निगम के महापौर ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सांस्कृतिक आयोजनों पर रोक हटाने की मांग की
न्यूजवेव@ कोटा
कोटा का 130वां राष्ट्रीय दशहरा मेला-2023 देश-विदेश में अपनी अनूठी उत्सवी पहचान रखता है लेकिन इस वर्ष प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के बाद राष्ट्रीय दशहरा मेला के कार्यक्रमों को बेवजह रोकने के प्रयास किये जा रहे हैं, जिससे शहरवासियों में निराशा एवं आक्रोश है। नागरिक संगठनों का कहना है कि दशहरा मैदान को अनावश्यक चारदीवारी खडी कर प्रदर्शनी स्थल की तरह बना दिया गया है। रंगमंच पर लोकप्रिय आयोजन नहीं होने से मेले की रौनक फीकी हो गई है।
जनभावनाओं को समझते हुये नगर निगम कोटा दक्षिण के महापौर राजीव अग्रवाल ‘भारती’ ने गुरूवार को प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा कि मेला अधिकारी द्वारा अधिकांश लोकप्रिय कार्यक्रमों को रद्द करने से मेले की परंपरागत साख प्रभावित हुई है। ऐसे में कोटा का प्रथम नागरिक होने के नाते मेरा आग्रह है कि आचार संहिता की पालना करते हुये पूर्व वर्षो की भांति इस वर्ष भी राष्ट्रीय दशहरा मेला 2023 में समस्त कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिये अधिकारियों को निर्देश जारी किये जायें।
मेले में ये बडे़ कार्यक्रम नहीं होंगे
महापौर ने लिखा कि राष्ट्रीय दशहरा मेला में प्रतिवर्ष अटल कवि सम्मेलन, अखिल राजस्थानी कवि सम्मेलन, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, भजन संध्या, कव्वाली, मुशायरा, गजल, पंजाबी, भोजपुरी, सिने संध्या, बाल प्रतिभा, अ.भा.वुुशू प्रतियोगिता, अ.भा. कुश्ती दंगल के साथ स्थानीय कलाकारो को प्रोत्साहन देने के लिए लोकानुरंजन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। लेकिन इस बार नगर निगम के प्रशासन द्वारा आचार संहिता की आड लेते हुये राष्ट्रीय दशहरा मेला के कार्यक्रमों में बेवजह कटौती की जा रही है और राष्ट्रीय मेले के स्वरूप को बिगाड़ा जा रहा है। जो जनभावनाओं के खिलाफ है। मेलाधिकारी की हठ धर्मिता के कारण राष्ट्रीय मेला के आयोजन के स्वरूप के साथ जानबूझ कर खिलवाड़ करना अनुचित है। इस संबंध में मुख्य सचिव संज्ञान लेकर राष्ट्रीय दशहरा मेला-2023 में सभी कार्यक्रमों को करवाया जाने के लिए संबंधित अधिकारी को निर्देश प्रदान करें।
गौरतलब है कि पहले 5 निगम बोर्ड के दौरान जब भी आचार संहिता लागू हुई, तब राष्ट्रीय मेला दशहरा के सभी कार्यक्रम बिना किसी अवरोध के सम्पन्न होते आ रहे हैं। लेकिन इस बार मेलाधिकारी जिस तरह का रवैया अपना रहे हैं वह राज्य सरकार एवं नगर निगम बोर्ड की छवि को धूमिल करने का प्रयास है।
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प्रदर्शनी बनकर रह गया कोटा का राष्ट्रीय दशहरा मेला
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