उर्जा का सूर्योदय: राज्य के पश्चिमी जिलों में 500 से अधिक मेगावाट क्षमता के मेगा सोलर पार्क स्थापित करने से यह ‘ग्लोबल हब’ बनकर उभरा।
अरविंद ,न्यूज वेव, जयपुर
राजस्थान की तपती रेगिस्तानी धरा से निकलती सूर्य किरणों ने उर्जा क्षितिज पर राज्य को सौर उर्जा में आत्मनिर्भर बना दिया। राज्य के पश्चिमी जिलो में गर्मी के मौसम में निरंतर 45 से 48 डिग्री तापमान बना रहने से इसे सौर उर्जा का केेंद बिंदु माना जाने लगा। राज्य के कई जिलों में तेजी से नए सोलर पार्क विकसित किए जा रहे हैं। नेशनल सोलर मिशन (एनएसएम) की गाइडलाइन के अनुसार, सौर उर्जा उत्पादन को नेशनल ग्रिड से जोड़ा गया।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अनुसार, राज्य सरकार 25,000 मेगावाट सौर उर्जा उत्पादन करने का लक्ष्य लेकर इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। गत वर्ष राजस्थान से देश में सर्वाधिक 1812.93 मेगावाट सौर उर्जा पैदा हुई।
देश में सौर उर्जा उत्पादन क्षमता 12,500 मेगावाट है अर्थात्, प्रतिदिन 0.20 किलोवाॅट घंटा प्रति वर्गमीटर सौर उर्जा पैदा हो रही है। केंद्र सरकार द्वारा सोलर पैनल व उपकरणों की कीमतों में गिरावट करने से कोयला आधारित प्लांट से सौर उर्जा 18 प्रतिशत तक सस्ती हो गई हैं। एक अध्ययन के अनुसार, एनटीपीसी के कोयला आधारित प्लांट से प्रति यूनिट बिजली की दर 3.20 रू है जबकि भादला के दूसरे चरण से सौर उर्जा 2.62 रू प्रति यूनिट मिल रही है।
देश का सोलर एटलस बनेगा
केंद्रीय न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रालय (एमएनआरई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न राज्यों में सौर उर्जा की संभावनाओं का डाटाबेस तैयार करने के लिए देश में 51 सोलर रेडिएशन रिसोर्सेस असेसमेंट स्टेशन बनाए गए हैं। जिससे डाटा एकत्रित करके देश में सोलर एटलस तैयार किया जाएगा। एक सर्वे में बताया गया कि 1 वर्ग किमी (250 एकड़) भूमि पर 40 से 60 मेगावाट सौर उर्जा उत्पादन किया जा सकता है।
नई राज्य सौर उर्जा नीति बनाई
राज्य में सोलर हब डेवलप करने के लिए राज्य सरकार ने 8 अक्टूबर,2014 को ‘राजस्थान सौर उर्जा नीति-2014’ बनाई। जिसमें राज्य में सोलर पार्क के विकास तथा फास्ट ट्रेक सोलर पाॅवर प्रोजेक्ट स्थापित करने को प्राथमिकता दी गई। सरकार ने प्राइवेट सेक्टर को सब्सिडी प्रदान कर सौर उर्जा को प्रोत्साहन दिया। राज्य में 142 गीगावाॅट सौर बिजली पैदा की जाएगी। राजस्थान देश का पहला राज्य है, जहां पहले चरण में 1812.93 मेगावाट क्षमता के सोलर प्रोजेक्ट स्थापित किए गए। भादला के सोलर पार्क में चार चरणों में 2255 मेगावाट सौर उर्जा प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे।
पश्चिम जिलों में बन रहे सोलर पार्क
राज्य के पश्चिमी जिलों में सर्वाधिक सौर उर्जा होने से इसे सोलर हब का दर्जा मिला है। जैसलमेर के पोकरण, नोखा, अश्कंदरा गांव, बीकानेर के भारूखेड़ा, बाडमेर के विटूजा, जोधपुर में फलौदी तहसील के रावरा गांव, नागौर में खीमसर, जालौर व भीलवाडा आदि क्षेत्रों में 100 मेगावाट से अधिक क्षमता के निजी व सरकारी क्षेत्र के सोलर पाॅवर प्लांट लगाए गए। इन जिलों में प्रस्तावित 500 से अधिक मेगावाट क्षमता के मेगा सोलर पाॅवर प्लांट भी प्रक्रियाधीन हैं। राज्य के सोलर पार्क में मेेगा सोलर पाॅवर प्रोजेक्ट फोटो वोल्टिक (पीवी) आधारित होंगे, जिसमें 500 या इससे अधिक क्षमता के संयंत्र स्थापित होंगे। पीपीपी मोड में इनकी स्थापना के लिए राज्य सरकार भूमि सहित संयंत्र लागत पर सब्सिडी भी देगी।
