Thursday, 28 March, 2024

कार्यस्थलों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित कोविड-सुरक्षा यूनिट

उमाशंकर मिश्र
न्यूजवेव @ नईदिल्ली
दुर्गापुर स्थित सेंट्रल मेकैनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMERI) के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए नया ‘कोविड प्रोटेक्शन सिस्टम’ (कॉप्स) ईजाद किया है जो कार्यस्थलों में उपयोगी हो सकता है। कॉप्स सिस्टम में संपर्क रहित सोलर आधारित ऑटोमेटेड मास्क डिस्पेंसिंग यूनिट और थर्मल स्कैनर (इंटेलिमास्ट) लगाया गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर आधारित यह सिस्टम स्वचालित कामकाज में मददगार होगा।  यह तकनीक व्यावसायिक हस्तांतरण के लिए तैयार है। निकट भविष्य में CMERI  की योजना एक डिजिटल एंट्री मैनेजमेंट सिस्टम विकसित करने की है।
सोलर आधारित इंटेलिमास्ट एक इंटेलिजेंट सर्विलांस किओस्क है जो शरीर का तापमान बताने के साथ-साथ यह भी पता लगा लेता है कि उसके सामने से होकर गुजरने वाले व्यक्ति ने मास्क पहना है या फिर नहीं। इसके माध्यम से मास्क न पहनने वाले कर्मचारियों की सूचना प्रशासन तक पहुँच जाती है। कर्मचारी स्कैनर पर चिप युक्त अपने परिचय पत्र को दिखाकर डिस्पेंसर से मास्क प्राप्त कर सकते हैं, जिसका मूल्य उनकी सैलेरी से काट लिया जाता है। यह प्रणाली बड़े संस्थानों में कर्मचारियों द्वारा सुरक्षा मानकों के पालन को सुनिश्चित करने में मददगार हो सकती है। CMERI के निदेशक प्रो. हरीश हिरानी ने कहा है कि महामारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए कॉप्स सिस्टम कार्यस्थलों के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। हेल्थकेयर कर्मचारियों की तरह विभिन्न संस्थानों में अग्रिम पंक्ति में तैनात सुरक्षाकर्मियों पर भी संक्रमित लोगों एवं वस्तुओं के संपर्क में आकर कोविड-19 से ग्रस्त होने का खतरा अधिक होता है।
चेहरे की पहचान और परिचय पत्र आधारित उपस्थिति प्रणाली निकट भविष्य में इस सिस्टम में शामिल की जा सकती है। इस तरह से कार्यालय, उद्योगों, स्कूलों एवं कॉलेजों को अपनी तरह की यह संपूर्ण प्रणाली मिल सकती है। प्रो. हिरानी ने बताया कि “अपनी तकनीकों को विकसित करते हुए हमारा उद्देश्य स्टार्टअप कंपनियों और उद्यमियों को समर्थन करना और उन्हें अपनी नवोन्मेषी क्षमता दिखाने के लिए मंच देना है। सीएमईआरआई का फोकस भारत में निर्मित उत्पादों के विकास पर भी केंद्रित है, जिसके परिणामस्वरूप आत्मनिर्भर भारत की पहल को बढ़ावा मिलेगा। (इंडिया साइंस वायर)

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