जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी श्री घनश्यामाचार्य महाराज ने कोटा प्रवास पर कोचिंग विद्यार्थियों को दी संस्कारों की सीख
न्यूजवेव @ कोटा
श्री झालरिया पीठाधिपति जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी श्री घनश्यामाचार्यजी महाराज ने कहा कि जीवन में सबसे बड़ा दान विद्या है। विद्या से ही व्यक्ति में पूर्णता आती है। यही हमें दूसरे प्राणियों से अलग बनाती है। शक्ति का अहसास और भक्ति की जरूरत समझाती है। विद्या समाज और राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्यों के लिए जागृत करती है। विद्या हमें औरों के लिए जीना सिखाती है।
शनिवार को एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के जवाहर नगर स्थित समरस सभागर में महाराज का अभिनन्दन किया गया। एलन निदेशक गोविन्द माहेश्वरी ने ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ प्रार्थना के बाद ‘गुरूराज के चरणों का हम वंदन करते हैं’ भजन के साथ उनका स्वागत किया।
अपने प्रेरक उदबोधन में महाराजश्री ने कहा कि एलन में आकर बाहर के विद्यार्थी अच्छा व संस्कारित वातावरण महसूस करते हैं। यहां विद्यार्थियों के साथ ईमानदारी से मेहनत की जाती है। बाहर से यहां आने वाले विद्यार्थी सपने लेकर आते हैं। उनको सच करने के लिये ईमानदारी से मेहनत करें। जब पढ़ाई हो जाए तो परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए जीवन जीने का संकल्प भी लें। कार्यक्रम में मातृश्री कृष्णा देवी मानधना, एलन निदेशक राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी एवं बृजेश माहेश्वरी सहित फैकल्टी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे। विद्यार्थियों ने गुरू महाराज के चरणवंदन कर उनका आशीर्वाद लिया।
मां सिखाती है सच्चे संस्कार
महाराजश्री की प्रातःकालीन आरती अर्चना एवं दर्शन इन्द्रविहार स्थित एलन मानधना परिवार के संत निवास पर हुई। इस अवसर पर उन्हांेने कहा कि बच्चों के निर्माण में सबसे बड़ी भूमिका मां की होती है। मां संस्कार सिखाती है और पिता व्यापार सिखाते हैं। माता-पिता के संस्कारों से ही युवा तैयार होते है। यदि इन संस्कारों में कुछ ऊंच-नीच हो तो इसका दुष्परिणाम हमें समाज में देखने को मिलता है। इसलिए जरूरी है कि बचपन से अच्छे संस्कार दें। गुरु महाराज कोटा प्रवास पर रविवार को भी एलन परिवार के इन्द्रविहार स्थित कृष्णायन के संत निवास में नित्य आरती-अर्चना व दर्शन सुबह 9 से 10 के बीच होंगे तथा गोष्ठी प्रसाद वितरण होगा।