नवाचार: कोरोना की लडाई में फ्रंटलाइन डॉक्टर्स व चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा के लिये PPE पोशाक पहली आवश्यकता
न्यूजवेव @ नई दिल्ली
भारतीय रेल द्वारा रेलवे के डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के लिए प्रतिदिन 1000 पीपीई-पोशाक का निर्माण किया जायेगा। कोरोना वायरस आपदा नियंत्रण में दिन-रात जुटे रेलवे व अन्य फ्रंट लाइन चिकित्साकर्मियों की बढ़़ती पीपीई-पोशाक जरूरतों को देखते हुये फिलहाल 50 प्रतिशत सप्लाई प्राथमिकता से की जायेगी।
जगाधरी स्थिति रेलवे वर्कशॉप में सबसे पहले पीपीई-पोशाक तैयार किए जा रहे हैं। देश में रेलवे की 17 वर्कशॉप जल्द ही इसका निर्माण कार्य शुरू करेंगी। फिलहाल पूरे देश में इसकी कमी है। उत्तर रेलवे के वर्कशॉप में बने व्यक्तिगत सुरक्षा पोशाक (PPE) के दो नमूनों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अपनी हरी झंडी दे दी है, जिससे रेलवे इकाइयों में इनके उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। दरअसल, ये पोशाक रक्त या शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ को रोक पाने में कारगर साबित हुए हैं।
उत्तर रेलवे ने कहा कि रक्त या शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ को रोकने के लिये जैव-सुरक्षात्मक कवरिंग पदार्थ (कपड़े) की प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाने के उद्देश्य से यह जांच की गई। अब इन पीपीई का विनिर्माण भारतीय रेल द्वारा किया जाएगा और इसे रेलवे के अस्पतालों में कोविड-19 रोगियों का इलाज करने वाले चिकित्सक पहनेंगे। कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में रेलवे के नवाचार का अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा स्वागत किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि रेलवे का यह आंतरिक प्रयास भारत सरकार को किए गए एक अनुरोध पर आधारित है और मांग के अनुरूप एचएलएल को भी जानकारी दी गई है।