– राष्ट्रपति करेंगे सम्मेलन का उद्घाटन
– ‘सशक्त लोकतंत्र हेतु विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका का आदर्श समन्वय’ पर होगा मंथन
न्यूजवेव@ नई दिल्ली
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज संसद भवन में बताया कि अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन 25 और 26 नवंबर को केवडिया गुजरात में आयोजित किया जायेगा। याद रहे, लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा – ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ केवडिया में स्थित है । यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है जिसका उद्घाटन 31 अक्टूबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
बिरला ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 25 नवंबर को सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी एवं अन्य गणमान्य विशिष्टजन इस सम्मेलन में शामिल होंगे ।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 नवंबर को सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करेंगे। बिरला ने बताया कि अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन की शुरुआत सन 1921 में हुई थी। तब से ही इस सम्मेलन के माध्यम से लोकतान्त्रिक प्रणाली को मजबूत करने तथा भारत के विधानमंडलों में एकता और अखंडता की भावना को बढ़ावा देने के अनवरत प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह वर्ष इस सम्मेलन का शताब्दी वर्ष है। इस सम्मेलन से भारत में सभी पीठासीन अधिकारियों को नए विचारों और अनुभवों को साझा करने के लिए एक मंच मिलता है। उन्होंने बताया कि हमारे सम्माननीय विधिनिर्माताओं के सामूहिक प्रयासों से बदलते समय के साथ विधानमंडलों में भी बदलाव लाने में मदद मिली है। इन सम्मेलनों के सत्रों के दौरान हुए विचार विमर्श से ही संसदीय लोकतंत्र में नई प्रथाओं की शुरुआत हुई है ।
बिरला ने कहा कि 26 नवंबर देश में संविधान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। सन 1949 में इसी दिन भारत के संविधान को अंगीकृत किया गया था। इस वर्ष, हमारे देश में संविधान को अंगीकृत किए जाने का 71वां वर्ष मनाया जा रहा है। इसलिए संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए समर्पित इस सम्मेलन का आयोजन भी इसी दिन किया जा रहा है।
इस वर्ष के सम्मेलन का विषय है “‘सशक्त लोकतंत्र हेतु विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका का आदर्श समन्वय”। इस सम्मेलन के दौरान, विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी लोकतंत्र के तीन स्तंभों के बीच बेहतर सहयोग और समन्वय की आवश्यकता पर चर्चा करेंगे। यह हमारे संवैधानिक दायित्वों का ही हिस्सा है । हमारी संवैधानिक व्यवस्था में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र और उनके बीच संतुलन रखने हेतु प्रावधान स्पष्ट रूप से दिए गए हैं। संवैधानिक संतुलन बनाये रखना हमारा सामूहिक दायित्व है तथा शासन प्रणाली के तीनों अंगों के बीच सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व बनाए रखने और देश में लोकतंत्र के विकास के लिए यह आवश्यक भी है।
बिरला ने बताया कि संविधान दिवस के अवसर पर, इस सम्मेलन में सभी प्रतिनिधि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के संविधान में दी गई प्रस्तावना को पढ़ेंगे। 26 नवम्बर को आयोजित होने वाले समापन समारोह में एक संकल्प पारित किया जाएगा। सम्मेलन के दौरान संविधान दिवस पर एक प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी।
2019 में इस सम्मेलन का आयोजन लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के नेतृत्व में देहरादून में किया गया था। उस सम्मेलन के दौरान शून्यकाल और अन्य संसदीय साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने, क्षमता निर्माण और संविधान की 10वीं अनुसूची तथा पीठासीन अधिकारियों की भूमिका से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई थी। केवडिया में कांफ्रेंस की तीन समितियों की रिपोर्टों पर भी विचार किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि 23 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बी डी मार्ग पर संसद सदस्यों के लिए 76 नवनिर्मित आवासों का उद्घाटन करेंगे। इन आवासों का निर्माण गंगा, यमुना और सरस्वती नामक तीन टावरों में किया गया है, जो कि 188 करोड़ रुपये की लागत से 27 महीनों के भीतर बनाए गए हैं।