Friday, 26 April, 2024

सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य करने की प्रक्रिया आज से शुरू

बदलाव : अब केवल 14, 18 और 22 कैरेट का ही मिलेगा सोना

न्यूजवेव@ नई दिल्ली

मोदी सरकार 15 जनवरी,2020 से सोने के आभूषण बेचने वाले ज्वैलर्स के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। देशभर के ज्वैलर्स को इसके लिए एक साल का समय दिया जाएगा जिसके बाद 15 जनवरी, 2021 से सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य हो जाएगी। उसके बाद कोई भी ज्वैलर्स बिना हॉलमार्किंग के सोने के आभूषण नहीं बेच पाएगा।

भारत में हॉलमार्किंग की ज़िम्मेदारी भारतीय मानक ब्यूरो यानि BIS के पास है। हॉलमार्किंग वाले सोने के आभूषणों पर कैरेट में सोने की शुद्धता, बीआईएस का निशान ,शुद्धता मापने वाले सेंटर का नाम और आभूषण बेचने वाले दुकान का निशान अंकित होता है।

केवल 14,18 और 22 कैरेट के ही आभूषण मिलेंगे

हॉलमार्किंग अनिवार्य होने के बाद अब केवल तीन ग्रेडों यानि 14, 18 और 22 कैरेट के ही सोने के आभूषण बाज़ार में बिकेंगे। अभी तक कुल 10 ग्रेडों में सोने के आभूषण मिलते हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि ऐसा सोने की शुद्धता तय करने के लिए किया गया है।

उन्होंने कहा कि अगर कोई आभूषण निर्माता या ज्वैलर्स 15 जनवरी 2021 के बाद बिना हॉलमार्किंग के सोना बेचेगा तो उसे 1 साल की जेल की सज़ा या 5 लाख रूपए तक का ज़ुर्माना यो फिर दोनों हो सकता है।

घर में रखे सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य नहीं

हालांकि, सरकार ने ये साफ़ किया है कि घर या बैंकों में रखे सोने की हॉलमार्किंग फ़िलहाल अनिवार्य नहीं बनाई गई है। लेकिन बीआईएस सूत्रों का कहना है कि लोगों को अपने सोने की हॉलमार्किंग करवाने के लिए प्रेरित किया जाएगा. ऐसा इसलिए ताकि हॉलमार्किंग अनिवार्य होने के बाद उन सोने की क़ीमत बनी रहे।

उन्होंने कहा कि अगर कोई चाहे तो भारतीय मानक ब्यूरो के सेंटर पर जाकर अपने सोने की हॉलमार्किंग करवा कर उसका प्रमाण पत्र ले सकता है। आने वाले दिनों में ब्यूरो की तरफ़ जागरूकता अभियान भी चलाए जाने की संभावना है।

BIS से रजिस्ट्री करवाना अनिवार्य होगा

बीआईएस यानि भारतीय मानक ब्यूरो कानून, 2016 के तहत केंद्र सरकार को सोने की हॉलमार्किंग ज़रूरी बनाने का अधिकार दिया गया था। सरकार के फ़ैसले के मुताबिक़ अब देशभर में सोने के आभूषण बेचने वाले ज्वैलर्स को BIS से रजिस्ट्री करवाना होगा।

रजिस्ट्री करवाने के बाद ज्वैलर्स केवल बीआईएस प्रमाणित किसी सेंटर से ही सोने की शुद्धता की जांच करवा पाएंगे। आभूषण निर्माता हॉलमार्क वाले आभूषण ही बेच पाएंगे. फ़ैसले की एक बड़ी बात ये है कि ये सोने की कलाकृतियों पर भी लागू होगा।

हॉलमार्किंग फिलहाल अनिवार्य नहीं

फिलहाल, भारत में सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग की व्यवस्था तो है लेकिन उसे अनिवार्य नहीं बनाया गया है. अगर चाहे तो सोने के आभूषणों का कोई निर्माता भारतीय मानक ब्यूरो से अपने उत्पाद के लिए हॉलमार्किंग का अधिकार ले सकता है. देश के कुल आभूषण निर्माताओं में से 10 फ़ीसदी से भी कम ने अपने सोने की हॉलमार्किंग करवाई हुई है।

देश में 28849 जौहरी ऐसे हैं जिन्होंने BIS से पंजीकरण करवाया हुआ है। जबकि देश में ज्वैलर्स की संख्या तीन से चार लाख बताई जाती है। देश के 234 ज़िलों में ऐसे 892 सेंटर हैं जहां सोने की हॉलमार्किंग की जाती है। भारत में साल 2000 से ही सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग की व्यवस्था है लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाया जा सका है। मौजूदा वक्त में देश में केवल 40 फ़ीसदी सोने का ही हॉलमार्किंग किया जाता है।भारत में सोने की बड़े पैमाने पर खपत होती है। 1982 में जहां देश में सालाना केवल 65 टन सोने की खपत थी, वहीं अब ये बढ़कर 800 टन से भी ज़्यादा हो गई है। इनमें से 80 फीसदी सोने की खपत घरेलू कामों में होती है।

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