Thursday, 12 December, 2024

अब अच्छे टेक्नीकल लीडर्स भी देगा भारत

कोटा आए गूगल के सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर रामचन्द्र सांखला एलन पँहुँचे

न्यूजवेव@कोटा

आज भारत की आईआईटीज में जो बदलाव हो रहे हैं वो देश ही नहीं दुनिया को अच्छे टेक्नीकल लीडर्स भी दे रहे हैं। आईआईटीज में हो रहे ये बदलाव दुनिया में भारत की साख बढ़ा रहे हैं। अमरीका में गूगल के सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर सेवाएं दे रहे रामचन्द्र सांखला ने यह बात कोटा में कही।

कोटा में एलन से कोचिंग करने के बाद आईआईटी रूड़की से पढ़कर कॅरियर बनाने वाले रामचन्द्र सांखला ने बताया कि कोटा का नाम अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा है। यहां पढ़े हुए स्टूडेंट्स पूरी दुनिया में नजर आने लगे हैं। हमें अमरीका में ही कई कंपनियों में ऐसे स्टूडेंट्स मिल जाते हैं जो कि कोटा से पढ़े होते हैं। कोटा की पढ़ाई की चर्चा अमरीका तक होती है। यहां के स्टूडेंट्स गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, लिंक्डइन व अन्य कई कंपनियों में हैं।
सांखला ने कहा कि बहुत अच्छा लगता है जब कोटा और एलन के बारे में चर्चा होती है। 10 साल बाद कोटा आया हूं तो यहां बहुत कुछ बदलाव नजर आ रहे हैं। कोटा पहले से अधिक एडवांस और सुविधाजनक हो गया। शहर का तो नक्शा ही बदल गया है। बड़े-बड़े कोचिंग सेंटर्स, चौड़ी सड़कें, फ्लाईओवर्स, चौराहे सबकुछ अलग दिख रहे हैं। एलन के  बहुत बड़े कैम्पस हो गए हैं, स्टूडेंट्स भी बहुत अधिक दिखते हैं। एक अलग ही शहर यहां नजर आता है।
गांव लौटकर कर चुकाउंगा माटी का कर्ज
सांखला ने कहा कि मैं बहुत विपरीत परिस्थितियों से गुजरते हुए इस स्थिति में पहुंचा हूं। अब वापस भारत लौटकर अपनी माटी का कर्ज चुकाना चाहता हूं। कुछ वर्षों बाद भारत लौटकर यहां के युवाओं को स्किल्ड बनाने और अमरीका की तर्ज पर युवाओं की मदद के लिए काम करना चाहता हूं। मैं चाहता हूं जिस समाज और जिस देश ने मुझे बनाया, वहां के लिए कुछ करूं।
स्किल बेस्ड एजुकेशन की जरूरत
रामचंद्र ने बताया कि मैंने जब आईआईटी की थी, तब काफी सारे टॉपिक्स आउटडेटेड थे। इसका अहसास हमें तब हुआ जब हम प्रोफेशनल लाइफ में आए। हमारा एजुकेशन सिस्टम रियल प्रोफेशनल लाइफ से कुछ अलग है। अब धीरे-धीरे इसे स्किल बेस बनाया जा रहा है। इसके साथ ही टेक्नोलॉजी का यूज भी बढ़ाना चाहिए। तभी हम विकसित देशों की शिक्षा और कार्य प्रणाली के अनुरूप अपने युवाओं को तैयार कर सकेंगे। स्कूली शिक्षा में थ्योरी से ज्यादा प्रेक्टिकल पर ध्यान देना होगा। तभी हम समय के साथ कदम मिला सकेंगे।
हम्माल के बेटे है रामचन्द्र
सांखला ने बताया कि मेरे परिवार की स्थिति किसी से छिपी हुई नहीं है। पाली जिले के सोजत में मैं सरकारी स्कूल, हिन्दी माध्यम का विद्यार्थी था। मेरे पिता तेजाराम सांखला हम्माल का काम यानी मजदूरी करते थे। विपरीत आर्थिक परिस्थतियों में उन्होंने 10 वर्ष पहले मुझे पढ़ने के लिए कोटा भेजा था। यहां एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट का साथ हर कदम पर मिला और मैंने ऑल इंडिया 1680वीं रैंक के साथ जेईई एग्जाम क्रेक किया। आईआईटी रूड़की से बीटेक की। आईआईटी से मिलने वाली स्कॉलरशिप के जरिए पढ़ाई का कर्ज चुकाया। इसके बाद मेरा चयन गूगल के लिए हुआ और मैं वाशिंगटन चला गया। और अब गूगल में पिछले 8 सालों से सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर अच्छे पैकेज पर कार्यरत हूं।
फिल्में देख सीखी अंग्रेजी
सांखला ने कहा कि मैं शुरुआत से ही हिन्दी माध्यम में पढ़ा था। आईआईटी में कुछ अंग्रेजी सीखा, फिर जब प्रोफेशनल लाइफ का मामला आया तो अंग्रेजी फिल्में देखकर इंग्लिश सीखी। स्वयं को बदलावों के लिए तैयार किया। आज जब गांव के युवाओं से बात होती है तो उन्हें अच्छी नींव तैयार करने के लिए प्रेरित करता हूं।
कोटा को गर्व है
ये हमारे लिए गर्व की बात है कि कोटा में पढ़े रामचन्द्र आज गूगल में सेवाएं दे रहे हैं। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद रामचन्द्र ने अपनी प्रतिभा के दम पर स्वयं को साबित किया। वे आज कई विद्यार्थियों की प्रेरणा है, गांव के बच्चे इनसे प्रेरित होते हैं और आगे बढ़ रहे हैं।
– नवीन माहेश्वरी, निदेशक, एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट

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