कोयला बिजलीघरों से उत्सर्जन ज्यादा
बढ़ते कार्बन उत्सर्जन के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन एवं ग्लेाबल वार्मिंग को देखते हुए कोयला आधारित बिजलीघरों के स्थान पर दुनियाभर में रिन्यूएबल एनर्जी स्त्रोतों पर अमल किया जा रहा है। एक स्टडी के अनुसार, कोयला दहन से बिजली पैदा करने पर 1 यूनिट बिजली से 0.34 किलो काॅर्बन डाई आॅक्साइड उत्सर्जित होती है। अर्थात् एक घर में 500 बिजली खपत से प्रतिमाह 170 किलो काॅर्बन डाई आॅक्साइड बाहर निकलती है। ग्रीन हाउस गैसों से बचाव के लिए सौर उर्जा को कवच के रूप में देखा जा रहा है।
उर्जा के वैकल्पिक स्त्रोंतों में सोलर, विंड, हाइडल व न्यूक्लियर एनर्जी आदि प्रमुख हैं। वर्तमान में देश में 68.31 प्रतिशत बिजली आपूर्ति उत्पादन कोयला, गैस व डीजल आधारित संयत्रों से हो रही है, जबकि 29.57 प्रतिशत आपूर्ति रिन्यूएबल एनर्जी से हो रही है। पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए उर्जा के नेचुरल व इको फ्रेंडली स्त्रोतों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है।
सरकारी भवन व घरों पर दिखेंगे सौर पैनल
केेंद्र सरकार देश के पर्यावरण में कार्बन फुटप्रिंट खत्म करने के लिए सौर उर्जा को क्लीन एनर्जी रिवाॅल्यूशन के रूप में लागू किया है। घरेलू बिजली आपूर्ति के लिए सौर उर्जा की रूफ टाॅप प्रणाली घरेलू व सरकार भवनों में तेजी से लोकप्रिय हुई। 2020 तक देश के 10 हजार सरकारी भवनों तथा 10 लाख घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने का लक्ष्य है। इसके लिए 25 मेगावाट क्षमता के रूफ टाॅप सिस्टम बनाए गए हैं।
नेशनल सोलर मिशन ने वर्ष 20019-20 तक देश में रूफ टाॅप ग्रिड प्रणाली के लिए 5000 करोड़ रूपए का बजट मंजूर किया। जिससे 40 हजार मेगावाट सौर उर्जा सभी राज्यों के रूफ टाॅप ग्रिड से मिलने लगेगी। केंद्र सरकार इस मिशन में 30 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है। जबकि जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लक्ष्यद्वीप, अंडमान निकोबार आदि में सौर उर्जा के लिए 70 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।
डेजर्ट में विकसित होगा सोलर पार्क
इंटरनेशनल सोलर एनर्जी ट्रेड मिशन के अनुसार, राजस्थान दुनिया के सबसे ज्यादा सौर उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर है। इसे सौर उर्जा के ग्लोबल हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। उच्च स्तरीय सूत्रों ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान में प्रस्तावित एनर्जी पार्क में फास्ट ट्रेक मेगा सोलर पाॅवर प्रोजेक्ट में निवेश के लिए देश की 6 प्रमुख कंपनियों ने एमओयू किए हैं। जिससे राज्य में निकट भविष्य में 32,000 मेगावाट सौर उर्जा पैदा होने लगेगी। अमेरिका के क्लिंटल क्लाइमेट इनिशिएटिव (क्लिंटन फाउंडेशन) के साथ राज्य सरकार ने एक सोलर पार्क के लिए एमओयू किया, जिससे विभिन्न प्रोजेक्ट से 3 से 4 हजार मेगावाट सौर उर्जा मिलने लगेगी।
सौर उर्जा में 3 राज्यों में राजस्थान अव्वल
राज्य 2015 2016 2017
राजस्थान 942.10 1269.93 1812.93
तमिलनाडु 142.58 1061.82 1691.83
गुजरात 1000.05 1119.17 1249.37
( फोटो वोल्टिक सौर उर्जा के डाटा 31 मार्च, 2017 तक मेगावाट में)