Tuesday, 6 May, 2025

अहंकार सदैव पतन का कारण बनता है – बालसंत शाश्वत 

कोटा के शिवपुरीधाम में श्रीराम प्राकट्य उत्सव पर बधाइयों की गूंज
न्यूजवेव कोटा
शहर के शिवपुरीधाम में संत सनातनपुरी महाराज के सान्निध्य में चल रही श्रीराम कथा में चौथे दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ। बालसंत शाश्वत जी भार्गव ने ‘भये प्रकट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी’ भजन सुनाया तो समूचा शिवपुरीधाम अयोध्यामयी हो उठा।


धाम परिसर में भगवान श्रीराम की जय-जयकार के स्वर गूंजने लगे। बालसंत ने भगवान श्रीराम के प्राकट्य उत्सव की कथा का आलौकिक प्रसंग सुनाकर भक्तजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रद्धालु महिलाएं बधाई मंगल गीत गाते हुए नृत्य करने लगी। समूचा पांडाल भगवान के जन्मोत्सव पर गाने-झूमने लगा। संत सनातनपुरी महाराज भी श्रद्धालुओं के साथ मंत्रमुग्ध होकर झूमने लगे तो पूरा पांडाल भगवान श्रीराम के जयकारों से गूंजने लगा।


बालसंत ने श्रीराम के धरती पर अवतार लेने का रहस्य बताते हुए कहा कि जब-जब धरती पर पाखंडियों और दुष्टों का बोलबाला हो जाता है, जब भारतभूमि पर भक्तगणों और सज्जनों को सताया जाता है,गौमाता, संत, ब्राह्मणों का लोग तिरस्कार करने लगते हैं। तब श्रीराम धरती पर अवतरित होकर आते हैं और दुष्टों का संहार करके भक्तों की रक्षा करते हैं।
संत शाश्वत ने कहा कि अहंकार सदैव पतन का कारण बनता है। जब अभिमान का अंकुर हमारे मन में पनपे उसे समय निकाल दें। अहंकार का बीज पनपकर वृक्ष बन गया तो वह हम पर राज करने लगेगा और हमारा पतन निश्चित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि युगों-युगों से अहंकारी लोगों का पूरी तरह नाश हो गया चाहे वह राजा रावण हो या अत्याचारी कंस। इतिहास गवाह है कि अहंकारी का सर्वनाश होता है।


श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पंडाल में भगवान के बालरूप की सुंदर झांकी में रामलला के बालरूप की छवि के दर्शनों को श्रद्धालु लालायित रहे। महिलाएं पालना झुलाने के लिए उत्साहित दिखी। स्वयं संत सनातनपुरी भी भगवान की अद्भुत छटा देख अभिभूत हो उठे। इस अवसर पर सोमवार को नीति आयोग के सह-संयोजक अखिल शुक्ला, पार्षद बृजेश शर्मा नीटू, पं. अनिल औदिच्य, समाजसेवी महेन्द्रसिंह सहित बडी संख्या में शहरवासी कथा श्रवण के लिये पहुंचे। शाम को महाआरती की।
भक्ति की शक्ति का प्रतीक कौशल्या बाई


बालसंत ने कहा कि भगवान श्रीराम ने जब अवतार लिया तो वे अपने पूर्ण चर्तुभुज रूप में प्रकट हुए। भगवान का यह रूप देखकर माता कौशल्या चकित हो गई, उन्होंने भगवान से निवेदन किया कि वे बालक का रूप धारण करें तो माता की बात मानकर भगवान ने तुरंत बालरूप धारण कर लिया। यह कौशल्या मां की भक्ति की शक्ति का प्रतीक है, जिसने भगवान को भी बालरूप धारण कर रोने के लिए विवश कर दिया।

(Visited 267 times, 1 visits today)

Check Also

लोक सेवक जनता की भलाई के कार्यों को प्राथमिकता दें – मुख्यमंत्री

लोक सेवा दिवस- लोकसेवकों को मिला मुख्यमंत्री उत्कृष्टता व राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पुरस्कार न्यूजवेव @ …

error: Content is protected !!