नाबालिग लडकी (16 वर्षीया) छिंदवाडा में आसाराम बापू के आश्रम में रहती थी। उसने आसाराम पर जोधपुर के बाहरी इलाके में स्थित मणेई आश्रम में यौन दुराचार का लगाते हुए दिल्ली के कमला मार्केट पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज कराया था, जिसे बाद में जोधपुर महिला थाने में स्थानांतरित कर दिया गया। पुलिस ने 15 अगस्त, 2013 में इंदौर से उन्हें हिरासत में लेकर जोधपुर सेंट्रल जेल में रखा। आसाराम पर पाक्सो व एससी, एसटी एक्ट की धारा 376 डी के तहत दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

इस बहुचर्चित मामले में बचाव पक्ष के 14 वकीलों ने 11 बार जमानत याचिका लगाई लेकिन आरोपी आसाराम को जमानत नहीं मिल सकी। उनके समर्थकों ने कई बार उग्र प्रदर्शन भी किए लेकिन न्यायिक प्रक्रिया पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। आसाराम के पक्ष में 14 वकीलों की टीम उनका बचाव करने में जुटी रही। लेकिन फैसला होने पर समर्थकों की आस टूट गई।

पिता ने कहा- हमें इंसाफ मिला
जोधपुर की सेंट्रल जेल में सजा मिलने के बाद पीडिता के पिता ने कहा, आरोपी आसाराम दोषी करार दिए गए, हमें इंसाफ मिला है। इस लंबी लडाई में साथ देने वालों के हम धन्यवाद देते है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अब समय आ गया है कि लोग सच्चे एवं धोखेबाज संतों में अंतर को समझें। ऐसे मामलों से दुनिया में देश की छवि खराब होती है।

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