तलवंडी में श्रीमद भागवत कथा में मनाया भव्य नंदोत्सव, गुणगान पर झूम उठे श्रद्धालु
न्यूजवेव@ कोटा
तलवंडी सेक्टर-3 स्थित सेठ सांवलिया पावन धाम में चल रही श्रीमद भागवत कथा में शनिवार को ब्रज वंदावन रास के साथ धूमधाम से नंदोत्सव मनाया गया। आचार्य कैलाश चन्द तेहरिया ने ‘बजत बधाइयां रे, नंदजी के द्वारे..’ सुनाते हुये कहा कि अरूणिम आभा में जैसे ही कान्हा का जन्म हुआ तो ब्रजमंडल चमक उठा। चारों ओर नंद दर्शन की ललक लगा उठी। नयन पथ पर नयनाभिराम श्याम भक्तों के हृदय में आ बसे। उनके रूप सौंदर्य व वेणु में माधुर्य रस बरसता रहा।
नाम में भी देवत्व का वास
गोपी-कृष्ण लीला का प्रसंग सुनाते हुये उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण के दर्शन व स्पर्श से उनकी साधना सफल हो गई। ठाकुरजी ने अज्ञान रूपी वस्त्र हरकर गोपियों को ज्ञान रूपी व़स्त्र लौटाये। उनकी हर लीला में रहस्य छिपा था। अनंतरूप धारी श्रीकृष्ण ने जैसी लीलाएं की, वैसा ही उनका नाम हो गया। वे बंसीधर, मोर-मुकुट, गिरधर, मुरलीधर, गोविंद, मधुसूदन, सावंरिया जैसे असंख्य नामों से पुकारे गये। मनुष्य के नाम में भी देवत्व का वास होता है। बच्चों के नाम ऐसे रखें जो अगली पीढ़ी तक अच्छे लगें। जिस कला में श्रीकृष्ण का प्रभाव हो, दिव्य शक्तियां भी उसका वरण करती हैं।
‘उलाहना तो एक बहाना था..’
‘गोेविंद मेरो है…गोपाल मेरो है…’ मधुर भजन सुनाते हुये उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण में प्रेम माधुर्य था। गोपियां दर्शन के लिये आतुर रहीं। कृष्ण दर्शन के लिये उलाहना तो एक बहाना था। वे गांठे सुलझाकर बंधनों से मुक्त करते रहेे। गोपियां ब्रज की रज से मांग में सिंदूर भरती थी। ब्रज में ‘श्याम रसिया रे मन बसिया..’ जैसे बोल आज भी गूंजते हैं। जिस धरती पर ऐसा भक्ति और वैराग्य हो वहां ब्रह्म दर्शन अवश्य होते हैं।
गोेवर्धन पूजा व छप्पन भोग सजा
आचार्य तेहरिया ने कहा कि गोवर्धन की महिमा बताते हुये कहा कि 7 वर्ष के कान्हा ने 7 दिन तक 7 कोस के गिरिराज पर्वत को उंगली पर उठाकर ब्रज गोप को बचा लिया था। ऐसा कृष्ण नाम जब अंतर्मन में उतर जाये तो वह निकलता नहीं है। जहां पुण्य प्रकट होते हैं, वहां भगवत दर्शन होते हैं।
आयोजक रमेश मधु गुप्ता की ओर गोवर्धन पूजा की गई तथा छप्पन भोग सजाया गया। गोवर्धन की सामूहिक आरती के बाद भक्तों को प्रसादी वितरण किया गया। रविवार को कथा में महारास, कंस वध, उद्धव गोपी चरित्र तथा श्रीकृष्ण-रूक्मणी विवाह होगा।