Friday, 19 April, 2024

अब रामगढ़ अभयारण्य में गूंजेगी बाघों की दहाड़

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से NTCA ने दी टाइगर रिजर्व बनाने की सैद्धांतिक स्वीकृति
न्यूजवेव @ नई दिल्ली/कोटा
हाड़ौती में एक और टाइगर रिजर्व की स्वीकृति मिल जाने से प्रदेश के पर्यटन को नये पंख लगेंगे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री से सहमति मिलने के बाद नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने बूंदी के रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की सहमति दे दी है। एनटीसीए ने सोमवार को राजस्थान के वन सचिव को यह पत्र भेजा है।

टी-115 बाघ का मूवमेंट
बूंदी का रामगढ़ विषधारी अभ्यारण्य वन्यजीवों की शरणस्थली है। इस अभ्यारण्य से रणथंभौर टाइगर रिजर्व और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व नजदीक होने से बाघों की विचरण सहज व सामान्य हो जायेगा। पहले रणथम्भौर से बाघ टी-91 और टी-62 यहां आ चुके हैं। वर्तमान में एक वर्ष से टी-115 बाघ का मूवमेंट रामगढ़ अभ्यारण्य में बना हुआ है।


बाघों के मूवमेंट और मौजूदा प्राकृतिक संसाधन होने से वर्षों से रामगढ अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने की मांग उठ रही थी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गंभीरता से इस मुद्दे को उठाया। जिससे राज्य के वन सचिव ने 27 मई को एनटीसीए को पत्र भेजकर इसे टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किए जाने का आग्रह किया था।
एनटीसीए तकनीकी समिति की 21 जून को हुई बैठक में सैद्धांतिक सहमति दिए जाने से इसकी फाइल केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री को भेज दी गई। लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने मंत्री से चर्चा की। उसके बाद एनटीसीए ने सोमवार को सैद्धांतिक स्वीकृति का पत्र जारी कर दिया। अब राज्य सरकार द्वारा इसे टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया जाएगा। उसके बाद यहां प्री-बेस, एनक्लोजर, टाइगर रिजर्व की फेंसिंग आदि कार्य करके बाघ शिफ्ट करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जायेगी।
हाडौती टूरिस्ट सर्किट विकसित होगा


रणथम्भौर में आने वाले सुबह की सफारी करने के बाद पर्यटकों के लिए अन्य कोई रूचि का केंद्र नहीं है। जबकि रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभ्यारण्य में बाघों की दहाड़ गूंजने पर पर्यटन को पंख लग सकते हैं। बूंदी में सफारी के बाद वे ऐतिहासिक किला, बावड़ियां, शैलचित्र और अन्य हेरिटेज जगह देख अभिभूत हो सकते हैं। कोटा से नजदीक होने के कारण मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में वे जल-जंगल की एक साथ यात्रा कर सकेंगे। बारां के रामगढ़ क्रेटर, शाहाबाद के किले व अन्य जगह विदेशी सैलानियों को लुभायेंगे। जिससे पर्यटक रणथम्भौर के बाद हाड़ौती सर्किट की ओर आकर्षित होंगे।
रणथम्भौर में बाघों का दबाव होगा कम
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ जाने से क्षेत्रफल बहुत छोटा पड़ता जा रहा है। अब मुकुंदरा रिजर्व तथा रामगढ़ रिजर्व में बाघों की शिफ्टिंग होने से रणथम्भौर में बाघों पर दबाव कम होगा। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार रामगढ़ विषधारी अभ्यारण्य में वर्ष 1985 में 9 बाघ थे। 1996 में इनकी संख्या घटकर 4 और 1997 में 3 रह गई। वर्ष 2014 व वर्ष 2017 में यहां एक-एक बाघ देखा गया।

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