Thursday, 12 December, 2024

आरटीआई एक्ट की 17 बिंदुओ की जानकारी सार्वजनिक प्रदर्षित करें -आत्मदीप

सूचना के अधिकार को आसान बनाएं सरकारी अफसर

दीपक तिवारी
न्यूजवेव@ भोपाल

मध्यप्रदेश के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने कहा है कि कई अधिकारी 15 साल बाद भी सूचना का अधिकार अधिनियम को लेकर गंभीर नहीं हैं, जबकि इस कानून में उनके लिए कई बाध्यताएं निश्चित की गई हैं। इन कानूनी अनिवार्यताओं का उल्लंघन किए जाने की शिकायत मिलने पर सूचना आयोग द्वारा दोषी अधिकारियों को धारा 20 के तहत दंडित किया जा सकता है।

पूर्व सूचना आयुक्त आत्मदीप ने बताया कि आरटीआई की धारा 4 के तहत लोक सूचना अधिकारियों को 17 बिंदुओं की जानकारी का सार्वजनिक प्रकाशन करना आवश्यक है। कई लोक सूचना अधिकारी इसका पालन नहीं कर रहे हैं, जिससे जानकारी के लिए लोगों को आरटीआई लगानी पड़ती है। जबकि इस धारा के तहत 17 बिंदुओं की इन जानकारियों का स्वत: सार्वजनिक प्रकटन करना अनिवार्य है। इन जानकारियों का सार्वजनिक प्रकाशन होने से लोगों को बगैर आरटीआई के ही काफी आवश्यक सूचनाएं मिल सकेंगी। इससे लोक सूचना अधिकारी पर भी आरटीआई का दबाव कम होगा।
पूर्व सूचना आयुक्त ने बताया कि आरटीआई एक्ट के तहत समस्त कार्यालयों के बाहरी हिस्से में आसानी से दिखाई देने वाला सूचना पटल लगाना भी अनिवार्य है। इस पटल पर लोक सूचना अधिकारी का नाम, पद, फोन नंबर, कक्ष क्रमांक तथा प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम, पद, नंबर व पता अंकित करना आवश्यक है। ताकि लोगों को लोक सूचना अधिकारी व अपीलीय अधिकारी का पता लगाने के लिए भटकना न पड़े। इस कानूनी प्रावधान का उल्लंघन होने की शिकायत मिलने पर सूचना आयोग संबंधित अधिकारियों को दंडित कर सकता है।
इसी तरह प्रथम अपीलीय अधिकारी के कार्यालय के बाहर भी सूचना पटल आवश्यक रूप से लगाने का प्रावधान सूचना का अधिकार अधिनियम में किया गया है। इस पटल में भी लोक सूचना अधिकारी का पूरा नाम ,पद, फोन नंबर व कक्ष क्रमांक तथा प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम, पद, फोन नंबर, व कमरा नंबर आवश्यक रूप से लिखा होना चाहिए।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लोक सूचना अधिकारी आवेदक को उसकी आरटीआई का जो भी उत्तर भेजेगा, उसमें यह भी लिखना जरूरी है कि इस उत्तर से संतुष्ट न होने पर आवेदक अगले 30 दिन में प्रथम अपीलीय अधिकारी को अपील कर सकता है। लोक सूचना अधिकारी के लिए यह भी आवश्यक है कि वह आवेदक को इस सूचना के साथ प्रथम अपीलीय अधिकारी के नाम ,पदनाम , फोन नंबर व पते की भी जानकारी दें ।
इसी तरह प्रथम अपीलीय अधिकारी को अपने आदेश में यह लिखना अनिवार्य है कि अपीलार्थी इस आदेश से असंतुष्ट होने की स्थिति में अगले 90 दिनों के भीतर सूचना आयोग में द्वितीय अपील कर सकता है। इस आदेश में सूचना आयोग का पता देते हुए द्वितीय अपील शुल्क का भी उल्लेख करना जरूरी है।
लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी आरटीआई एक्ट के उपरोक्त अनिवार्य प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं तो कोई भी नागरिक, आवेदक या अपीलार्थी धारा 18 के तहत सूचना आयोग को निशुल्क शिकायत कर सकता है। ऐसी शिकायत प्राप्त होने पर सूचना आयोग संबंधित लोक सेवकों को तलब कर सकता है और उनके जवाब से संतुष्ट ना होने पर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद दंडित भी कर सकता है। आयोग आरटीआई एक्ट की धारा 20 में उल्लेखित दंडात्मक प्रावधानों का उपयोग कर सकता है। आयोग पीड़ित पक्ष को हर्जाना भी दिला सकता है।

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