‘हम हैं अभिभावक‘ पर पं.विजय शंकर मेहता ने कहा, बच्चों को सुविधाएं त्याग कर संघर्ष और समझौते करना सिखाएं
न्यूजवेव @ कोटा
‘बच्चे यदि योग्य नहीं हैं तो आपसे बड़ा कोई निर्धन नहीं और यदि बच्चे योग्य हैं तो आपसे बड़ा कोई धनवान नहीं हैं।’ यह कहना है प्रेरक एवं आध्यात्म गुरू पं.विजय शंकर मेहता का। शुक्रवार को एलन कॅरिअर इंस्टीट्यूट के सद्गुण सभागार में ‘हम हैं अभिभावक‘ पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि जब बच्चे छोटे होते हैं तो डॉक्टर ‘चार्ट ऑफ पेरेन्टिंग’ बनाता है, इसके बाद अभिभावकों की जिम्मेदारी शुरू होती है जो ‘पार्ट ऑफ पेरेन्टिंग’ हैं।
बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तो उन्हें कैसे संभालना है यह ‘आर्ट ऑफ पेरेन्टिंग’ है लेकिन आज ‘हार्ट ऑफ पेरेन्टिंग’ की बात करनी होगी। यह जरूरी नहीं कि सुविधा देकर पाले जाने वाले बच्चे अच्छे निकलें, बच्चों को पालने में संघर्ष और समझौते सिखाना बहुत जरूरी है। अभिभावक अपनी आंखों पर मोह की पट्टी नहीं बांधें। याद रखें , ये मोह आपके बच्चों को बिगाड़ सकता है।
संकल्प शक्ति कमजोर हो रही है
मेहता ने कहा कि शिक्षा विनम्रता और संस्कार लाती है लेकिन आज बच्चों की संकल्प शक्ति कमजोर हो रही है। आज बच्चे शिक्षित तो हैं लेकिन बिना संस्कारों के शिक्षित बच्चे मानव बम से कम नहीं है। हमें बच्चों को समझना होगा। इन समस्याओं का समाधान योग से संभव है। इस समय विद्यार्थियों के पास माता-पिता के अलावा कोई रोल मॉडल नहीं है, वे ही बच्चों को संस्कारित कर सकते हैं। हमें चाहिए परिवार में खुशहाली का माहौल रखें, बच्चों को योग एवं अध्यात्म के बारे में बताएं। इस अवसर पर पं.मेहता ने अभिभावकों को योगाभ्यास भी करवाया।
कार्यक्रम में चम्बल हॉस्टल एवं कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने पं.विजय शंकर मेहता का स्वागत किया। निदेशक गोविन्द माहेश्वरी एवं निदेशक नवीन माहेश्वरी ने सभी का आभार जताया। कार्यक्रम में अभिभावक, हॉस्टल संचालक व वार्डन शामिल हुए।