दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने नई शिक्षा नीति के इस प्रस्ताव पर कडा विरोध जताया
न्यूजवेव @ नईदिल्ली
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने देश की नई शिक्षा नीति के प्रस्ताव में प्राइवेट शिक्षा बोर्ड बनाने और सभी शिक्षा संस्थानों को मल्टी फैकल्टी बनाने जैसे कदम को घातक बताते हुये इसकी कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इससे देश में शिक्षा का भी निजीकरण हो जायेगा।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में विज्ञान भवन में आयोजित केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (कैब) की विशेष बैठक के बाद सिसोदिया ने बताया कि उन्होंने प्राइवेट शिक्षा बोर्ड और मल्टी फैकल्टी जैसे अहम मुद्दों पर विरोध दर्ज कराया है। साथ ही शिक्षा बजट के लिए कुल जीडीपी का 6 प्रतिशत आवंटित करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में प्राइवेट शिक्षा बोर्ड बनाने की बात कही गई है जो बेहद घातक कदम होगा। शिक्षा देना सरकार का काम है और शिक्षा बोर्ड भी सरकारी ही होने चाहिए। प्राइवेट स्कूलों को अपना बोर्ड बनाने की इजाजत देना शिक्षा के निजीकरण को और बढ़ावा देगा।
..फर्जी डिग्री का धंधा शुरू हो जायेगा
सिसोदिया ने कहा कि नई शिक्षा नीति में कॉलेजों को अपनी अपनी डिग्री देने का अधिकार देने की बात कही गई है। सरकार का नियंत्रण हट जाने से प्राइवेट कॉलेजों में फर्जी डिग्री का धंधा खुले आम चलने लगेगा और हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकेंगे। शिक्षा मंत्री ने एतराज जताया कि नई शिक्षा नीति में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि देश के बच्चों की शिक्षा सरकार का काम है। इसके विपरीत कई ऐसे प्रस्ताव हैं जिसमें प्राइवेट शिक्षा व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। देश में सरकारी स्कूल बंद होते जा रहे हैं और जो चल रहे है उनकी गुणवत्ता पर लोगों का भरोसा कम होता जा रहा है।
बडे़ संस्थानों में बहु-संकाय कोर्स क्यों
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति हायर एजुकेशन में सभी कॉलेजों के लिए बहु संकाय शिक्षा की बात करती है। यदि ऐसा किया गया तो देश के आईआईटी, आईआईएम, एम्स जैसे संस्थानों की स्थिति क्या होगी। उनके स्पेशलाइजेशन व रिसर्च पर भी सवाल उठने लगेंगे। क्या एम्स में इंजीनियरिंग और आईआईटी में मेडिकल की भी पढ़ाई कराई जा सकती है। ऐसे संस्थानों की लेबोरेट्री में क्या सिखाया जाएगा।
परीक्षा पैटर्न एवं मूल्यांकन प्रणाली में बदलाव हो
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में परीक्षा पैटर्न एवं मूल्यांकन प्रणाली में बदलाव किया जाना जरूरी है। केवल ‘रटने की जगह सीखने‘ की बात लिखकर नई शिक्षा नीति से कुछ नहीं बदलेगा। शिक्षा नीति ऐसी हो, जो विद्यार्थियों को क्वालिटी शिक्षा देकर सक्षम बनाये। केवल कागजी डिग्रियां देकर बेरोजगार बनाने वाली शिक्षा नीति से नई पीढ़ी को बहुत नुकसान हो सकता है। सिसोदिया ने कहा कि आज देश में एजुकेशन सिस्टम की जडें खोखली होती जा रही है। शिक्षा को पूरी तरह से वित्त पोषित कर दिया गया है। समय आ गया है कि ऐसा कानून बनाया जाय ताकि देश में जीडीपी का कम से कम 6 प्रतिशत बजट शिक्षा पर फोकस हो।