मोदी सरकार का 7 वर्ष में मध्यम एवं गरीब वर्ग को अनूठा तोहफा- राशन सामग्री, डीजल-पेट्रोल, रसोई गैस, परिवहन सब कुछ हुआ महंगा
न्यूजवेव @ कोटा
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य पंकज मेहता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार अपने 7 साल के कार्यकाल पर एक ओर, करोडों रूपये के विकास कार्यों का दावा कर रही है, दूसरी ओर आम जनता के लिये कोरोना महामारी में उनकी जिंदगी और आजिविका पर सकंट के बादल मंडराते रहे, लेकिन केंद्र सरकार आम जनता को समय पर जीवन रक्षक दवाइयां, ऑक्सीजन एव हर आयुवर्ग के लिये वैक्सीन ंउपलब्ध कराने में सरासर विफल रही।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंकज मेहता ने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में मध्यमवर्ग तथा निम्न वर्ग की कमर टूट गई है। फुटकर व्यापार-व्यवसाय, लघु उद्योग लगातार बंद रहने से शहरों से गांवों तक अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। प्रत्येक क्षेत्र में रोजगार संकट पैदा हो जाने से बेरोजगारी दोगुना हो चुकी है। शिक्षित युवाओं को 50 प्रतिशत वेतन कटौती के साथ नौकरियों से भी निकाला जा रहा है। केंद्र सरकार ने इस महामारी से निबटने के लिये कोई दूरगामी कार्ययोजना नहीं बनाई, जिससे हर वर्ग में निराशा एवं भविष्य के लिये असमंजस का वातावरण है। शहरों से श्रमिक वर्ग गांवों कीे ओर पलायन कर रहे हैं।
वैक्सीन सहायता में भी राजनीतिक भेदभाव
उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना की दूसरी लहर में ब्लेक फंगस के मामले सामने आते ही केंद्रीय स्वास्थ्य मत्रालय ने ढिलाई बरती। सुदूर गांवों तक आवश्यक दवाइयां नहीं पहुंचने से कालाबाजारी को प्रोत्साहन मिला। इसकी खामियां उजागर होने पर भी केंद्र सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाये, जिससे सैकडों रोगियों की असमय जानें चली गई।
उन्होनें आश्चर्य जताया कि एक गरीब परिवार दो वक्त की रोटी के लिये राशन सामग्री खरीदने पर भी जीएसटी चुका रहा है। केंद्र सरकार ने निम्न आय वर्ग को कोई राहत नहीं दी। मोदी सरकार ने राज्यों को महामारी के दौरान दी जाने वाली सहायता राशि एवं चिकित्सा सामग्री के वितरण में भी राजनीतिक भेदभाव का परिचय दिया, जिससे गैर भाजपा शासित प्रदेशों की जनता को आज भी वैक्सीन के लिये तरसना पड़ रहा हे। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये वैक्सीन विकसित करने में विलम्ब होने से कई राज्यों में बच्चे चपेट में आ रहे हैं। मोदी सरकार को देश में महंगाई कम करने के लिये तत्काल कठोर कदम उठाने चाहिये, क्योंकि नागरिकों की मासिक आय 50 प्रतिशत रह गई है।