शहरों में भैंस का दूध लेते समय सतर्कता बरतें नागरिक
न्यूजवेव @ हिसार
कोरोना इंसानों के बाद अब जानवरों में भी पहुंचने लगा है। इससे पहले कोरोना का रूप शेर और बाघ में देखने को मिला था। अब कोरोना वायरस का नया रूप हरियाणा में भैंसों में देखने को मिला है। इस नये रूप का नाम बुवाइन कोरोना वायरस बताया जा रहा है। जिसका एक वैरियेंट हिसार में 1 महीने के भैंस के छोटे बच्चे में पाया गया है। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के एनिमल बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने इस बुवाइन कोरोना वायरस को खोजा है। पूरे हरियाणा में भैंस के बच्चों से 250 से ज्यादा नमूने लिए गए थे। जिनमें से कई संक्रमित मिले। उन्हीं पॉजिटिव सैंपलों में से रिसर्च करने के लिए 5 की सीक्वेंसिंग की गई तो ये चौंकाने वाला परिणाम सामने आया है। वैज्ञानिकों ने ये रिसर्च यह जानने के लिए की है कि बुवाइन करोना वायरस अलग-अलग जानवरों को होने की प्रवृत्ति रखता है या नहीं।
विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक डॉ. मीनाक्षी ने बताया कि आने वाले 10 सालों में इंसानों में जो बीमारियां देखने को मिलेगी उन सभी बीमारियों की आशंका पशुओं से ही आने की है। जैसे कोरोना वायरस का खतरा अभी तक टला नहीं हैए उसी तरह जानवरों में कई वायरस मौजूद हैं और ये म्यूटेशन के बाद नया रूप ले सकते हैं। कोरोना जैसी बीमारी आने के बाद कई तरह के वायरस सामने निकलकर आए है। लेकिन हमें ये भी जानना जरूरी है कि ये वायरस अब किस प्रजाति में जा रहा है, क्या ये अन्य पशुओं में फैल रहा है, ये आया कहां से है और इससे कैसे बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बुवाइन कोरोना वायरस पशुओं के मलमूत्र, दूध या मांस के जरिए इंसानों में पहुंच सकता है। विभाग की रिसर्च के अनुसार ये वायरस सबसे पहले ऊंट से भैंस के बच्चे में आया था। वायरस की ये प्रकृति म्यूटेंट होती रहती हैए यानी बड़े जानवरों और इंसानों में भी जा सकती है।
पशुओं से इंसानों में आया तो भारी नुकसान
डराने वाली बात यह है कि ये वायरस अगर म्यूटेंट होकर पशुओं से इंसानों में चला गया तो इससे काफी भारी मात्रा में नुकसान हो सकता है। तबाही भी आ सकती है। डॉ. मीनाक्षी के अनुसार सोर्स कोविड-2 वायरस से भी इंसानों को शुरू में दस्त की शिकायत हुई थी। इसी आधार पर वैज्ञानिक इस वायरस का इलाज भी नैनो फार्मूलेशन से खोज रहे हैं और हमें इसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं।
क्या है बुवाइन वायरस के लक्षण
वैज्ञानिकों के मुताबिक बुवाइन से संक्रमित बछड़े को दस्त होते हैं और डायरिया भी हो सकता है। ज्यादा संक्रमण होने की वजह से बछड़े की जान भी जा सकती है। इतना ही नहीं ये छोटे बछड़े से बड़े जानवरों में भी फैल सकता है। जानवरों के मल, मांस और दूध इत्यादि से इंसानों में भी फैल सकता है। डॉ. मीनाक्षी के अनुसार वायरस से होने वाली बीमारियों के इलाज के लिए वैक्सीन आवश्यक है। भविष्य में इस वायरस को लेकर भी वैक्सीन बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि पशुपालकों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि यदि उन्हें लगता है कि कोई पशु बीमार है या उसे इस प्रकार के लक्षण है तो उसे पशुओं से अलग रखना चाहिए।