Thursday, 5 December, 2024

कम उम्र में बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक

लाइफस्टाइल में आये बदलाव से अस्पतालों में हृदय रोगियों की संख्या अचानक बढ़ी
न्यूजवेव @कोटा

सर्दी का मौसम प्रारंभ होते ही शहर में हार्ट अटैक के मामले बढने लगे हैं। हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दी की शुरूआत में सुबह की ठंडक के समय हृदय की आर्टरी में संकुचन हो जाता है, जिससे रक्त गाढा होने के कारण हृदय तक पहुंचने में उसका प्रवाह धीमा हो जाता है, हार्ट आर्टरी में ब्लॉकेज हो जाने पर अटैक की संभावना बढ़ जाती है। इससे बचने के लिये 35 वर्ष से अधिक उम्र में रक्त के साथ हृदय जांच अवश्य करवा लें।


सिटी हार्ट हॉस्पिटल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अतुल राठौर ने बताया कि 25 से 35 वर्ष की उम्र में युुवाओं के खानपान में बदलाव हो जाने से डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर, हाइपरटेंशन जैसी मामले सामने आ रहे हैं। व्यस्त दिनचर्या के कारण बढता मानसिक तनाव, धुम्रपान, फास्टफूड से बढता मोटापा युवाओं को समय से पहले हृदय रोगी बना रहा है। पिछले माह 15 वर्ष के एक किशोर की एंजियोग्राफी जांच में तीन हृदय नलियों में ब्लाकेज का पता चलने पर बायपास सर्जरी की गई। इसी तरह, एक 32 वर्षीय युवा को सुबह जल्दी हृदय गति में रूकावट आने से अटैक आने पर अस्पताल में भर्ती होना पडा। रोजाना इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें अचानक तेज दर्द या हार्ट अटैक होने पर हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ रहा है।
साइलेंट अटैक से ऐसे बचें
वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.सिद्धार्थ सेठी ने बताया कि सामान्य व्यक्ति को हार्ट आर्टरी के रक्तप्रवाह में 70 प्रतिशत तक रूकावट आने पर भी दर्द का पता नहीं चलता है। 70 से 80 प्रतिशत ब्लॉकेज हो जाने पर काम करते समय कुछ दर्द महसूस होता है। 90 प्रतिशत से अधिक ब्लॉकेज होने पर नींद या आराम करते समय अचानक हार्ट अटैक की संभावना बढ जाती है। किसी आर्टरी में 99 प्रतिशत ब्लॉकेज होने पर साइलेंट अटैक भी हो सकता है। कुछ मामलों में यह भी सामने आया कि सामान्य व्यक्ति की हृदय प्रणाली में किसी आर्टरी में ब्लॉकेज होने पर कुछ पतली नसों से रक्त प्रवाहित होकर भीतर ही बायपास बन जाते हैं, जिससे व्यक्ति दर्द को गैस का दर्द समझ कर टाल देते हैं, जबकि उन्हंे तुरंत जांच करवा लेना चाहिये।
Hs-CRP जांच से खुद को परखें
डॉ.अतुल राठौर ने बताया कि कार्डियो वस्कुलर रोगों की जांच के लिये लिपिड प्रोफाइल, ईसीजी, टीएमटी, इको, ब्लड शूगर आदि जांचों के अतिरिक्त 35 वर्ष की उम्र के बाद रक्त की हाई सेंसेटिव सी-रियेक्टिव प्रोटीन (Hs-CRP) जांच कहीं भी करवा सकते हैं। Hs CRP रिपोर्ट में 1 मिग्री प्रति लीटर से कम होने पर कम जोखिम, 1 से 3 मिग्री प्रति लीटर होने पर औसत जोखिम एवं 3 मिग्रा से अधिक होने पर हाई रिस्क का पता चल जाता है, जिसे किसी कार्डियो विशेषज्ञ सेे परामर्श लेकर दूर किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि हाई रिस्क होने पर चिकित्सक की सलाह से स्टेटिन (Statin) ग्रुप  की कोई टेबलेट आपको अचानक होने वाले हार्ट अटैक या स्ट्रोक से बचा सकती है। स्टेटिन (Statin) ग्रुप में टोनेक्ट, जोकोर, क्रेेस्टोर, लिपिटोर, लेस्कॉल एक्सएल, लिवालो जैसी ब्रांडेड या इसी समूह की कोई जेनेरिक दवा ली जा सकती है। इस टेबलेट से ‘बेड कोलोस्ट्रोल’ कम होता है, साथ ही आर्टरी में जमा वसा से रक्तप्रवाह में आने वाली रूकावट भी बंद हो जाती है। जिससे एंजाइना दर्द व हार्ट अटैक की जोखिम दोनो से राहत मिल जाती है।

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