त्वरित टिप्पणी : चिंतन शिविर के बाद शीर्ष नेतृत्व पार्टी में करें नये दौर के नीतिगत बदलाव
* राजेश गुप्ता करावन
भारतीय लोकतंत्र में कांग्रेस पार्टी 137वर्ष पुराने मूल सिद्धांतो पर चल रही है। इन्ही सिद्वातों पर कांग्रेस ने भारत को आजादी दिलवायी और उसके बाद 70 वर्ष तक देश पर शासन किया। आज देश की आम जनता उन मूल सिद्वातों को बडे परिवर्तन के रूप में देखना चाहती है। धर्म निरपेक्षता कांग्रेस का मूल मंत्र था। आज सारा देश राष्ट्रवाद के रास्ते पर चल पड़ा है। इस बदलाव को भी हमें भी महसूस करने की आवश्यकता है। इसी आधार पर हमें हमारी नीति तैयार करने की जरूरत है।
हमें पार्टी में आंतरिक चिंतन शिविर के बाद संगठनात्मक बदलाव, शिक्षित व सक्रिय युवाओं को प्राथमिकता, क्षेत्रीय संतुलन, सोशल इंजीनियरिंग जैसे कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने की आवश्यकता है। इन सबके साथ राष्ट्रीय स्तर पर एक नयी थीम की आवश्यकता है जो पार्टी के सारे बदलावों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जनता तक पहुंचा सके। इसी विजयी थीम के आधार पर कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ताओं और देशवासियों में एक संदेश जाये कि कांग्रेस मेकअप के आधार पर नही, बल्कि बडे नीतिगत बदलाव के साथ नए लुक में परिवर्तन के मूड में है। तभी हम जमीनी स्तर तक पार्टी को और मजबूत बनाने में सफल हो पायेगें।
सच्चाई से दूर सिर्फ सत्ता के इर्द गिर्द रहना
हम अच्छी तरह जानते हैं कि पिछले कई वर्षो से जो नेता या चेहरे सियासत या सत्ता के गलियारों में बने रहे, उन्होंने पार्टी के संगठन को कमजोर कर अपना व्यक्तिगत और जातिवादी संगठन आगे बढाया है। आज जैसे ही पार्टी अपने मूल सिद्धांतों की बात करती है, इनको अपनी कुर्सी हिलती दिखती है। दूसरे दलों द्वारा सत्ता का लालच दिखाने पर यह पार्टी को अलविदा कह देते है। ऐसे अवसरपरस्त लोगों से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को कठोरता से निबटना होगा।
समर्पित युवाओं की फौज
हमें संगठन में उन लोगों को प्राथमिकता देनी होगी जो पार्टी के प्रति अटूट निष्ठा रखते हों, न कि व्यक्ति विशेष अथवा किसी पदाधिकारी के अनुयायी हों। पार्टी की रीति- नीति मे जिनकी आस्था हो। क्यों न हम हम संगठन में या सत्ता में किसी भी नियुक्ति करने से पहले किसी बडी प्रोफाइल के व्यक्ति को नियुक्त करने की बजाय निष्ठावान लोगों को आगे लाना होगा। हम यह भी कह सकते है महत्वपूर्ण व्यक्ति के साथ हमारे निष्ठावान कार्यकर्ता भी सभी निर्णयों मे सम्मिलित होंगे जिससे जमीन से जुड़े सुझाव पार्टी को सही दिशा की ओर अग्रसर करते रहें।
पार्टी के पास देश में लाखों समर्पित युवा कार्यकर्ताओं की फौज आज भी मौजूद है जो पार्टी के नेतृत्व के इशारे पर पार्टी के लिए सब कुछ समर्पित करने को तैयार रहते है। ऐसे में हमें चुनाव प्रबंधन के लिऐ किसी बाहरी ‘पीके‘ की आवश्यकता नहीं है बल्कि पार्टी के भीतर ही ऐसे कोहिनूर खोजने की आवश्यकता है। कई पीके कॉंग्रेस पार्टी में ही मौजूद है।
पार्टी की स्थापना के 137 वर्ष बाद फिर हमें उस निर्णय की आवश्यकता है जो महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो‘ का नारा दिया था, आज फिर कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ता व देश की आम जनता शीर्ष नेतृत्व की ओर आशा भरी निगाह से देख रही है।