Thursday, 12 December, 2024

कौन सुनेगा बिहार के विद्यार्थियों की पीड़ा

कोटा में कोचिंग ले रहे बिहार व अन्य राज्यों के 20 हजार बच्चे घर नहीं लौटने से डिप्रेशन में, अभिभावक चिंतित
न्यूजवेव@ कोटा
कोरोना महामारी से बचाव के लिये लागू देशव्यापी लॉकडाउन से कोटा में कोचिंग विद्यार्थियों की पढाई ठप हो जाने से वे जल्द अपने घर लौटना चाहते हैं। शहर में कोरोना के पॉजिटिव रोगियों की संख्या बढने से बाहरी राज्यों के अभिभावक बच्चों की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित है। विद्यार्थियों का कहना है कि वे कोरोना के डर से जेईई-मेन और नीट प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर पा रहे है, जिससे उनमें मानसिक अवसाद बढता जा रहा है।

इस सप्ताह उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, दमन एवं दीव, दादर नागर हवेली, सिलवासा सहित राज्य के बूंदी, बारां व झालावाड जिले के 15 हजार से अधिक कोचिंग विद्यार्थी राज्य सरकारों द्वारा भेजी गई बसों से अपने घरों के लिये रवाना हो गये, जिससे शिक्षा नगरी के गर्ल्स व ब्वायज हॉस्टलों में सन्नाटा छा गया है। हरियाणा व असम के स्टूडेंट्स भी शुक्रवार को कोटा से विदा ले लेंगे। इससे हॉस्टलों में रहने वाले बिहार के छात्र-छात्राओं में असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है। उनका कहना है कि बंद कमरों में अकेलापन होने से उनकी पढ़ाई बिल्कुल नहीं हो पा रही है। अभिभावकों को चिंता है कि उनके बच्चे कब घर लौटेंगे।
लॉकडाउन में बिहार सरकार अडिग
याद दिला दें कि बिहार सरकार ने लॉकडाउन अवधि में देशभर में बिहारी मजदूरों व विद्यार्थियों को घर लौटने की अनुमति नहीं दी है। सरकार सोशल डिस्टेसिंग के तहत 3 मई तक ‘जो जहां है वहीं रहें’ की अपील कर रही है। लेकिन कोटा शहर मंे रहने वाले 14 से 20 वर्ष के कोचिंग विद्यार्थी कोरोना महामारी से भयभीत हैं। उन्होने Twitter के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व बिहार के मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि संकट की घडी में उनको घर जाने की अनुमति दें। लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं होने से गुरूवार को बिहार की छात्राओं ने कोटा में अनशन कर अपनी पीढ़ा को उठाया।

अन्य राज्य सरकारें पहल करें
एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने कहा कि कोटा में हेल्पलाइन के जरिए विद्यार्थियों को भोजन व मेडिकल हेल्प दी जा रही है। विभिन्न राज्य सरकारों व जिला प्रशासन के सहयोग से हजारों विद्यार्थी अपने घरों की ओर रवाना हो चुकेे हैं।  लेकिन बिहार, जम्मू-कश्मीर, उड़ीसा, झारखंड, दिल्ली, महाराष्ट्र आदि राज्यों के 20 हजार से अधिक स्टूडेंट्स अभी कोटा में अटके हुये हैं। वहां की राज्य सरकारें पहल करें तो ये विद्यार्थी सुरक्षित घर पहुंचकर एकाग्रता से अपनी पढ़ाई कर सकते हैं।

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