Thursday, 5 December, 2024

जिन्होंने अपनी मेहनत से कोरोना को हराया

नवाचार: शिक्षानगरी में ‘क्रिएंजा’ रेजीडेंशियल प्रोग्राम ने बढ़ाया विद्यार्थियों का हौसला, विद्यार्थियों व अभिभावकों की पहली पसंद है कोटा
न्यूजवेव @ कोटा

कोरोना की दूसरी लहर में राजस्थान के जयपुर, कोटा, जोधपुर, उदयपुर, सीकर, अजमेर, भीलवाडा आदि में प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे कोचिंग विद्यार्थी रेगुलर क्लासरूम कोचिंग नहीं मिलने से परेशान रहे। हाल ही में सीबीएसई ने 12वीं बोर्ड की परीक्षायें भी निरस्त कर दी है। जिससे विद्यार्थी अब जेईई-मेन, जेईई-एडवांस्ड एवं नीट परीक्षा की अंतिम तैयारी में जुट गये हैं।


रविवार को अभिभावकों की नेशनल वेबिनार में ‘क्रिएंजा’ रेजीडेंशियल प्रोग्राम की संस्थापक निदेशक वंदना गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थी शैड्यूल के अनुसार पढ़ने की आदत विकसित कर लें तो मुश्किलों को पार करके सफलता की मंजिल को छू सकते हैं। कोरोना की अग्निपरीक्षा में भी कोटा में पढ़ रहे कोचिंग विद्यर्थियों का हौसला नहीं टूटा है। वे घरों या हॉस्टल में रेगुलर पढ़ाई करते हुये कोरोना को हराने में सफल रहे।
बच्चों की परफॉर्मेंस से पेरेंट्स खुश


वेबिनार में बलिया उप्र के अभय कुमार तिवारी ने बताया कि उन्होंने ‘क्रिएंजा’ हॉस्टल जाकर बच्चों से बात की। वहां टाइम मैनेजमेंट, अनुशासन, मोबाइल से दूर सिर्फ पढाई करने का माहौल देखा। वे अपने बच्चों की तरह केयरिंग कर रहे हैं। बेटा जेईई की तैयारी कर रहा है। उसका आत्मविश्वास बहुत बढ गया है।
दौसा जिले के मंडावर से नरेश बंसल ने कहा कि जनवरी से कोटा में पढाई कर रहा है। ‘क्रिएंजा’ में मेंटर खुद अभिभावक की तरह रहते हैं। बच्चों को एक जैसा ग्रुप मिल गया। ऐसा अनुशासित माहौल मिलने से बच्चे डॉक्टर-इंजीनियर के साथ अच्छे इंसान बनकर निकलेंगे।
ओरंगाबाद के आशाराम गोघे ने कहा कि उनकी इकलौती बेटी अंजलि सितंबर, 2020 से ‘क्रिएंजा’ में है। कोरोना में वहां बहुत सुरक्षित माहौल मिला, जिससे बच्चे स्वस्थ हैं। घर पर मोबाइल व टीवी से पढाई में उनकी रूचि कम हो गई थी। ‘क्रिएंजा’ हॉस्टल मोबाइल फ्री वातावरण मिलने से पढाई के लिये ज्यादा समय मिल रहा है।
गोरखपुर के व्यवसायी मनीष देव शुक्ला ने बेटे कुश देव का ऑनलाइन स्टडी में मन नहीं लग रहा था। कोचिंग संस्थान बंद हो जाने से क्रिएंजा हॉस्टल में उसे रेगुलर पढाई करने का माहौल मिला। मां नीलम ने बताया कि वहां परिवार जैसे माहौल में बच्चों की केयरिंग हो रही है। हमें विश्वास है कि इतनी दूर होकर भी बच्चे की देखभाल करने वाले कोई तो हैं। पेरेंट्स की जूम मीटिंग में बच्चों से बात होती है। बच्चे की परफार्मेंस में सुधार होने से खुश हैं।
टीचर से ज्यादा सही मेंटर की जरूरत


हनुमानगढ़ की छात्रा एश्वी बसंल 12वीं की स्टूडेंट है। मां विनिता ने बताया कि बेटी को पहली बार घर से बाहर भेजने में डर था लेकिन लोकडाउन में बच्चे पढाई को चिंतित थे। कोटा मेें क्रिएंजा हॉस्टल नहीं, घर ही है। वे अपने बच्चों की तरह देखभाल करतेे हैं। वहां घर से अच्छी पढाई हो रही है। कोरोना में हर बच्चे को टीचर से अधिक सही मेंटर की जरूरत है, यह सपोर्ट उन्हें कोटा में मिल रहा है। 
एडवोकेट राकेश रंजन व टीचर सत्यप्रिया मोतिहारी, बिहार में पढाई का माहौल नहीं होने से बहुत चिंतित थे लेकिन बेटे रित्विक की इच्छा से उसे कक्षा-9वीं से कोटा में क्रिएंजा हॉस्टल में प्रवेश दिलाया। वहां का शैड्यूल देख हम चकित रह गये। पेरेंट्स भी बच्चों को इतना गाइड नहीं कर पाते हैं। हमें कोटा की पढाई पर विश्वास है, बेटा तीन साल वहीं रहकर जेईई की तैयारी करेगा। नेशनल मोटिवेटर नीलेश गुप्ता बच्चों को अच्छी गाइडेंस देते हैं।
हमारी नजरें सीधे लक्ष्य पर


अमृतसर के अद्वित शर्माग्वालियर के अन्वेष गुप्ता कक्षा-9 से कोटा आ गये हैं। आनॅलाइन पढाई से एकाग्रता बहुत कम हो गई थी। यहां टीचर्स एक-एक स्टूडेंट की अलग क्लास लेकर उसे पढा देते हैं। जलगांव के स्वरूप पाटिल ने कहा कि पहले रोज 13 घंटे पढकर भी टेस्ट  में अच्छे मार्क्स नहीं आते थे। यहां सोने, खेलने व पढने का शैडयूल ही बदल गया। मुंबई के सुभांषु कुमार ने बताया कि हॉस्टल में ही हमें अनुभवी टीचर्स, लाइब्रेरी से बुक्स, ऑनलाइन सिस्टम जैसी सभी सुविधायें मिलने से अच्छा एक्सपोजर मिला। पटना की शिवाली खुश हैं कि हम अलग-अलग राज्यों से यहां परिवार की तरह घुलमिल कर पढते हैं। चित्तौड की श्रेया के पिता दिनेश गडेवाल न्यायाधीश हैं। क्रिएंजा हॉस्टल में भीड से अलग एक-एक स्टूडेंट की केअरिंग होने से उन्होंने बेटी को यहां भेजा है।

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