ISTD की चतुर्थ नॉर्थ रीजनल कॉन्फ्रेंस में आईआईएम त्रिची के निदेशक डॉ. पीके सिंह ने शरीर, बुद्धि व आत्मा में संतुलन बनाने की तकनीक समझाई, दूसरे सत्र में हुआ मंथन।
न्यूजवेव @ कोटा
इंडियन सोसायटी फॉर ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट (ISTD) कोटा चेप्टर के तत्वावधान में शुक्रवार को पुरूषार्थ भवन में चौथी नॉर्थ रीजनल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन मुख्य अतिथि एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कोटा के कुलपति प्रो.डीसी जोशी ने किया।
मुख्य वक्ता आईआईएम त्रिची के निदेशक डॉ.पवन कुमार सिंह ने कॉन्फ्रेंस की थीम ‘हॉलिस्टिक वेल बिंग- इंडियन इनसाइट’ पर कहा कि कोटा के पुरूषार्थ भवन में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चार पुरूषार्थ पर वैचारिक मंथन अनूठा संयोग है। उन्होंने विद्यर्थियों से कहा कि वे लॉजिकल माइंड बनायें। लेफ्ट ब्रेन से नहीं राइट ब्रेन से काम लें। जब प्रयास करने पर भी हार मिले तो ईश्वर के आगे दंडवत हो जायें, मेहनत करने वालों पर वह कृपा करता है।
उन्होंने कहा कि उम्र के साथ बुद्धिमत्ता बढती है, हमें क्या नहीं करना चाहिये, यह उम्र सिखाती है। इसलिये बडों को इज्जत दें, आपकी डिग्रियां बुजुर्गों के अनुभवों से कभी बडी नहीं हो सकती। 40 की उम्र के बाद क्या-क्या साथ नहीं रहना चाहिये, यह निर्णय लें। दाम्पत्य जीवन में आपकी केमिस्ट्री अच्छी हो, लेकिन गणित में न उलझे तो बेहतर होगा।
जीवन में सत्य का दामन थाम लें
डॉ.सिंह ने कहा कि मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार हमारे आंतरिक हथियार हैं। मन झील की तरह है, इसमें तरंगे उठती रहेंगी। लेकिन मन शांत है तो कभी परावर्तित नहीं होगा। उसे कब दौडायें, कब ठहरायें, यह आपके हाथ में है। जो मन आपकी बात सुनता है, वह मित्र है। हम मन को आदेश दे सकें, ऐसा बनाइये। उन्होंने कहा कि एक महान शिक्षक वह है जो सिर्फ ज्ञान देने तक सीमित न रहे, एक विद्यार्थी में शिक्षक को स्थापित करने का प्रयास करे। विद्यार्थी खुद से प्रश्न से करे और खुद से उसका जवाब लेना सीख ले। याद रखें, ज्ञान अनंत होता है, जबकि अज्ञान प्रारंभ हो जाये तो उसका अंत भी निश्चित है।
टीचिंग सिर्फ नौकरी नहीं, जज्बा भी रखें
मुख्य अतिथि एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. डीसी जोशी ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद आहार-विहार, विचार-व्यवहार इन चारों में समन्वय जरूरी है। स्वस्थ बने रहने के लिये यही सर्वश्रेष्ठ दवा है। आज टीचिंग करना सिर्फ नौकरी नही, उनमें कुछ सिखाने का जज्बा हो। जो बच्चे अकेले हैं, डिप्रेशन में हैं, किसी से बात नहीं करते हैं, उनका आइसोलेट नहीं रखें। हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही महसूस करते हैं, इससे एंग्जाइटी पैदा होती है। निराशा हो तो घूमना शुरू करें, बेलेंस न्यूट्रिशंस लेकर इम्यूनिटी बढ़ायें। व्यस्त दिनचर्या में कुछ पल रिलेक्स रहें। कोटा में कई पर्यटक स्थल विकसित हो रहे हैं, वहां निकलें।
ISTD कोटा चेप्टर की चेयरपर्सन अनिता चौहान ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव पर समग्र विकास के लिये शरीर, मन एवं आत्मा के संतुलन पर राष्ट्रीय मंथन उपयोगी साबित होगा। नई शिक्षा नीति इस बात जोर देती है कि अमेरिका से आयातित नॉलेज को भारतीय धरती पर नहीं डाले जायें। हम शोधपरक शिक्षा व भारतीय अनुसंधान में सक्षम बनें।
नॉर्थ रीजन के वाइस प्रेसीडेंट डॉ.पी.के शर्मा ने कहा कि वर्तमान मैनेजमेंट से हम युवाओं को प्रॉडक्टिव नहीं बना रहे हैं। हमें डायनेमिक सॉल्यूशन ढूंढने होंगे। साइंटिफिक मैनेजमेंट से नॉलेज वर्कर को हम विजडम वर्कर बनायें। आज पश्चिमी कल्चर में टर्मिनल वैल्यू है, जबकि भारत में इटरनल वैल्यू है। वहां हैप्पीनेस नहीं होने से सुसाइड अधिक हो रहे हैं।
रिएक्शन और रेस्पांस को समझें
दूसरे सत्र में कोटा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. विजय सरदाना ने कहा कि आत्म चेतना एवं जीवन मूल्यों के माध्यम से समाज में प्रत्येक वर्ग का विकास किया जा सकता है। हमें प्रोफेशनल लाइफ में भी सोशलाइज होना चाहिये। आईआईटी, रूडकी के प्रो संतोष रांगनेकर ने हैप्पीनेस पाने के मंत्र बताये।
बडोदरा की वैज्ञानिक सुश्री असमानी सुर्वे ने रिएक्शन और रेस्पांस के बीच अंतर को समझाया। उन्होंने कहा कि मस्तिष्क में जो चल रहा है, उसी के अनुसार परिणाम आयेंगे। बीकानेर तकनीकी विवि के पूर्व कुलपति प्रो.एच.डी.चारण ने कहा कि शरीर व स्व दो अलग विचार हैं। शरीर भौतिक जरूरतों को पूरा करता है, जबकि स्व हमारे आचरण को निर्धारित करता है।
समारोह में ISTD के नेशनल वाइस प्रेसीडेंट कुरियन डेनियल, पूर्व अध्यक्ष डॉ.योगेश उपाध्याय, कोषाध्यक्ष सलिल चटर्जी, प्रभू मायापूर्वसी दास, डॉ. रत्ना जैन, के.एम.टंडन, साधना अग्रवाल, अमितसिंह राठौड, समाजसेवी जीडी पटेल सहित विभिन्न राज्यों से आमंत्रित विशेषज्ञ एवं पावर ग्रिड, गेल, डीसीएम श्रीराम, रेयांस, इफको व स्प्रिंगडेल्स के प्रतिनिधी उपस्थित रहे। आयोजन सचिव एके सक्सेना ने आभार जताया। समारोह का संचालन सुजाता ताथेड़ व सीए प्रीतम गोस्वामी ने किया। शनिवार को कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन दो सत्रों में विशेषज्ञों, उद्यमियों एवं शिक्षाविदों के बीच पैनल चर्चा होगी। समापन समारोह में कोटा यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो.नीलिमा सिंह मुख्य अतिथी होंगी।