-अभ्यर्थिर्यों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की, मुख्य परीक्षा की पारदर्शिता पर भी उठेे सवाल
न्यूजवेव @ नई दिल्ली।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा भारत सरकार के पेंटेंट कार्यालय में परीक्षक, पेटेंट एवं डिजाइन ग्रुप-ए के 553 रिक्त पदों हेतु आयोजित मुख्य परीक्षा की प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुये कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट नईदिल्ल्ली में एक याचिका दायर की है। केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अधीन यह अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षा दो चरणों में आयोजित की गई थी, जिसका रिजल्ट 16 जून,2024 को घोषित किया गया है।
एनटीए की अधिकृत वेबसाइट पर वरिष्ठ निदेशक डॉ साधना पाराशर ने जानकारी दी कि यह परीक्षा देश के 77 शहरों के परीक्षा केंद्रों पर दो चरणों में हुई थी, जिसमें 10,474 परीक्षार्थी शामिल हुये। पहले चरण में कम्प्यूटर आधारित प्रारंभिक परीक्षा 21 दिसंबर,2023 को हुई, जिसमें चयनित अभ्यार्थियों ने 25 जनवरी,2024 को मुख्य परीक्षा का पेपर-1 सीबीटी मोड में दिया। जबकि 5 फरवरी 2024 को 14 विभिन्न क्षेत्रों में पेपर-2 ऑफलाइन मोड में हुआ। जिसका रिजल्ट 26 मार्च,2024 को घोषित कर दिया गया। इसके बाद तीसरे चरण में लिखित परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों ने 1 से 25 अप्रैल,2024 तक इंटरव्यू दिये। एनटीए के अनुसार, कुल पद 553 होने से इनसे पांच गुना अभ्यार्थियों को इंटरव्यू के लिये क्वालिपफाई किया गया था। इस परीक्षा में पेपर-1 व 2 का 80 प्रतिशत वेटेज एवं इंटरव्यू का 20 प्रतिशत वेटेज लिया गया। इसके आधार पर 16 जून को 550 चयनित अभ्यर्थियों की सूची एनटीए वेबसाइट पर जारी कर दी गई।
*दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर-
दिल्ली हाईकोर्ट के एडवोकेट दिनेश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि रोहतक हरियाणा के अभ्यर्थी परीक्षित ग्रेवाल एवं अन्य द्वारा 30 मई, 24 को दायर याचिका में चुनौती दी गई कि एनटीए ने 553 रिक्त पदों के लिये 7 जुलाई,2023 को भर्ती अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद 21 दिसंबर,2023 को पुनः परीक्षा की अधिसूचना जारी कर दी गई। याचिका में कहा गया कि एनटीए ने परीक्षा प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता नहीं रखकर अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ अन्याय किया है। मुख्य परीक्षा बिना सूचना जारी किये 5 फरवरी,2024 को दोबारा करवाना, जिसमें 10,474 में से 1037 शामिल हुये हैं, उनमें से कुछ को रिजल्ट में अवांछित लाभ देना न्यायोचित नहीं है। एनटीए द्वारा जारी एक ही प्रवेश पत्र पर जो अभ्यर्थी 25 जनवरी की मुख्य परीक्षा में अनुपस्थित रहे, उनको 5 फरवरी को दूसरी शिफ्ट में इसी प्रवेश पत्र से अवसर कैसे दे दिया गया।
याचिका में मार्किंग स्कीम की विसंगतियों पर भी आपत्ति जताई गई है। परीक्षा निर्देश में जो नेगेटिव मार्किंग माइनस 0.25 अंक वर्णित की गई जबकि पेपर के दौरान कम्प्यूटर स्क्रीन पर यह शून्य दिखाई दी। जिस पर बाद में एनटीए को स्पष्टीकरण देना पडा।
याचिकाकर्ता ने कहा कि परीक्षा मूल्यांकन में भी अपारदर्शिता स्पष्ट दिखाई दी है। दोनों पेपर की मुख्य परीक्षा में 239 परीक्षार्थियों का रिजल्ट रोका गया। कुछ को इंटरव्यू के लिये क्वालिफाई बताया गया तो कुछ को क्वालिपफाई नहीं होना दर्शाया गया। जिनके रिपोर्ट कार्ड में रिजल्ट बाद में दर्शाया गया, वे एनटीए को शिकायत करने वाले अभ्यर्थी थे। दूसरी ओर, एनटीए ने 1 अप्रैल,24 कोे इंटरव्यू के लिये कॉल लेटर भी भेजना शुरू कर दिया।
– इधर, मुख्य परीक्षा का रिजल्ट रोका, उधर इंटरव्यू भी हो गया
एक याचिकाकर्ता राजीव गौरव ने बताया कि मुख्य परीक्षा में एक अभ्यर्थी को व्यक्तिगत सूचना देकर दोबारा पेपर देने का मौका दे दिया गया। उसका मुख्य परीक्षा का रिजल्ट आज तक रूका हुआ है, फिर भी उसे इंटरव्यू के लिये बुलाया गया। 24 मार्च को उसे एनटीए के नोएडा में परीक्षा कॉर्डिनेटर अभिषेक ने कॉल किया कि उसे मुख्य परीक्षा के संबंध में महत्वपूर्ण बातचीत करना है। अभ्यर्थी 28 मार्च,24 को नोएडा के परीक्षा केंद्र पर मिलने पहुंचा तो उसे बताया कि उसकी आंसर शीट गुम हो गई है। इसलिये दूसरा पेपर वह दोबारा दे दे। हताश होकर दबाव में उसने दोबारा परीक्षा दी। लेकिन 22 अप्रैल,24 तक उसका रिजल्ट रोक लिया गया। उसने लिखित शिकायत की तो उसे इंटरव्यू के लिये कॉल लेटर डाउनलोड करने को कहा गया। 26 अप्रैल को उसने इंटरव्यू दे दिया जबकि मुख्य परीक्षा का ‘रिजल्ट बाद में’ लिखा हुआ था। ऐसा अन्य अभ्यार्थियों के साथ भी हुआ, जिनका रिजल्ट घोषित नहीं करके उन्हें फोन करके इंटरव्यू कॉल लेटर भेज दिये गये। इससे संदेह हुआ कि परीक्षा प्रक्रिया में गडबडी अवश्य की गई है।
हाईकोर्ट नई दिल्ली की न्यायाधीश जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने 12 जून,2024 को अभ्यर्थी परीक्षित ग्रेवाल व अन्य द्वारा इस मामले में प्रस्तुत याचिका स्वीकार कर अगली सुनवाई 21 जून,24 को अवकाश बैंच के समक्ष करने का आदेश दिया है।